
कोरोना संकट के बीच हर जगह लोगों से कोरोना गाइडलाइंस का पालन करने को कहा जा रहा है, लेकिन कई जगहों पर इसका जमकर उल्लंघन भी हो रहा है. अब महाराष्ट्र के कोरेगांव भीमा मेमोरियल में हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों में से 5 लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं. यहां पर 5,765 लोगों की टेस्टिंग की गई.
स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि 5,000 से अधिक व्यक्तियों में से 5, जो शनिवार को जिले में जयस्तंभ सैन्य स्मारक (Jaystambh military monument) का दौरा किया था, वो रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. कोरेगांव भीमा युद्ध की 204वीं वर्षगांठ के अवसर पर लाखों लोगों ने स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की.
5 हजार से ज्यादा टेस्टिंग की गईः SP देशमुख
पुणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक अभिनव देशमुख ने कहा, “पार्किंग क्षेत्र में एक थर्मल स्क्रीनिंग सुविधा थी जहां लोगों को कोविड-19 लक्षणों के लिए जांच की गई और कुछ का एंटीजन किट के साथ टेस्ट किया गया.” उन्होंने कहा, “शाम 5 बजे तक कुल 5,765 टेस्ट किए गए जिसमें से पांच लोग पॉजिटिव पाए गए.”
पुणे जिला परिषद के सीईओ आयुष प्रसाद ने कहा कि कोरोना पॉजिटिव पाए जाने वाले 5 लोगों में से 2 लोग नासिक के रहने वाले हैं. प्रसाद ने कहा, “हमने उन्हें वापस नासिक भेज दिया है और वहां के जिला प्रशासन को भी सूचित किया. शेष तीन लोग पुणे जिले के हैं. इनमें से एक अकेला रहता है इसलिए उसे होम क्वारंटाइन का पालन करने के लिए कहा गया, जबकि अन्य दो को संस्थागत संगरोध में भेजा गया है.”
उन्होंने कहा कि सभी पांच मरीज ज्यादातर एस्प्टोमैटिक हैं और आरटी-पीसीआर टेस्ट के अधीन होंगे. सीईओ प्रसाद ने कहा कि 300 से अधिक मेडिकल प्रोफेशनल्स ने मौके पर देर शाम तक करीब छह लाख लोगों की जांच की.
लोगों ने मास्क नहीं लगाए, हमने 81 हजार से ज्यादा बांटेः CEO प्रसाद
लोगों द्वारा कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं करने के बारे में पूछे जाने पर सीईओ प्रसाद ने कहा कि प्रशासन ने अपील की थी कि वरिष्ठ नागरिक और 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे इस कार्यक्रम में शामिल न हों. उन्होंने कहा, “लेकिन कई लोग अपने परिवारों के साथ आए और वरिष्ठ नागरिकों तथा बच्चों को साथ भी लाए. कुछ लोग जिन्होंने मास्क नहीं पहना था, उन्हें मुफ्त मास्क दिया गया. हालांकि कई जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया.” एक अन्य अधिकारी ने कहा कि शाम 5 बजे तक 81,000 से अधिक मास्क वितरित किए गए.
दलित समुदायों के सदस्य जयस्तंभ स्मारक को जातिवाद पर जीत के प्रतीक के रूप में देखते हैं क्योंकि ब्रिटिश सेना ने 1 जनवरी, 1818 को कोरेगांव भीमा में ब्राह्मण पेशवा की सेना को हराया था, जिसमें दलित महार समुदाय के सैनिक शामिल थे.
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