
ब्रिटेन और अमेरिका जैसे मुल्क इस वक्त कोरोना (Corona) का कहर झेल रहे हैं. अमेरिका (America) में चार लाख तो ब्रिटेन (Britain) में एक लाख से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं. लेकिन ब्रिटेन की हेल्थ अथॉरिटीज का दावा है कि ज्यादातर मरीज ऐसे हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं क्योंकि ओमिक्रॉन वेरिएंट फिलहाल इतना खतरनाक नहीं नजर आता.
अब इन सारे दावों से अलग कुछ नई स्टडीज भी ओमिक्रॉन (Omicron) को लेकर सामने आई है. ब्रिटेन में दो स्टडी की गई. इसके अलावा बेल्जियम, जापान और हांगकांग में भी रिसर्च की गई. इन सारी रिसर्च को देखने से पता चलता है कि जो बात ओमिक्रॉन को लेकर देश और विदेश मे कही जा रही है, वो अभी तक तो सही साबित हो रही है. यानी ओमिक्रॉन फैलता तेजी से है, मगर ज्यादा घातक नहीं है.
‘डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन वेरिएंट में वायरल लोड काफी कम’
ब्रिटेन के लिवरपूल में हुई रिसर्च कहती है कि डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन वेरिएंट में वायरल लोड काफी कम है. फेफड़े में संक्रमण काफी कम रहता है, जहां तक जलन की बात है तो उसका लेवल भी कम है. ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की तरफ से भी वायरस के वेरिएंट को स्टडी किया गया. स्टडी में इसका नतीजा भी ये दिखाता है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट फेफड़े की कोशिकाओं को इन्फेक्ट नहीं कर पाता. इसका मतलब लंग्स के लिए घातक नहीं है.
जापान ने सीरियन हैमस्टर मॉडल को लेकर वायरस को स्टडी किया. इसमें भी पता चला कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के चलते सांस लेने में दिक्कत नहीं होती, क्योंकि इससे इन्फेक्ट होने के बाद भी फेफड़े सुरक्षित रहते हैं. बेल्जियम के वैज्ञानिकों नें भी इसी मॉडल को लेकर रिसर्च शुरू की. वायरस के वेरिएंट का गहराई से अध्ययन किया तो पता चला कि डेल्टा के मुकाबले शरीर को कम नुकसान पहुंचता है. वायरस इतनी जल्दी मल्टीप्लाई नहीं हो पाता.
‘ओमिक्रॉन से ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं’
हांगकांग में हुई लैब स्टडी बताती है कि ओमिक्रॉन से ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस रिसर्च की भी फाइंडिंग थी decreased lung cell infectivity यानी आपके फेफड़े सुरक्षित रहेंगे. आपको याद होगा 24 नवंबर को साउथ अफ्रीका में इस वेरिएंट को सबसे पहले डिटेक्ट किया गया. पता ये चला कि शुरुआत में तो ओमिक्रॉन के केस वहां बढ़ें, लेकिन कुछ दिन बाद ओमिक्रॉन संक्रमितों के मामले काफी कम हो गए.
दक्षिण अफ्रीका के डरबन में अफ्रीका हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक वायरोलॉजिस्ट ने बताया कि ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट को हटा रहा है. हो सकता है कि डेल्टा वेरिएंट को हटाना वाकई अच्छी बात हो. ये वेरिएंट डेल्टा की तुलना में बहुत कम नुकसान पहुंचाएगा. लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के साइंटिस्ट कार्ल पियर्सन ने भी इसी बात को आगे बढ़ाया और कहा कि ओमिक्रॉन तेजी से फैलता है. ऐसा लगता है कि इससे डेल्टा का सफाया होने लगता है, लेकिन आगे क्या होगा इसे लेकर अभी ज्यादा डेटा नहीं है.
येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक महामारी वैज्ञानिक नाथन ग्रुबॉघ ने भी इंडिपेंडेट रिसर्च की. उनका कहना है कि हम कनेक्टिकट में एक ही पैटर्न देख रहे हैं. हम देख रहे हैं कि ओमिक्रॉन तेजी से बढ़ रहा है और डेल्टा के मामले कम होते जा रहे हैं. वैज्ञानिकों ने ओमिक्रॉन वेरिएंट से ठीक हुए लोगों पर अपनी स्टडी की. उन्होंने पाया कि इन लोगों में हाई लेवल की एंटीबॉडी थी. ये एंटीबॉडी डेल्टा जैसे खतरनाक वेरिएंट के खिलाफ भी बेहद प्रभावी साबित हुए. हालांकि अभी ओमिक्रॉन की शुरुआती स्टेज है. डेल्टा के बारे में भी शुरुआत में इसी तरह के संकेत दिए गए थे, लेकिन आगे क्या हुआ, कैसी तबाही मचाई, ये पूरी दुनिया जानती है इसलिए रिसर्च से एक अंदाजा मिल सकता है, लेकिन वायरस से बचने के लिए सावधानी तो अपने हाथ में ही है.
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