
पंजाब के लाखों युवा हर दिन ड्रग्स की चपेट में आ रहे हैं. उनकी नसें, दिल, दिमाग सब पर चिट्टा यानी हेरोइन और स्मैक का राज है. इस वक्त भी जब हम आपसे बात कर रहे हैं. पंजाब के किसी ना किसी पिंड में, किसी ना किसी घर में, कोई ना कोई परिवार, उसके घर का जवान बेटा ड्रग्स की भेंट चढ़ रहा होगा. ये हालात दो दशक से जारी है. ड्रग्स पंजाब के लिए सबसे बड़ा और गंभीर मुद्दा है. इसे आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक फिल्म आई. नाम था उड़ता पंजाब.
फिल्म में दिखाया गया कि कैसे पंजाब के युवा नशे की गिरफ्त में हैं और उनका भविष्य अंधकार में डूबा है. इस फिल्म में पंजाब के कई जिलों में ड्रग्स के कारोबार और उसकी चपेट में आ रही पूरी पीढ़ी के दर्द को दिखाया गया. फिल्म की आलोचना भी हुई कि पंजाब को बदनाम करने की कोशिश हो रही है, लेकिन ड्रग्स की लत में डूबा उड़ता पंजाब उस वक्त चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बन गया.
ड्रग्स के मुद्दे पर बादल सरकार और उनके करीबी मंत्री बिक्रम मजीठिया पर गंभीर आरोप लगे. तस्करों से रिश्तें को लेकर सियासी हमले हुए. पंजाब में सरकार बदल गई. पांच साल बीत गए. 2022 में पंजाब फिर विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा है और फिर एक बार ड्रग्स पंजाब में बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है. खासतौर से पिछले 72 घंटे में पूर्व मंत्री बिक्रम मजीठिया को लेकर. चन्नी सरकार के बड़े धमाके के बाद ड्रग्स पंजाब में सेंटर ऑफ पॉलिटिक्स बन गया है. चन्नी सरकार ने एक साथ कई विरोधियों को घेर लिया है.
हम आपको पंजाब की सियासत में चन्नी का ये नया दांव दिखाएंगे, जिसमें विपक्षी फंस गए हैं. साथ ही ये भी विश्लेषण करेंगे कि ड्रग्स को लेकर पंजाब में हालात क्या है, लेकिन पहले सीएम चन्नी की चाल समझ लिजिए. पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ केस दर्ज हुआ है. मजीठिया पर एनडीपीएस की धारा 25, 27 ए और 29 के तहत मामला दर्ज किया गया है. मजीठिया के खिलाफ स्पेशल टास्क फोर्स की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गई है. ये रिपोर्ट 2018 में एडीजीपी हरप्रीत सिद्धू की अगुवाई में तैयार हुई थी, जिसमें मजीठिया का नाम होने का दावा है. उनकी गिरफ्तारी के भी आदेश दे दिए गए हैं. लिहाजा किसी भी वक्त मजीठिया की गिरफ्तारी हो सकती है. मजीठिया अंडरग्राउंड हो चुके हैं और उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है.
पंजाब का सियासी पारा चढ़ा
खबर ये भी आ रही है कि जल्द ही मजीठिया सलाखों के पीछे जा सकते हैं. ऐसे में पंजाब का सियासी पारा चढ़ा हुआ है, लेकिन राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि कांग्रेस ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. अकाली दल हो या बीजेपी या फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह या पंजाब में सियासी जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी. सबके निशाने पर पंजाब की चन्नी सरकार है और सीएम चन्नी ने एक ही तीर से सभी विरोधियों को निशाने पर ले लिया.
बिक्रम मजीठिया पर एक ही FIR से ड्रग्स का मुद्दा नए सिरे से पंजाब की राजनीति के केंद्र में आ गया है. मुकदमे के बाद लुक आउट नोटिस तक जारी हो गया है. बिक्रम मजीठिया पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है. बड़ी बात ये है कि ये केस कांग्रेस की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें निशाने पर तीन नेता टॉप पर हैं. पहले नंबर पर हैं – अरविंद केजरीवाल, दूसरे नंबर नंबर पर हैं – कैप्टन अमरिंदर सिंह, तीसरे नंबर पर हैं – सुखबीर सिंह बादल. कैसे अब ये बारी बारी से समझिए.
अकाली दल के बड़े नेता और बादल परिवार के बेहद करीबी रिश्तेदार बिक्रम मजीठिया पर विरोधी अकाली सरकार के दौरान ड्रग्स के कारोबार में मिलीभगत का आरोप लगाते रहे हैं. 2017 विधानसभा चुनाव में ये बड़ा मुद्दा था और मजीठिया आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस से सीधे निशाने पर थे, लेकिन सरकार बदलने के बावजूद उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई. लिहाजा कांग्रेस, बाहर और अंदर दोतरफा आलोचना झेल रही थी, लेकिन अब चन्नी सरकार ने मजीठिया के खिलाफ FIR दर्ज करा कर केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर भी अचानक आक्रामक हो गई है, जिससे कांग्रेस को सीधी चुनौती मिल रही है.
केजरीवाल ने मजीठिया से मांगी थी माफी
अब मजीठिया पर कार्रवाई कर कांग्रेस पंजाब के लोगों को याद दिलाएगी कि केजरीवाल ने मजीठिया से माफी तक मांगी थी. दरअसल, बीते विधानसभा चुनाव में मजीठिया को लेकर केजरीवाल के तेवर तीखे थे. केजरीवाल ने मजीठिया पर ड्रग्स का धंधा करने से जुड़े गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके जवाब में मजीठिया ने अरविंद केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा कर दिया. बाद में मामला खत्म करने के लिए केजरीवाल ने अदालत में मजीठिया से माफी मांगी.
केजरीवाल के इस माफीनामे को कांग्रेस पंजाब चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी. कांग्रेस का तर्क होगा कि उसकी सरकार ने मजीठिया पर एफआईआर की जबकि केजरीवाल ने माफी मांग कर उन्हें क्लीन चिट दे दी. हालांकि कांग्रेस पर ये पलटवार किया जा सकता है कि मजीठिया पर कार्रवाई के लिए पांच सालों का इंतजार क्यों किया गया और अब हुआ भी ऐसी ही हैं. AAP नेता के इस सवाल का जवाब यानी बचाव कांग्रेस का दूसरा निशाना है, यानी पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह. कैप्टन बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले हैं, जाहिर है वो भी कांग्रेस के निशाने पर हैं.
कैप्टन के कार्यकाल के दौरान मजीठिया पर कार्रवाई नहीं होने का ठीकरा कांग्रेस कैप्टन पर फोड़ेगी. कैप्टन ने मजीठिया के पक्ष में बयान देकर कांग्रेस का काम आसान ही कर दिया है. तीसरा निशाना है अकाली दल. बिक्रम सिंह मजिठिया अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के साले हैं. इस मामले में मजिठिया के जरिए उनतक भी तार जोड़ने और अकाली दल को सियासी तौर पर घेरने की कोशिश की जाएगी. चन्नी की ये चाल अकाली भी समझ रहे हैं. उनके एक्शन पर रिएक्शन भी हो रहा है.
सीएम चन्नी की इस चाल को पंजाब कांग्रेस के अंदर का संतुलन साधने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. खासतौर से नवजोत सिंह सिध्दू जो रह-रह कर चन्नी को निशाने में लेते रहते हैं. चन्नी ने सूबे के सबसे अहम मुद्दे में बड़ी कार्रवाई कर अपना पलड़ा मजबूत कर लिया है. ये पंजाब में ड्रग्स की सियासत है, लेकिन सवाल ये है कि क्या पिछले पांच साल में पंजाब बदला है. क्या हालात सुधरे हैं या फिर अभी भी ड्रग्स के साथ ‘उड़ता पंजाब’ ही सूबे की सच्चाई है. क्योंकि पंजाब में 5 साल पहले वादे किए गए कि चुनाव जीतने पर ड्रग्स के कारोबार को खत्म किया जाएगा और पंजाब की युवा पीढ़ी को नशे से मुक्त किया जाएगा. लेकिन सच ये है कि पंजाब के युवाओं में नशे की लत कम होने का नाम नहीं ले रही है.
पंजाब में 9 लाख लोग ड्रग्स लेते हैं
आंकड़ों के मुताबिक पंजाब में 9 लाख लोग ड्रग्स लेते हैं. इसमें 3.5 लाख लोग एडिक्ट हैं. पंजाब में नशे से या इससे होनेवाली बीमारी से हर साल 1344 युवा दम तोड़ देते हैं. एनसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2007 से 17 के बीच भारत में 25 हजार लोगों ने नशा नहीं मिलने पर आत्महत्या कर ली. इसमें 74% मामले पंजाब के हैं. कभी भारतीय सेना को सबसे ज्यादा जवान देने वाला पंजाब आज छठे स्थान पर खिसक गया है. यहां के युवा शारीरिक योग्यता में फेल हो रहे हैं.
एक ही सीरिंज से ड्रग्स लेने की वजह से युवाओं में एचआईवी, हेपेटाइटिस-सी और हेपेटाइटिस-बी जैसी बीमारियां फैल रही हैं. प्रदेश में 50 हजार हेपेटाइटिस-सी के मरीज हैं. एचआईवी के मरीजों की संख्या 5 साल में 30% तक बढ़ गई है. हालांकि सच ये भी है कि इन 5 सालों में पंजाब में रिहैब सेंटर की संख्या बढ़ी है और इन नशा मुक्ति केंद्रों पर खुद से इलाज करवाने आने वाले युवाओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन सीएम चन्नी के लिए पंजाब में ड्रग्स अभी भी एक बड़ी चुनौती है, जिसमें कांग्रेस सरकार अंडर परफॉर्मर है, लेकिन सवाल एक और है कि अबतक गिरफ्तारी से बिक्रम मजीठिया को बचा कौन रहा है?
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