
देश में लगे लॉकडाउन का आर्थिक गतिविधियों पर खास असर हुआ है. वहीं शैक्षणिक संस्थानों (Educational institutions) में भी इसका अच्छा-खासा प्रभाव देखा गया. महामारी ने भारत में शिक्षा को कैसे प्रभावित किया? ASER (शिक्षा रिपोर्ट की वार्षिक स्थिति) की नई शिक्षा रिपोर्ट इस सवाल का जवाब देती है. ASER सर्वे सितंबर में किया गया था और इसने ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली शिक्षा की स्थिति को देखा है. सर्वे 581 जिलों में मोबाइल फोन से लिया गया था. इसे कम से कम 76000 घरों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए किया गया है. स्कूली शिक्षा पर महामारी के प्रभाव के बारे में रिपोर्ट हमें क्या बताती है?
ASER (एनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट) सर्वे के अनुसार भारत में प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बहुत से छात्रों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है. सर्वे के दौरान जब इसका कारण पूछा गया तो लोगों ने कई वजहें बताई. जैसे महामारी के कारण आई आर्थिक तंगी, सरकारी स्कूलों की मुफ्त फैसिलिटी, प्राइवेट स्कूलों का ऑनलाइन कक्षाएं न ले पाना, और लॉकडाउन के कारण हुआ पलायन आदि. यह सामाजिक संगठन प्रथम द्वारा जारी रिपोर्ट का 16वां संस्करण है. जिसे सितंबर और अक्टूबर के बीच 25 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 581 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया गया.
सरकारी स्कूलों में बढ़े दाखिले
इस सर्वे में 76,706 घरों, पांच से 16 साल की उम्र 75,234 छात्रों और 7,300 सरकारी स्कूलों के शिक्षकों व स्टाफ को कवर किया गया है. सर्वे के अनुसार साल 2018 से 2020 के बीच सरकारी स्कूलों में दाखिले बढ़े हैं. पहले दो सालों में दाखिले 64.3 फीसदी से 65.8 फीसदी तक बढ़े थे. लेकिन 2021 में दाखिले 70.3 फीसदी तक बढ़े हैं. इसका मतलब है कि पिछले एक साल में देशभर में सरकारी स्कूलों में दाखिले में 4.5 फीसदी की बढ़त है. अगर राज्यों की बात करें तो सबसे ज्यादा बढ़ोतरी उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में देखी गयी है. उत्तर प्रदेश के बाद केरल में सबसे ज्यादा सरकारी स्कूलों में दाखिले हुए हैं.
लड़कों ने ज्यादा संख्या में लिए हैं दाखिले
सर्वे के हिसाब से पहली और दूसरी कक्षा में लड़कों के दाखिलों में 10.9% की बढ़ोतरी हुई है और लड़कियों के दाखिलों में 7.4% की. वहीं, कक्षा छह से आठ तक में लड़कों के दाखिलों में 5.1% तो लड़कियों के दाखिलों में 2.2% की बढ़ोतरी हुई है. इसका मुख्य कारण कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण हुई आर्थिक तंगी है. बताया जा रहा ही कि लगभग 52% लोगों का यही कहना था कि पैसे की तंगी के कारण बच्चों का दाखिला प्राइवेट की बजाय सरकारी स्कूलों में किया जा रहा है.
वहीं जैसे-जैसे स्कूलों ने ऑनलाइन शिक्षा की ओर रुख किया, छात्रों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. एएसईआर सर्वेक्षण मोबाइल फोन, कनेक्टिविटी, यहां तक कि बिजली तक पहुंच के मामले में बाधाओं का सामना कर रहे छात्रों के वास्तविक हालात की पुष्टि करता है. सर्वेक्षण में शामिल केवल 27% छात्रों के पास हर समय मोबाइल फोन तक पहुंच थी. वहीं रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के कारण नामांकन के स्तर में तेज गिरावट नहीं आई. पिछले एक साल में सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन 65.8 फीसदी से बढ़कर 70.3 फीसदी हो गया है. 2018 और 2020 के एएसईआर सर्वेक्षणों के बीच स्कूल से बाहर 4% से बढ़कर 5.5% हो गया.
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