वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामदरश मिश्र (Dr. Ramdarash Mishra) के निवास पर डॉ. प्रकाश मनु पर केंद्रित सोच विचार पत्रिका (Soch Vichar Magazine) का लोकार्पण (Launch) एवं परिचर्चा कार्यक्रम संपन्न हुआ. पत्रिका के विशेषांक का लोकार्पण श्री मिश्र जी के द्वारा किया गया. इस दौरान वाराणसी से पत्रिका के संपादक नरेंद्र नाथ मिश्र, वरिष्ठ आलोचक व कवि डॉ. ओम निश्चल, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रोफ़ेसर डॉ. स्मिता मिश्र, डॉ. जसवीर त्यागी, विशेषांक के अतिथि संपादक डॉ. वेद मित्र शुक्ल, डॉ. रामसुधार सिंह, डॉ. राहुल, डॉ. वैद्यनाथ झा और रविशंकर सिंह की महत्वपूर्ण उपस्थिति रहे हैं.
इस समारोह में कई दिग्गज रचनाकार रहे मौजूद
सोच विचार के विशेषांक “प्रकाश मनु एकाग्र” का लोकार्पण करते हुए डॉ. रामदरश मिश्र ने संपादकद्वय डॉ. जितेन्द्रनाथ मिश्र एवं नरेंद्रनाथ मिश्र सहित अतिथि संपादक वेद मित्र शुक्ल को हार्दिक बधाई देते हुए कहा – डॉ. प्रकाश मनु पर केंद्रित “सोच विचार” के विशेषांक का लोकार्पण उन्हें सुख दे गया. यह सुख समवेत सुख है. सुख है कि इस पत्रिका से मैं गहरे जुड़ा हुआ हूँ. सुख है कि इसके संपादक द्वय मेरे बहुत अपने हैं. सुख है कि इस अंक के अतिथि संपादक डॉ. वेद मित्र शुक्ल मेरे परम आत्मीय हैं. सुख है कि प्रकाश मनु मेरे अत्यंत प्रिय अनुजवत हैं.
पत्रिका का विशेषांक डॉ. प्रकाश मनु के व्यक्तित्व और लेखन पर केंद्रित है
पत्रिका का यह विशेषांक डॉ. प्रकाश मनु के व्यक्तित्व और लेखन की अनेक विशेषताओं को प्रसन्न भाव से उजागर करता है. लेखक अनेक लोग होते हैं लेकिन लोगों का सहज प्यार उन्हें ही मिलता है जो अच्छे मनुष्य होते हैं, जिनमें सहज सादगी होती है, जिनमें सामान्य जन के लिए अपनापन होता है. डॉ. प्रकाश मनु में मनुष्यता की यह आभा देखी जा सकती है. विशेषांक में प्रायः सभी लेखकों ने मनु जी की यह छवि रेखांकित की है. मनु जी की सादगी में स्वाभिमान दीप्त रहता है. इसके तहत वे अपने और अपने लेखन के लिए किसी के मुखापेक्षी नहीं होते. प्रकाश मनु बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं. वे विशिष्ट कवि, कथाकार, आलोचक और गद्यकार हैं. सभी विधाओं के लेखन में वे अपने जैसे हैं. यानी उनके सर्जना और आलोचना का अपना रूप रंग है जो अत्यंत आत्मीय और पठनीय लगता है. बाल साहित्य से संबंधित उनका सर्जनात्मक और आलोचनात्मक लेखन तो अत्यंत महत्वपूर्ण है. साक्षात्कार के क्षेत्र में भी उनकी अलग पहचान है. अनेक विशिष्ट लोगों से लिए गये साक्षात्कारों में भाव और विचार की सहयात्रा चलती रहती है.
मनु जी की रचनाओं में उनके आसपास के अनेक सामान्य लोग अपने सुख-दुख के साथ हँसते-रोते चलते रहते हैं. मनु जी ने स्वयं दर्द जिया है अतः वे लोगों के दर्द के साथ हो लेते हैं और सामाजिक-साहित्यिक जगत की विसंगतियों और कुरूपताओं के प्रति उनका प्रतिरोध भाव भी जाग उठता है. प्रसन्नता है कि इस विशेषांक में वरिष्ठ और कनिष्ठ दोनों पीढ़ियों के लेखकों ने प्रकाश मनु के जीवन और सर्जना की मन से यात्रा की है. यह विशेषांक मनु जी की विशेषताओं का साक्षी बन गया है.
इसी क्रम में वरिष्ठ आलोचक डॉ. ओम निश्चल ने प्रकाश मनु की मूल्यवान कृतियों की चर्चा करते हुए उन्हें कथासाहित्य, संपादन, बालसाहित्य आदि विधाओं से जुड़े समकालीन लेखकों में से अग्रिम पंक्ति का साहित्यकार बताया. साथ ही, वाराणसी की समृद्ध साहित्यिक-सांस्कृतिक परम्परा को सतत प्रवाहमान रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही पत्रिका सोच विचार से जुड़े अपने अनुभव भी साझा किए. सोच-विचार के संपादक नरेंद्र नाथ मिश्र ने विशेषांक से जुड़े सभी विद्वान वक्ताओं और लेखकों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए पत्रिका के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और कहा कि भारतीय साहित्य और संस्कृति की समृद्ध परम्परा को आगे बढ़ाए रखने के एक विनम्र प्रयास के फलस्वरूप वर्ष 2009 से पत्रिका की यात्रा प्रारम्भ हुई और यह अनवरत जारी है| इसी कड़ी में विशेषांक “प्रकाश मनु एकाग्र” भी पत्रिका के लिए एक सुखद पड़ाव रहा है.
कई और नई पुस्तकों का हुआ लोकार्पण
ध्यातव्य है कि इस अवसर पर लोकार्पण का एक उत्सव-सा सृजित हो गया जिसमें प्रोफ़ेसर वशिष्ठ अनूप के नये ग़ज़ल संग्रह “गर्म रोटी के ऊपर नमक तेल” का तथा नरेंद्रनाथ मिश्र की दो पुस्तकों “संपादकनामा” तथा “कथा पुराण” का भी लोकार्पण हुआ. प्रोफ़ेसर स्मिता मिश्र ने वशिष्ठ अनूप की एक ग़ज़ल का पाठ करके उनकी ग़ज़लों की सादगी भरे सौंदर्य और विषय-वैविध्य पर अपने विचार व्यक्त किये. रामदरश मिश्र ने नरेंद्रनाथ मिश्र की पुस्तक “कथा पुराण” के बारे में कहा कि यह पुस्तक पौराणिक कथाओं के माध्यम से आज के लिए प्रासंगिक मूल्यों और छवियों की सृष्टि करती है. “संपादकनामा” “सोच-विचार” के लिए लिखे गए संपादकीयों का संकलन है. गोष्ठी का सफल संचालन “सोच विचार” पत्रिका से जुड़े अतिथि संपादक डॉ. वेद मित्र शुक्ल द्वारा किया गया.
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