
मुगल शासक जहांगीर की बेगम ने आज ही के दिन यानी 5 जनवरी 1592 को एक बेटे को जन्म दिया. जहांगीर ने अपने पिता अकबर से उसके बेटे का नाम रखने की इच्छा जताई. अकबर ने उसे खुर्रम बुलाया. फारसी में खुर्रम का मतलब होता है खुशी. पैदाइश के छठवें दिन खुर्रम को अकबर की बेगम रुकैया के हवाले कर दिया गया. क्योंकि बेगम रुकैया की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उसने खुर्रम को गोद ले लिया.
अकबर खुर्रम के दादा थे. खुद अनपढ़ थे, लेकिन उन्होंने खुर्रम को तालीम दिलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. साथ ही बढ़िया उस्तादों से उसे जंग के सबक भी सिखवाए. अकबर का खुर्रम से इतना लगाव हो गया था कि वो जंग में खुर्रम को भी साथ ले जाने लगा.यहीं से सफर शुरू हुआ खुर्रम के ‘शाहजहां’ बनने का सफर
1627 में जहांगीर की मौत हो गई. उसकी मौत के बाद 1628 में खुर्रम ने तख्त संभाला. तख्त संभालने के बाद खुर्रम का नाम शाहजहां हो गया. शाहजहां यानी दुनिया का राजा.
1631 में रखी ताजमहल की नींव
शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल का निर्माण कराया था, जिसकी खूबसूरती की दुनिया दीवानी है. ताजमहल को भले मुमताज के नाम से जाना जाता हो, लेकिन इसमें केवल मुमताज महल का ही मकबरा नहीं, बल्कि शाहजहां की दो अन्य बेगमें भी इसी परिसर में दफन हैं.1631 में ही ताजमहल की नींव रख दी गई. 22 जून 1632 को जब मुमताज महल का पहला उर्स मनाया गया, तब ताजमहल का लाल पत्थर का बेस तैयार हो चुका था, जिस पर टेंट लगाकर उर्स मनाया गया.
ताजमहल का डिजाइन उस्ताद अहमद लाहौरी ने तैयार कर शाहजहां को दिखाया. शिराज से अमानत खान को गुंबद पर केलीग्राफी का काम सौंपा गया. गयासुद्दीन ने मकबरे के पत्थर पर इबारतें लिखीं. तुर्की के गुंबद बनाने के शिल्पी इस्माइल खान अफरीदी को गुंबद बनाने की जिम्मेदारी दी गई.
मुमताज को दफनाते वक्त शाहजहां मौजूद नहीं थे
इतिहासकार राज किशोर राजे बताते हैं कि बुरहानपुर से मुमताज का शव ताजमहल में लाकर पहले अस्थाई तौर पर दफनाया गया. शव लेकर उनका बेटा शाहशुजा आया था. सुपुर्द ए खाक किए जाते समय शाहजहां वहां मौजूद नहीं थे.
112 साल पुराने फानूस से रोशन हैं कब्रें
ब्रिटिश वायसराय लार्ड कर्जन ने मिस्र की राजधानी काहिरा में फानूस देख उसी की तरह के फानूस बनवा कर 16 फरवरी 1908 को मुमताज की कब्र के ऊपर लगवाया. यह पीतल का बना हुआ है, लेकिन सोने और चांदी से मढ़ा गया था. एक साल बाद 1909 में लाहौर के मायो स्कूल आफ आर्ट से फानूस बनवाया गया, जिसे रॉयल गेट पर लगाया गया.