बीजेपी (BJP) का नारा ‘कांग्रेसमुक्त भारत’ का है, लेकिन केंद्रीय सड़क परिवहन और महामार्ग मंत्री और महाराष्ट्र से बीजेपी के सबसे सीनियर नेता नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) कांग्रेसयुक्त भारत की बात कर रहे हैं. क्यों चौंक गए? चौंकने वाली बात नहीं है. संसद में सभी पार्टियों के लोग नितिन गडकरी की तारीफों के पुल बांधा करते हैं. कांग्रेस (Congress) के नेता शशि थरुर से लेकर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के इम्तियाज जलील तक उनके कामों के फैन हैं. महाराष्ट्र में सीएम उद्धव ठाकरे से डिप्टी सीएम अजित पवार तक और कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण से लेकर शिवसेना के संजय राउत तक गडकरी के फैन हैं. इतना ही नहीं अपनी ही पार्टी बीजेपी की बात करें तो देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस ने अपने पसंदीदा नेता के तौर पर फडणवीस का नाम ना लेकर गडकरी का नाम लिया है. ऐसे में गडकरी भी दूसरी पार्टियों को मिटाने की बात ना करते हुए उसके मजबूत होने की दुआ करते हैं तो चौंकने वाली क्या बात है?
लेकिन गडकरी का कांग्रेस पर दिया गया यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का मुद्दा तो बन ही गया है. वैसे भी गडकरी बीजेपी में अटल बिहारी वाजपेयी को गुरु मानने वाले शख्स हैं और उन्ही की तरह की राजनीति पर विश्वास रखते हैं. एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘ लोकतंत्र के लिए कांग्रेस का मजबूत होना जरूरी है. लगातार चुनावों में हारने वाली कांग्रेस फिर मजबूत बने और पार्टी के नेता निराश होकर पार्टी ना छोड़ें. यही मेरी इच्छा है. कांग्रेस पार्टी कमजोर हो रही है, इसीलिए देश की मुख्य विपक्षी पार्टी की जगह लेने के लिए क्षेत्रीय पार्टियां आगे आ रही हैं. देश के लिए यह शुभ लक्षण नहीं हैं.’
पक्ष और विपक्ष हैं लोकतंत्र के दो पहिए-गाड़ी चलती रहे, कांग्रेस मजबूत बनी रहे
मराठी न्यूज वेबसाइट लोकमत के एक कार्यक्रम में बोलते हुए नितिन गडकरी ने कहा , ‘लोकतंत्र दो चक्कों पर चलता है. सत्ता पक्ष और विपक्ष. मजबूत विपक्ष लोकतंत्र की जरूरत है. इसलिए कांग्रेस मजबूत रहे, यह मेरी इच्छा है.’
आगे गडकरी ने कांग्रेस से जुुड़े नेताओं को संबोधित करते हुए यह संदेश दिया कि हार से निराश ना हों और पार्टी के साथ बने रहें. उन्होंने कहा, ‘जिनका कांग्रेस की विचारधारा में विश्वास है, उनका विश्वास डगमगाना नहीं चाहिए. उन्हें पार्टी के साथ पूरी मजबूती से खड़े रहना चाहिए. हार से हताश होने की बजाए काम करते रहें. हार है आज तभी कल हो सकती जीत है.’ इस दरम्यान उन्होंने बीजेपी का वो दौर याद किया जब संसद में सिर्फ दो सीटें हुआ करती थीं. लेकिन उन्होंने कहा, ‘कार्यकर्ताओं की मेहनत से समय बदला और अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में हमें अपना प्रधानमंत्री मिला. इसलिए ऐसी हालत में निराश होकर विचारधारा ना छोड़ें.’ कांग्रेस के नेताओं से उन्होंने यही आह्वान किया.
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