
संसद में उपस्थिति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगाह करने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसदों के रवैये में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है. भारतीय संसद के इतिहास में सोमवार को तीसरी बार ऐसा हुआ, जब 20 से ज्यादा तारांकित प्रश्न लिए गए लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें बीजेपी के 10 सांसद जिनका नाम प्रश्न के लिए शामिल था, वे अतिरिक्त प्रश्न करने के लिए मौजूद नहीं थे.
ऐसा तब हुआ जबकि प्रधानमंत्री ने पिछले हफ्ते मंगलवार को हुई संसदीय दल की बैठक में सभी पार्टी सांसदों को चेतावनी दी थी कि अपनी आदत बदलिए वरना बदलाव हो जाता है. सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान नदारद रहने वाले सांसदों में मुख्य तौर पर लोकसभा में बीजेपी के मुख्य सचेतक राकेश सिंह, बंगाल के बेलूरघाट के सांसद और बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकान्त मजूमदार, बेंगलुरु के सांसद और बीजेपी युवा मोर्चा अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या, पूर्वी चंपारण के सांसद और बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल, कौशांबी से बीजेपी के सांसद विनोद कुमार सोनकर और पाली राजस्थान के सांसद पी पी चौधरी के नाम शामिल है.
हालांकि पार्टी के नेताओं का ऐसा मानना है कि संसद में सप्लीमेंट्री प्रश्न इसलिए नहीं पूछा गया होगा क्योंकि बीजेपी के सांसद सप्लीमेंट्री प्रश्न नहीं पूछना चाहते होंगे और उन्हें संबंधित मंत्रालय के लिखित जबाब से ही संतोष हो गया होगा. लेकिन साथ ही संसदीय कामकाज के अनुभवी कुछ सांसदों का ये भी कहना है कि संसदीय तौर-तरीकों के हिसाब से यदि लिखित उत्तर के बाद सांसद को अतिरिक्त प्रश्न नहीं भी पूछना है तो भी वह अपने सीट पर रहता है और खड़े होकर बताता है कि प्रश्न से मिले उत्तर से वो पूरी तरह संतुष्ट है, लिहाजा वह सप्लीमेंट्री प्रश्न नहीं करना चाहता.
एक बार फिर बीजेपी संसदीय दल की बैठक
अब मंगलवार को सुबह एक बार फिर बीजेपी संसदीय दल की बैठक दिल्ली के अंबेडकर भवन में है और सबकी निगाहें प्रधानमंत्री के भाषण पर टिकी हुई है. इससे पहले सोमवार को विपक्ष के विरोध के बीच फर्जी मतदान को रोकने और मतदाता सूची को आधार संख्या से जोड़ने वाला चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक-2021, लोकसभा में पारित हो गया.
इसमें 18 साल की उम्र पूरी कर चुके व्यक्तियों को मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए साल में चार मौके देने का प्रावधान है. इसके अलावा विधेयक में चुनाव संबंधी कानून को सैन्य मतदाताओं के लिए लैंगिक निरपेक्ष बनाने और चुनाव उद्देश्यों के लिए किसी भी परिसर की आवश्यकता को सक्षम करने के प्रावधान हैं. केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि विधेयक में संशोधन से चुनाव प्रक्रिया स्वच्छ और निष्पक्ष हो सकेगी. उन्होंने कहा कि आधार संख्या को मतदाता सूची से जोड़ना अनिवार्य नहीं बनाया गया है. यह स्वैच्छिक होगा.