
यूपी चुनाव में बुधवार को बीजेपी ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया. पार्टी की तरफ से अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई. अलायंस पार्टनर को कितनी सीट मिलेंगी, ये भी करीब-करीब कनफर्म हो चुका है, लेकिन इस सबके बीच बीजेपी की आने वाली लिस्ट को लेकर एक्सक्लूसिव जानकारी सामने आई है. पता ये चला है कि अब कई बड़े नेता और मंत्री तक अपने परिवारवालों को टिकट दिलाने के चक्कर में लगे हैं. लखनऊ से दिल्ली तक फोन घुमा रहे हैं. खबर है कि बीजेपी के अंदर बहुत बड़ी तादाद में सीनियर नेता अपने परिवार के लोगों को राजनीतिक रण में उतारने की कवायद में हैं.
टीवी9 भारतवर्ष को बीजेपी के टॉप सूत्रों से एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि ऐसे कम से कम 20 बड़े नेता हैं, जो अपने परिवार के लोगों को टिकट दिलाना चाहते हैं. किसी को बेटे के लिए विधायक का टिकट चाहिए तो कोई अपनी बहू और बेटी के लिए विधानसभा में सीट पक्की करना चाहता है. टिकट की डिमांड करने वालों में कई केंद्रीय मंत्री और सांसदों के नाम भी हैं. अपनी सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए परिवार के लोगों के लिए टिकट मांगने वालों की लिस्ट में योगी सरकार के कुछ मंत्री भी हैं.
यूपी विधानसभा स्पीकर से लेकर बिहार के राज्यपाल तक अपने बेटों को चुनाव लड़वाकर विधायक बनाना चाहते हैं. यूपी विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित अपने बेटे दिलीप दीक्षित के लिए उन्नाव की पुरवा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. उन्नाव की पुरवा सीट पर बीजेपी आज तक नहीं जीती. 2017 में बीएसपी के अनिल सिंह चुनाव जीते थे. 2017 में बीजेपी के उत्तम चंद्र दूसरे नंबर पर रहे थे.
बिहार के राज्यपाल फागू चौहान को भी बेटे के लिए टिकट की आस
बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने अपने बेटे रामविलास चौहान के लिए मऊ की मधुबन विधानसभा सीट से टिकट की उम्मीद लगा रखी है. बीजेपी ने पहली बार मधुबन सीट 2017 में जीती. 2017 में बीजेपी के टिकट पर दारा सिंह चौहान जीते. दारा सिंह चौहान अब समाजवादी पार्टी में चले गए हैं. देखा आपने, मंत्री से लेकर सांसद और स्पीकर तक सब अपने परिवार के लिए बीजेपी की टिकट मांग रहे हैं. हालांकि इस सबके बीच आज बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ गठबंधन का फॉर्मूला तय कर लिया. आज बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ कहा कि बीजेपी और सहयोगी दल यूपी की सभी 403 सीटों पर लड़ेंगे. हालाकि इस अलायंस का एक मतलब ये भी है कि अब बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ओबीसी वोट बैंक एक दम क्लियर हो चुका है.
अब सीधी लड़ाई गैर यादव ओबीसी वोटर्स पर आकर टिक गई है. बीजेपी के पास 19 परसेंट सवर्ण वोटर्स के साथ अब 6 परसेंट कुर्मी और 18 परसेंट निषाद वोटर्स का साथ है. दूसरी तरफ अखिलेश के पास M Y कॉम्बिनेशन यानी मुस्लिम यादव वोटबैंक है. यूपी में 19 परसेंट मुस्लिम और 10 परसेंट यादव वोटर है. चूंकि अखिलेश का जयंत चौधरी और ओपी राजभर से भी अलायंस है इसलिए जाट और राजभर भी साथ आ सकते हैं. यूपी में राजभर वोट 2 परसेंट के आसपास है. 4 से 5 परसेंट जाट हैं. इसके साथ साथ जो गैर यादव ओबीसी नेता अखिलेश के साथ आए हैं. उनका वोट बैंक भी शिफ्ट हो सकता है. जैसे यूपी में 5 परसेंट मौर्य वोटर है. अब स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ आने से अखिलेश को कितना फायदा होगा या बीजेपी को कितना नुकसान ये तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि एक साथ सारा वोट बैंक शिफ्ट होना मुश्किल लगता है.
इसी तरह धर्म सिंह सेनी बीजेपी से समाजवादी पार्टी में आए. यूपी में सैनी वोटर 2 परसेंट है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि सारे वोटर्स अखिलेश को ही वोट करेंगे इसलिए चुनाव में कौन सी जाति का वोट किसे पड़ेगा ये चुनाव के बाद पता चलेगा, लेकिन इतना जरूर है कि आज बीजेपी ने अखिलेश के वोटों को काउंटर करने का प्लान बना लिया. बीजेपी ने सिर्फ ओबोसी वोटर को लेकर काउंटर प्लान ही तैयार नहीं किया, बल्कि अब तो बात मुलायम सिंह यादव के फैमिली मेंबर की ज्वाइनिंग तक आ गई. यूपी चुनाव से पहले आज समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा.
राष्ट्रधर्म सबसे ऊपर हैः अपर्णा यादव
आज मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया. टीवी9 भारत वर्ष ने सबसे पहले ये खबर बताई थी और आज इसपर मुहर भी लग गई. दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में अपर्णा यादव बीजेपी में शामिल हो गईं. इस मौके पर यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी मौजूद थे. वैसे अपर्णा यादव का बीजेपी में जाना कोई बड़ा सरप्राइज नहीं था. अपर्णा यादव कई मौकों पर खुले तौर पर प्रधानमंत्री मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ कर चुकी हैं. आज भी बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद अपर्णा यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी का नाम लिया. उनके काम को एडमाइर किया. अपर्णा ने ये भी कहा कि राष्ट्रधर्म उनके लिए सबसे ऊपर है. हालांकि अपर्णा यादव ने कहा कि वो बीजेपी में परिवार का आशीर्वाद लेकर आई हैं. लेकिन अखिलेश यादव ने कहा कि नेताजी ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की फिर भी वो नहीं मानीं.
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