Owaisi Car Attack: हमलावरों ने अपनी पहचान छुपाने की कोशिश नहीं की, दोनों आरोपी वैचारिक तौर पर बेहद कट्टर

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Owaisi

आज सबसे पहले AIMIM के चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) पर हुए जानलेवा हमले की बात करेंगे. कल ओवैसी की कार पर हमला हुआ था, गोलियां चलाई गई थी. पुलिस (Police) ने दोनों आरोपियों को पकड़ लिया. लेकिन इसे लेकर आज पूरे दिन कई बड़े डेवलपमेंट हुए और कई सवाल भी उठे. असदुद्दीन ओवैसी पर हमले के मामले में FIR दर्ज हुई है. पिलखुआ थाने में धारा 307 के तहत हत्या की कोशिश के मामले में केस रजिस्टर किया गया है. पुलिस ने दोनों आरोपियों सचिन और शुभम को कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने आरोपियों को 14 दिन के लिए जेल भेज दिया है. पुलिस के मुताबिक फायरिंग (Firing) में इस्तेमाल दोनों पिस्तौल कंट्री मेड थी. आरोपी सचिन ने कुछ दिन पहले ही हथियार खरीदा था.

सवाल है कि आरोपी के पास से जो पिस्तौल बरामद हुई, उसमें कलावा बंधा हुआ था. इसका क्या मतलब है. क्या पूरे मामले को धार्मिक रंग देने की साजिश थी? ओवैसी पर गोली चलानेवाली घटना के मामले में सियासत तेज हो गई है. अखिलेश यादव ने रिएक्ट किया और इसके बहाने यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए. आखिर ओवैसी पर गोली क्यों चलाई. इस पर आरोपियों के परिवार की तरफ से क्या कहा, पुलिस का क्या वर्जन है, ये जानना भी जरूरी है. आज संसद में ओवैसी ने कल की घटना पर बात की. जेड सिक्योरिटी लेने से इनकार कर दिया. रेडिकलाइजेशन का इश्यू उठाया, लेकिन जब संसद के बाहर आए तो उनके अंदाज बदले हुए थे.

सरकार से ग्लॉक पिस्टल रखने की मांग करेंगे ओवैसी

ओवैसी ने टीवी9 भारतवर्ष के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि अब वो रैली के दौरान प्रिकॉशन लेंगे. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वो सरकार से ग्लॉक पिस्टल रखने की मांग करेंगे. ओवैसी ने कहा कि वो अपनी सुरक्षा के लिए सरकार से बुलेट प्रूफ गाड़ी को लेकर भी बात करेंगे. होम मिनिस्ट्री को लेटर लिखेंगे. ओवैसी ने कल हुए हमले को लेकर बेहद चौंकानेवाले खुलासे किए. AIMIM के चीफ ने कहा कि जब गोलीबारी हो रही थी तो वो कलमा पढ़ने लग गए थे. पिछले 24 घंटे से पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ इन तस्वीरों की चर्चा है. यूपी के हापुड़ का एक टोल प्लाजा. टोल प्लाजा का सीसीटीवी फुटेज और इस फुटेज में हाथ में पिस्तौल लिए दिख रहे दो आरोपी हमलावार.

20 लेन वाला हापुड़ के छिजारसी का ये वही टोल नाका है, जहां तीन फरवरी की शाम पांच बजकर बीस मिनट पर ओवैसी की कार पर हमला हुआ, लेकिन वो बाल-बाल बच गए. हमारी रिपोर्टर अंकिता दुबे इसी टोल प्लाजा पर मौजूद थी. गोलीबारी की घटना पर ऑन द स्पॉट पड़ताल की. अंकिता ने बताया कि हर टोल नाका पर VIP के लिए अलग लेन बनी है. आमतौर पर टोल नाके की सबसे लेफ्ट लेन VIP होती है, लेकिन यहां लेन-9 VIP थी. घटना के वक्त ओवैसी की गाड़ी इस लेन-9 पर नहीं थी. CCTV फुटेज के मुताबिक ओवैसी की गाड़ी लेन-16 से निकली. तब पास की लेन पर मौजूद लाल शर्ट पहने आरोपी (सचिन) ने 2 गोलियां चलाईं.

 

 

हमलावरों ने अपनी पहचान छुपाने की कोशिश नहीं की

सीसीटीवी में साफ दिखता है कि सचिन गोली चलाने की शुरुआत करता है तब सफेद रंग की कार दूसरी लेन को क्रॉस करते हुए उसके ठीक सामने आती है. लेकिन ऐसा लगता है कि वो गाड़ी के नीचे की तरफ फायर करता दिखाई दिया. हालांकि इसी बीच ड्राइवर सूझबूझ दिखाता है और शुभम को टक्कर मार देता है, उसके गिरते ही शुभम लेन-15 से काफिले की दूसरी गाड़ी पर गोली चलाता है. लेकिन वो भागने की कोशिश नहीं करता है. CCTV फुटेज से भी साफ है कि हमलावर अपनी पहचान छुपाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. उल्टा शुभम हमला करता हुआ साफ नजर आ रहा है और बाद में कैमरे की तरफ देखता हुआ गुजरता भी है. सीधे शब्दों में कहें तो हमलावर चाहते थे कि उनकी पहचान की जाए.

इलेक्शन का वक्त है और इसलिए इन दिनों टोल नाकों पर पैरा मिलिट्री तैनात है, जो गाड़ियों की चेकिंग कर रही है. लेकिन ओवैसी की कार पर हमला होने के बाद पैरा मिलिट्री के जवानों की तरफ से बदमाशों की घेराबंदी क्यों नहीं की गई? टक्कर मारने के बाद एक हमलावर नीचे गिरा, दूसरा कैमरे में शक्ल दिखाकर भाग निकला और किसी ने उसे पकड़ा तक नहीं, ये कैसे मुमकिन है? जबकि उसका हथियार तो वहीं गिर गया था और इसकी तस्वीरें खुद ओवैसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी की थी. वैसे इस वीडियो को और ज्यादा गहराई से देखेंगे तो पता चलेगा कि एक वक्त ऐसा भी आता है जब सचिन को ओवैसी की कार पर फायर करने का पूरा वक्त मिलता है. दूरी दस मीटर से भी कम होती है. सचिन चाहता तो शीशे की तरफ फायर कर सकता था, लेकिन गोली के निशान टायर पर और गाड़ी के निचले हिस्से में नजर आए. सवाल है कि ओवैसी की कार पर हमले का मकसद क्या था? क्या आरोपी सिर्फ डराने आए थे या ऑर्डर कहीं और से आया था.

हमले को लेकर हर पार्टी ने कानून व्यवस्था को लेकर खड़े किए सवाल

ओवैसी पर हुए हमले को लेकर हर पार्टी हमलावर है. समाजवादी पार्टी, आरजेडी से लेकर इंडियन मुस्लिम लीग तक योगी सरकार पर सवाल उठा रही है और कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन को घेर रही है. मेरठ एक्सप्रेस हाइवे पर कल जिस जगह ओवैसी पर हमला हुआ, वहां से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर आरोपी सचिन का गांव है. हमारे संवाददाता जितेंद्र शर्मा गलियों के बीच से होते हुए बादलपुर के दुरियाई गांव पहुंचे. हमारे रिपोर्टर जब उसके घर में दाखिल हुए तो घर के अंदर भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद की फोटो दिखाई दी. वीर सावरकर की फोटो भी नजर आई. सवाल सीधा था, ओवैसी पर सचिन ने गोली क्यों चलाई. कारण क्या था, इसपर उसे जानने वाले लोगों ने कहा कि वो खुद को देशभक्त जरूर कहता था, लेकिन मोबाइल में क्या देखता था इसके बारे में जानकारी नहीं.

जितेंद्र शर्मा ने सचिन के बारे में परिवार के दूसरे लोगों से बात करने की कोशिश की. परिवार की तरफ से कैमरे के सामने कोई नहीं आया, लेकिन ऑफ कैमरा जो बातें बताईं वो काफी हैरान करने वाली थीं. कहा गया कि सचिन अक्सर मोबाइल पर ओवैसी भाईयों की तकरीर सुना करता था. ओवैसी की लगभग हर स्पीच को फॉलो करता था. जानकारी के मुताबिक ​​​​सचिन ने 3 फरवरी 2022 को ओवैसी से जुड़ी एक पोस्ट डाली थी. वो भाषण डाला था जिसमें ओवैसी कह रहे थे कि योगी हमेशा सीएम और मोदी हमेशा पीएम नहीं रहेंगे. इसी वीडियो को कोट करते हुए सचिन ने लिखा था कि हिंदु पुत्र बचाने आएगा. इसके कुछ घंटे बाद ही वारदात को अंजाम दे दिया.

लेकिन गांववालों के सामने उसका अलग रूप था. गांववालों के मुताबिक वो देशभक्ति की बातें करता था. दूसरे बच्चों को भी बताता था. जितेंद्र ने जब सचिन के बारे में और जानकारी टटोली तो पता चला कि वो पढ़ा लिखा था. LLB और LLM कर चुका था. पिता के काम में हाथ बंटाता था. इस बीच हमारे रिपोर्टर पुनीत शर्मा हमले के दूसरे आरोपी सहारनपुर में शुभम के गांव पहुंचे. परिजनों ने बताया कि शुभम के माता-पिता बचपन में ही गुजर गए थे. करीब 13 साल की उम्र तक वो ननिहाल में ययनंदी फिरोजपुर गांव में रहा. पांचवी छठी तक पढ़ा, फिर दादा के घर सांपला बेगमपुर गांव चला गया. हालांकि शुभम के दादा का कहना है कि वो क्या करता था क्या नहीं करता था, इसकी उन्हें जानकारी नहीं. वो जब भी आता था तो बदतमीजी से बात करता था. सुबह जब पुलिस घर पर आई तो पता चला कि उसने ओवैसी पर गोली चलाई है.

 

 

‘दोनों आरोपी वैचारिक तौर पर बेहद कट्टर’

इस बीच पुलिस की तरफ से भी चौंकानेवाले खुलासे हुए. पुलिस सूत्रों के मुताबिक दोनों आरोपी वैचारिक तौर पर बेहद कट्टर हैं. कई दिनों से ओवैसी का पीछा कर रहे थे. दोनों आरोपी ओवैसी की मेरठ वाली सभा में भी मौजूद थे. दोनों को लगता था कि ओवैसी उनकी आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं. पुलिस के मुताबिक अयोध्या में राम मंदिर को लेकर की गई ओवैसी की टिप्पणी के बाद से भी दोनों बेहद नाराज थे. जांच में ये भी सामने आया कि आरोपियों के पास से जब्त की गईं दोनों पिस्टल कंट्री मेड हैं. सचिन ने कुछ दिनों पहले ही हथियार खरीदा था और अब उन लोगों की तलाश हो रही है जिन्होंने पिस्तौल बेची थी. लेकिन इतना जरूर है कि कट्टरवाद की सनक का अंजाम क्या हो सकता था, ये इस घटना से जाहिर हो जाता है.

अब आइए आपको बार फिर बताएं कि ओवैसी जिस ग्लॉक पिस्टल की मांग कर रहे हैं उसकी खासियत क्या है. बंदूकों की दुनिया में यूं तो राइफल को ही सबसे खास माना जाता है मगर पिस्टल की भी अपनी एक अलग पहचान होती है. सेकेंडरी वेपन में पिस्टल ही काम आती है. अगर दुनिया की सबसे आधुनिक पिस्टल की बात की जाए तो सबसे पहले ग्लॉक का ही नाम आता है. इस छोटी सी गन में इतने फंक्शन हैं कि पुलिस हो या फौजी या फिर कोई खास, हर कोई इसे अपने पास चाहता है. ग्लोक 9mm की गोलियों पर चलती है, इसलिए इसकी एक मैगजीन में 17 गोलियां स्टोर हो जाती हैं. हालांकि इसकी खासियत सिर्फ इतनी ही नहीं है.

गोलियों के मामले में इससे बढ़िया पिस्टल कोई और नहीं हो सकती है, ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें 9mm की कोई भी गोली लग सकती है. वक्त के साथ इसमें बहुत से बदलाव भी आए है. अब इसमें लेजर, स्कोप, फ़्लैशलाइट जैसी कई चीजें लगाईं जाती हैं. ये हर हालात और मौसम में फिट है. इसे हेलीकॉप्टर से गिराया गया, बर्फ में जमाया गया, कीचड में रखा गया और मिट्टी में गाड़ा गया. इन सब चीजों के बावजूद भी इसने अच्छे से काम किया. इसके अलावा ये ‘इजी टू लर्न’ पिस्टल है. इसे चालना सीखने में एक दिन का भी वक्त नहीं लगता.

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