उन्नाव हत्याकांड के पीछे कौन लोग हैं, क्या रसूख के चलते मामले की नहीं हुई सही तफ्तीश- पीड़िता के मा-बांप ने बयां किया दुख

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Unnao Police

ये फिक्र बार-बार उठती है कि सत्ता के गलियारे में पहुंचने वाले अगर अपराधी प्रवृत्ति के होंगे, तो उनसे कानून का पालन कराने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? ये फिक्र एक खून खौला देने वाली वारदात से और भी बढ़ गई है. चुनावी राज्य यूपी के उन्नाव (Unnao) में दिल दहला देने वाले हत्याकांड (Murder Case) को अंजाम दिया गया है और आरोप एक पूर्व मंत्री के परिवार पर लगा है. एक दलित लड़की के अपहरण के दो महीने बाद उसकी लाश मिली है. मां-बाप दो महीने तक थाने-थाने चक्कर लगाते रहे. उनका आरोप है कि कोई सुनवाई नही हुई क्योंकि कठघरे में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के एक बड़े नेता, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उनका बेटा है इसलिए उसके रसूख के चलते मामले की सही तफ्तीश नहीं हुई और उसका नतीजा ये हुआ कि उनकी बेटी की जान चली गई.

पीड़ित मां अपनी बेटी को दो महीने से गांव के कोने-कोने में तलाश रही थी, लेकिन दो महीने बाद इस गड्ढे में दबी पड़ी उसकी लाश मिली. आखिर इस महिला बेटी की मौत के पीछे कौन लोग हैं, उनकी पहचान क्या है और ताकत क्या है? पीड़ित मां का कहना है कि कहते थे तुम्हारी लड़की बालिग है, कहीं भाग गई होगी, आ जाएगी. सबको पता था रजोल सिंह ने मारकर गाड़ दिया. ये महिला जिस पर इल्जाम लगा रही है. वो इलाके का एक रसूखदार है. आरोप है कि उसने ना सिर्फ लड़की को अगवा किया, बल्कि अपने पिता के बनाए आश्रम के पीछे. खाली पड़ी जमीन पर उस लड़की की कब्र बना दी.

64 दिन बाद 4 फुट के गड्ढे में लापता लड़की की लाश मिली. मामला उन्नाव के कब्बाखेड़ा का है. पिछले साल 8 दिसंबर से लापता लड़की की तलाश में गुरुवार को जब इस जगह खुदाई शुरू हुई, तो गड्ढे में कंबल में लपेटकर दफनाई गई लाश मिली. लड़की की मां और पिता का दिल ये सोच-सोचकर फटा जा रहा है कि वो पहले भी इस जगह अपनी बेटी को तलाशने आए थे, लेकिन अगर तब पुलिस ने साथ दिया होता, तो उनकी बेटी आज जिंदा होती. पीड़ित मां ने कहा, ‘हमने अपहरण की नामजद रिपोर्ट दी, लेकिन जो टाइपिंग करते हैं कोतवाली में.उन्होंने तुरंत बोला. नामजद रिपोर्ट क्यों कर रही हो, उसका नाम हटा दो. किसी ने नामजद रिपोर्ट नहीं लिखी, गुमशुदगी में डाल दिया गया. कोई कार्रवाई नहीं हुई, हमने पचासो चक्कर लगाए. पुलिस प्रशासन ने मदद की होती, तो मेरी लड़की जिंदा मिली होती. किसी ने मेरी मजबूरी नहीं समझी. दो महीने बाद मेरी लड़की की लाश खुदवाई गई. अगर पुलिस प्रशासन ने मेरी मदद की होती, तो मेरी लड़की जिंदा मिल गई होती.’

आश्रम सपा की सरकार में राज्यमंत्री रहे दिवंगत फतेह बहादुर सिंह ने बनवाया था

जिस आश्रम के पीछे की जमीन में लड़की की लाश को दफनाया गया था, वो आश्रम समाजवादी पार्टी की सरकार में राज्यमंत्री रहे दिवंगत फतेह बहादुर सिंह ने बनवाया था और उनके ही बेटे रजोल सिंह पर 8 दिसंबर को गांव की एक दलित लड़की को अगवा करने और बंधक बनाए रखने का आरोप है. इल्जाम है कि ऊंचे रसूख के चलते पुलिस ने रजोल सिंह पर सख्त एक्शन नहीं लिया. पीड़ित मां ने कहा, ‘इसका आश्रम है दिव्यानंद, वहां हमें शंका हुई. हमारे पति और एक सिपाही को भेजा, वहां सारा आश्रम दिखा दिया. लेकिन एक दरवाजा खोलकर नहीं दिखाया, जिसमें मेरी लड़की बंद थी. प्रेम नारायण दीक्षित को सिपाही ने फोन किया. साहब ये ताला खुला है, इसमें सफाई भी हुई है. लाइट भी जल रही है, लेकिन चाभी नहीं दे रहे महात्मा जी.’

बेटी की तलाश करते मां और पिता को जब पुलिस से कोई उम्मीद नहीं दिखी तो वो 24 जनवरी को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से गुहार लगाने लखनऊ जा पहुंची, लेकिन वहां भी निराशा मिली, तो उन्होंने अखिलेश यादव की गाड़ी के आगे आत्मदाह की कोशिश की थी, लेकिन फिर भी बेटी का कोई सुराग नहीं मिला और जब वापस उन्नाव आई, तो पुलिसवालों ने डराया और धमकाया.

पीड़ित मां ने कहा, ‘हम लोगों को सड़क पर मिल गए, सीओ ने कहा. इंस्पेक्टर ने कहा क्या करने गई थी लखनऊ, हमने कहा कि जब मेरी सुनवाई नहीं हुई, तो जान देने गए थे. तो कहने लगे कि तुम चाहें जितना मारी-मारी घूमो. जो यहां से हम लिखकर देंगे, वही होगा.’ मामला लखनऊ तक उछल जाने के बाद उन्नाव पुलिस पर सवाल उठने लगे, जिसके बाद पुलिस ने रजोल सिंह को गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन उसके बाद भी लड़की की तलाश में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला है कि लड़की की मौत गला दबाने की वजह से हुई

पीड़ित पिता ने कहा, ‘पुलिस प्रशासन ने मिलकर हमारी लड़की को मरवाया है. पुलिस को पता था कि लड़की कब मारी गई है. कब और कहां दफनाई गई है, पुलिस को पूरा पता था, लेकिन हमको टहला रहे थे कि गरीब परिवार है. महीना, दो महीना भटकेगा..भूखों मरने लगेगा. तो अपने आप कमाने खाने लग जाएगा.’ हालांकि लाश मिलने के बाद लड़की की मौत की वजह तय करने में पुलिस ने तेजी जरूर दिखाई. तीन डॉक्टरों के पैनल से फौरन पोस्टमॉर्टम कराया गया.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला है कि लड़की की मौत गला दबाने की वजह से हुई है यही नहीं उसकी गर्दन की हड्डी भी टूटी मिली है और सिर में भी घाव के दो निशान मिले हैं. पीड़ित के पिता ने कहा, ‘रिपोर्ट में 45 दिन..लड़की को मरा दिखाया गया है. लड़की को आज 63 दिन हो गए गायब हुए. 18 दिन लड़की कहां रही, 18 दिन हमारी लड़की के साथ. गैंगरेप हुआ, इसलिए रिपोर्ट दबाई जा रही है.’ उन्नाव एएसपी शशिशेखर ने कहा, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट क्योंकि डेडबॉडी लगभग दो महीने पुरानी है इसलिए वो सभी तथ्य इसमें नहीं आ सकते थे. बयान और विवेचना के आधार पर रेप की बात अगर आती है तो निश्चित तौर पर रेप से संबंधित धाराएं बढ़ जाएगी.’

जिस तरह से और जितना अब तक इस मामले में सामने आया है, वो बताता है कि जितना गुनाह लड़की को मारने वालों का है, उससे कम पुलिस का भी नहीं क्योंकि लड़की के मां-बाप जब बार-बार पुलिस से गुहार लगाने जाती, तो पुलिसवाले ड्यूटी करने की बजाय उन पर ब्लैकमेलिंग की तोहमत लगाते थे. पीड़ित की मां ने कहा, ‘सीओ, इंस्पेक्टर सबको पता था. इंस्पेक्टर ने उल्टा हमसे कहा कि तुम्हारा धंधा है, तुम लोग पैसा मंगवाती हो लड़कियों से, तुम्हारे ही पास लड़की है.’ पुलिस के एक्शन पर क्वेश्चन उठे.तो आला अफसरों ने आरोपों में घिरे कोतवाली प्रभारी को सस्पेंड कर दिया बाकी के खिलाफ जांच और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. ये रटा-रटाया बयान देते फिर रहे हैं.

इस मामले में कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं. मसलन अपहरण का मकसद क्या था, क्या किसी बड़े अपराध पर पर्दा डालने के लिए हत्या की गई ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि जिस लड़की हत्या हुई है उसके पिता ने बहुत संगीन इल्जाम लगाए हैं. पीड़ित के पिता ने कहा, ‘इसमें बहुत अपराधी हैं, इसका धंधा ही यही है. देखना, कितनी लड़कियां मिलती हैं आश्रम में. बहुत लड़कियां वहां गड़ी हैं. खुदवाया तो जाए इसका बिजनेस है, लड़कियां उठाता है, बेच देता है आधार यही था. हमने कहा था कि हमारी लड़की रजोल सिंह के पास है, दिव्यानंद आश्रम में रखा है बाकी लड़कियों के बारे में सुना और उन्हीं के आधार पर अपनी लड़की की खोज की, नहीं तो मैं भी भूल जाता. समझता कि लड़की भाग गई थी.’

समाजवादी पार्टी पर बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने भी जोरदार हमला बोला

लड़की के परिवारवाले अपनी बेटी के साथ गैंगरेप का भी आरोप लगा रहे हैं. चुनावी माहौल में उन्नाव में हुए हत्याकांड पर सियासत शुरू होने भी देर नहीं लगी. मामले में समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे नेता का बेटे आरोपी है. इसलिए समाजवादी पार्टी से सवाल पूछे गए. अखिलेश यादव ने अब पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है. बीजेपी को घेरा है. योगी सरकार के कानून-व्यवस्था के दावों पर सवाल उठाए हैं, लेकिन बेहतर होता कि अखिलेश यादव ने एक नेता का धर्म निभाते हुए एक मां को इंसाफ दिलाने की कोशिश की होती, जबकि यूपी में सत्ता में बैठी बीजेपी अब अखिलेश यादव और उनकी पार्टी को कटघरे में खड़ा कर रही है.

समाजवादी पार्टी पर बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने भी जोरदार हमला बोला है. मायावती ने कहा है कि उन्नाव जिले में सपा नेता के खेत में दलित युवती का दफनाया हुआ शव बरामद होना दुखद और गंभीर मामला है. राज्य सरकार पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए दोषियों के खिलाफ तुरंत सख्त कानूनी कार्रवाई करे. देखा आपने, किस तरह उन्नाव कांड पर सियासी दांव खेला जा रहा है..लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है कि देश में या यूपी में नेताओं या उनके परिवार के लोगों का नाम रेप, अपहरण या हत्या के मामले में सामने आया हो क्योंकि जिस उन्नाव में इस वक्त एक लड़की की हत्या को लेकर सियासी हल्ला हो रहा है वो उन्नाव चार साल पहले भी सुर्खियों में आया था.

2017 में एक नाबालिग से गैंगरेप हुआ था और आरोपों के घेरे में थे उस वक्त के कुलदीप सिंह सेंगर का. कुलदीप सिंह सेंगर उस वक्त उन्नाव की बांगरमऊ सीट से बीजेपी विधायक थे. पुलिस पर सवाल उठे. पीड़ितों को धमकाया गया और आखिरकार मामला CBI को सौंप दिया गया. 13 अप्रैल 2018 को कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार कर लिया गया. अगस्त 2019 में बीजेपी ने सेंगर को पार्टी से निकाल दिया. सुप्रीम कोर्ट ने केस दिल्ली ट्रांसफर कर दिए गएऔर 20 दिसंबर 2019 को कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई और वो दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है और उम्रकैद की सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील कर रखी है.

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