
यूरो-मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर (EMSC) के अनुसार, शुक्रवार सुबह म्यांमार-भारत सीमा पर 6.0 तीव्रता का तेज भूकंप आया. मिली जानकारी के मुताबिक, भूकंप बांग्लादेश के चटगांव से 174 किमी पूर्व में आया और भारत में पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम में भी झटके महसूस किए गए.ईएमएससी की पोस्ट के मुताबिक, कोलकाता और गुवाहाटी के अधिकांश हिस्सों में भी भूकंप से लगभग 30 सेकंड के लिए एक “लंबा झटका” था, जहां प्रभाव महसूस किए गए थे.
अभी तक किसी के हताहत होने की खबर सामने नहीं आयी है. हालांकि, भूंकप के झटके महसूस होने पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया. लोग अपने घरों से बाहर सुरक्षित स्थान पर भागते दिखाई दिए तो वहीं, चीख-पुकार भी मचते दिखी. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, 6की तीव्रता वाला भूकंप सुबह 5:15 बजे आया. देश में भूकंप की गतिविधियों पर नजर रखने वाली केंद्रीय नोडल एजेंसी ने यह भी कहा कि इसका केंद्र मिजोरम में थेनजोल से 12 किमी और 73 किमी दक्षिण-पूर्व की गहराई में था.
कैसे आता है भूकंप?
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है. धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं. जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं. सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं. इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं.
भूकंप की तीव्रता
रिक्टर स्केल पर 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप को माइक्रो कैटेगरी में रखा जाता है और यह भूकंप महसूस नहीं किए जाते. रिक्टर स्केल पर माइक्रो कैटेगरी के 8,000 भूकंप दुनियाभर में रोजाना दर्ज किए जाते हैं. इसी तरह 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है. ऐसे 1,000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं इसे भी सामान्य तौर पर हम महसूस नहीं करते.
वेरी लाइट कैटेगरी के भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले होते हैं, जो एक साल में 49,000 बार दर्ज किए जाते हैं. इन्हें महसूस तो किया जाता है लेकिन शायद ही इनसे कोई नुकसान पहुंचता है.लाइट कैटेगरी के भूकंप 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले होते हैं जो पूरी दुनिया में एक साल में करीब 6,200 बार रिक्टर स्केल पर दर्ज किए जाते हैं. इन झटकों को महसूस किया जाता है और इनसे घर के सामान हिलते नजर आते हैं. हालांकि इनसे न के बराबर ही नुकसान होता है.