
नेवी (Indian Navy) की सबमरीन की गोपनीय जानकारी लीक (Navy Leak Case) करने के मामले में गिरफ्तार किए गए नेवी के मौजूदा और रिटायर्ड अफसरों के खिलाफ ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट (OSA) लग सकता है. इसके लिए सीबीआई ने भारत सरकार से अनुमति मांगी है.जानकारी के मुताबिक इस मामले में गिरफ्तार हुए एक आरोपी की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने आरोपियों की जमानत अर्जी का विरोध किया. एजेंसी ने कहा कि सबमरीन की गोपनीय जानकारियां लीक करने का मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है. ऐसे में दर्ज एफआईआर में OSA यानी ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट सेक्शन जोड़ने के लिए भारत सरकार से अनुमति मांगी गई है.
सीबीआई ने दायर की दो अलग-अलग चार्जशीट
इस मामले में सीबीआई ने दो अलग अलग चार्जशीट दाखिल की थीं. ये दोनों चार्जशीट 2 नवंबर को फाइल की गई थीं. पहली चार्जशीट रिटायर्ड नेवी अफसर एसजे सिंह और रिटायर्ड कमोडोर रिटायर्ड रणदीप सिंह के खिलाफ जारी की गई. आरोप है कि दोनों ने नेवी (Indian Navy) के एक अलग प्रोजेक्ट की जानकारी लीक की. सीबीआई का कहना है कि यह सीक्रेट लीक (Navy Leak Case) करने के लिए रणदीप को 2.40 करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें से 2.9 करोड़ रुपये ट्रैप मनी थे, जो रणदीप, एसजे सिंह को दे रहा था.
वहीं दूसरी चार्जशीट 6 लोगों के खिलाफ की गई. उसमें एसजे सिंह और रणदीप सिंह के साथ ही दो सेवारत कमांडर अजित कुमार पांडे और जगदीश कुमार का नाम भी शामिल है. इनके अलावा हैदराबाद की प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर टीपी शास्त्री, एनवी राव और के चंद्रशेखर भी इस केस में आरोपी हैं. इस मामले में 19 जगह सीबीआई ने सर्च की थी.
ये है पूरा मामला
सीबीआई ने भारतीय सुरक्षा से जुड़ी अहम जानकारी लीक (Navy Leak Case) करने के आरोप में नौसेना के एक कमांडर रैंक के सर्विंग ऑफिसर समेत, 2 रिटायर्ड नेवी अफसर और 2 प्राइवेट लोगों को गिरफ्तार किया. इस मामले में अब तक कुल 5 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. नेवी के Kilo Glass Submarine Modernisation Project की संवेदनशील जानकारियां लीक करने के मामले में ये गिरफ्तारियां की गई हैं.
नेवी की आंतरिक जांच में सही मिला मामला
दरअसल ये पूरा मामला पिछले महीने नौसेना के सीनियर अफसरों के सामने आया था. जिसके बाद नेशनल सिक्योरिटी पर खतरे को ध्यान में रखते हुए नेवी ने अपने स्तर पर इसकी आंतरिक जांच करवाई. वाइस एडमिरल रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में बने 5 सदस्यीय पैनल ने जांच में मामले को सही पाया. इसके बाद यह मामला सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया.सीबीआई ने इस मामले में 19 जगह छापेमारी की थी. जिन शहरों में रेड की गई, उनमें दिल्ली, मुंबई, नोएडा और हैदराबाद समेत कई जगह शामिल थे. रेड्स के दौरान इस केस से जुड़े कई अहम दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक एविडेन्स सीज किए गए.
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