
अब फिक्र उस कालेधन (Black Money) की जिसने विकास के रथ को रोक लिया है. वो पैसा जो चंद लोगों की तिजोरी में कैद है, जो पैसा किसी गरीब का घर बनाने, किसी बीमार के इलाज में, किसी छात्र की पढ़ाई में, किसी गांव में सड़क बनाने में खर्च होना था वो पैसा कालेधन वाले किसी कुबेर की तिजोर में बंद है. आज हम आपको बताएंगे कि कालाधन कैसे आपको हमें और आम भारतीय नागरिक को प्रभावित करती है. ये जानने से पहले आपके लिए ये जानना जरूरी है कि आज आखिर हम कालेधन की बात क्यों कर रहे हैं.
150 करोड़, ये बोलने में महज 2 सेकंड का वक्त लगेगा, लेकिन ये दौलत अगर वैध तरीके से कमाने की बात आए तो न जाने कितने साल खपाने पड़ेंगे. सोचिए इतनी दौलत यूपी में पीयूष जैन (Piyush Jain) नाम के एक इत्र कारोबारी (perfume businessman) के घर में उसकी तिजोरी में कैद थी. सवाल ये है कि आखिर इतनी दौलत कैसे पीयूष जैन जैसे लोगों के पास आती है. आखिर कहां से आते हैं इतने नोट.
कैश की गिनती के लिए मंगानी पड़ी नोट गिनने वाली मशीन
कालेधन के कुबेर पीयूष जैन के साम्राज्य की ये सिर्फ एक झलक है. पीयूष जैन की तिजोरी में इतना कैश मिला है जितना आम आदमी सिर्फ सपने में सोच सकता है. लगातार 24 घंटे से ज्यादा वक्त तक गिनती के बाद सरकारी एजेंसियों को अब तक 150 करोड़ से ज्यादा की बेहिसाब रकम का पता चला है. इत्र का कारोबार करनेवाले पीयूष जैन ने सिर्फ अपने घर में ही इतना कैश रखा था कि तिजोरी से बरामद कैश की गिनती के लिए अधिकारियों ने नोट गिनने वाली मशीन मंगानी पड़ी. नोटों की गिनती के बाद उन्हें रखने के लिए स्टील के 17 बक्से मंगाए गए.
GST चोरी की आशंका में अहमदाबाद जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय की टीम पीयूष जैन के घर पहुंची थी. अधिकारियों को उम्मीद नहीं थी कि पीयूष जैन के घर इतना कैश मिल सकता है, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती गई पीयूष जैन की काली कमाई सामने आती जा रही है. पीयूष जैन के घर से अब तक इतना धन बरामद हो चुका है जिसकी हसरत आम आदमी सिर्फ सपने में करता है. सवाल ये है कि आखिर कैसे पीयूष जैन जैसे लोग सिस्टम को धोखा देते हैं. कैसे ये कालाधन सिस्टम की नज़रों से बच जाता है.
पीयूष जैन के ठिकानों से अब तक बरामद हुए 150 करोड़ रुपए
150 करोड़ इतना पैसा अब तक पीयूष जैन के ठिकानों से बरामद हो चुका है. सोचिए नोटों की शक्ल में ये पैसा कितना होगा जिसे गिनने में 24 घंटे से ज्यादा का वक्त लगा. इतना ही नहीं इस रकम को गिनने के लिए बैंक से नोट गिनने वाली मशीन तक मंगानी पड़ी. 150 करोड़ इसका उच्चारण करने में बेशक एक से दो सेकंड का वक्त लगे, लेकिन सोचिए इतना पैसा वैध तरीके से कमाने में आपको-हमको एक आम भारतीय को कितना वक्त लगेगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक 2019-20 में एक आम भारतीय की सालभर की आय 1 लाख 26 हजार 968 रुपए थी. यानी सालभर की जीतोड़ मेहनत करने के बाद एक आदमी एक साल में 1 लाख 26 हजार 968 रुपए कमा पाता है. ऐसे में आपको और हमें 150 करोड़ रुपए कमाने के लिए करीब 11 हजार 811 साल मेहनत करनी होगी. इसे दूसरे शब्दों में समझे तो पीयूष जैन के एक कमरे में जितना पैसा रखा था वो 11,811 आम भारतीय लोगों की सालभर की कमाई है. यानी जितना धन कमाने में एक आम भारतीय को 11 हजार 811 साल लगेंगे, उतना पैसा पीयूष जैन के एक घर से मिला है. पीयूष जैन एक कालेधन का महज एक किरदार है. न जाने ऐसे कितने किरदार हैं जो देश में शहर-शहर मौजूद हैं.
सरकारी सिस्टम को चोट पहुंचाकर भर रहे हैं अपनी तिजोरी
कालेधन वाले ये कुबेर सरकारी सिस्टम को चोट पहुंचाकर अपनी तिजोरी भर रहे हैं. इन्होंने देश की लक्ष्मी को अपनी तिजोरी में कैद कर रखी है. कालाधान को आसान शब्दों में समझिए ये वो कमाई है जिसका कोई हिसाब नहीं है. इसपर कोई टैक्स नहीं दिया जाता और ना ही इसका कोई हिसाब रखा जाता है. सरकार कालेधन को लेकर सख्त है. व्यापार में कालेधन का इस्तेमाल रोकने के लिए GST को लागू किया गया, लेकिन पीयूष जैन जैसे लोग इस सिस्टम को भी धोखा दे रहे हैं. देश में कितना कालाधन है, इसको लेकर कोई सही आंकड़ा नहीं है. अलग-अलग रिपोर्ट्स के मुताबिक कालेधन का आंकड़ा अलग-अलग है. वैसे आपको बता दें कि कालेधन की बीमारी देश में पुरानी है.
National Institute of Public Finance and Policy के मुताबिक 1975 से 76 के दौरान GDP में कालेधन की हिस्सेदारी 15 से 18 फीसदी तक थी. 1980 से 81 के दौरान GDP में कालेधन की हिस्सेदारी 18 से 21 फीसदी तक थी. 1983 से 84 के दौरान GDP में कालेधन की हिस्सेदारी 18 से 21 फीसदी तक थी. 1999 में GDP में कालेधन की हिस्सेदारी 23 फीसदी थी. 2006 में GDP में कालेधन की हिस्सेदारी 25 फीसदी थी. 2013 में GDP में कालेधन की हिस्सेदारी 30 फीसदी थी. यानी कालेधन का ये रोग लगातार बढ़ता रहा है.
पीयूष जैन जैसे लोगों की तिजोरी में देश का ये पैसा बंद है. अगर ये पैसा सरकार के पास होता, सरकारी सिस्टम में होता तो ये पैसा विकास के काम आता. इस पैसे से अस्पताल, स्कूल, सड़क जैसे बुनियादी सुविधाओं का विकास होता और इसलिए कालेधन के खिलाफ आपको जरूर आवाज उठानी चाहिए क्योंकि पीयूष जैन जैसे लोगों की तिजोरी में कैद इस कालेधन ने आपके-हमारे और देश के विकास के रास्ते को रोक रखा है.