
असम सरकार (Assam government) ने शनिवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा कि सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 28 अगस्त, 2021 से छह महीने तक पूरे असम राज्य को “अशांत क्षेत्र” घोषित किया गया है. असम में नवंबर 1990 में AFSPA लगाया गया था और तभी से राज्य सरकार द्वारा समीक्षा के बाद हर छह महीने पर इसे बढ़ाया जाता है.
इससे पहले फरवरी महीने में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले, असम के राज्यपाल जगदीश मुखी (Governor Jagdish Mukhi) ने 27 फरवरी से शुरू होने वाले छह महीने के लिए पूरे राज्य को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर दिया था. दरअसल इस नए अफस्पा के पीछे हाल ही में हुए असम के दीमा हसाओ जिले में संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा पांच लोगों की हत्या की घटना भी बताया जा रहा है. जिसमें आतंकवादियों ने पांच लोगों की हत्या कर दी थी और कई ट्रकों को आग लगा दी थी.
मालूम हो कि AFSPA नवंबर 1990 में असम में लगाया गया था और तब से राज्य सरकार द्वारा समीक्षा के बाद इसे हर छह महीने में बढ़ाया गया है. क्षेत्र के नागरिक समाज समूह और अधिकार कार्यकर्ता पूर्वोत्तर राज्यों से कथित ‘कठोर’ कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं जहां इसे लागू किया गया है. वहीं आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में हत्या, लूट और फिरौती के मामलों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। नगालैंड में दशकों से अफ्सपा लागू है.
क्या है AFSPA कानून?
AFSPA कानून के तहत केंद्र सरकार राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर किसी राज्य या क्षेत्र को अशांत घोषित कर वहां केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात करती है. अफस्पा, पूर्वोत्तर के विवादित इलाकों में सुरक्षाबलों को विशेष अधिकार देता है. इसके तहत सुरक्षाकर्मियों को तलाशी अभियान चलाने और किसी को भी बिना किसी वारंट के गिरफ्तार करने की अनुमति दी गई है.
संदेह की स्थिति में सुरक्षाकर्मियों को किसी भी गाड़ी को रोकने, तलाशी लेने और उसे जब्त करने का अधिकार होता है. गिरफ्तारी के दौरान वे किसी भी तरह की शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं. AFSPA के प्रावधान पूर्वोत्तर के देश के सात राज्यों में लागू हैं. शुरुआत में इस कानून को अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा में लागू किया गया था. बढ़ती उग्रवादी गतिविधियों के चलते साल 1990 में जम्मू-कश्मीर में भी इस कानून को लागू किया गया था.
ये भी पढ़ें:
कोरोना से हुई मौतों के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय-ICMR ने ‘ऑफिशियल डॉक्यूमेंट’ पर गाइडलाइंस जारी की- केंद्र ने SC को दिया जवाब