
भारत और रूस के मध्य द्विपक्षीय व्यापार (India-Russia Bilateral Trade) और आर्थिक सहयोग के लिए केंद्र सरकार मास्को पर प्रतिबंधों के प्रभाव का विश्लेषण करने की प्रक्रिया में है. दरअसल, यूक्रेन पर आक्रमण (Russia Ukraine War) के बाद अमेरिका और कई पश्चिमी देशों ने रूस पर गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी (Meenakashi Lekhi) ने शुक्रवार को कहा कि कई देशों ने रूस के आक्रामक रवैये और यूक्रेन पर बिना वजह मास्को की कार्रवाई को लेकर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं.
लेखी ने कहा, ‘इन प्रतिबंधों से वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) पर असर पड़ने की उम्मीद है, जिसमें सप्लाई चेन में रुकावट भी शामिल है. ऊर्जा और कमोडिटी की कीमतों पर भी इसका असर पहले से ही ज्यादा दिखाई दे रहा है.’ मीनाक्षी लेखी ने यह बयान लोकसभा में एक सवाल के जवाब में दिया है. उन्होंने कहा कि हम सभी हितधारकों के परामर्श से भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग पर प्रतिबंधों के प्रभाव का विश्लेषण करने की प्रक्रिया में हैं. रूस के साथ भारत के संबंध अपनी योग्यता के आधार पर खड़े हैं.
लेखी ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा का भी जिक्र किया और कहा कि भारत ने युद्ध को तत्काल समाप्त करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि हमने बिगड़ती स्थिति पर भी गहरी चिंता व्यक्त की है और हिंसा को तत्काल रोकने और दुश्मनी को खत्म करने का आह्वान किया है. लेखी ने कहा कि भारत ने दोहराया है कि संकट के समाधान के लिए कूटनीति और बातचीत के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हमने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों पर जोर दिया है कि वैश्विक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और क्षेत्रीय अखंडता और राज्यों की संप्रभुता के सम्मान पर आधारित है.’
वहीं, जाने-माने अर्थशास्त्री और मौद्रिक नीति समिति के सदस्य शशांक भिडे ने शुक्रवार को कहा कि घरेलू स्तर पर मजबूत अर्थव्यवस्था होने से भारत को रूस-यूक्रेन संघर्ष के नकारात्मक प्रभाव, कच्चे माल की ऊंची लागत और आपूर्ति गतिरोधों से निपटने में मदद मिलेगी. भिडे ने कहा कि रूस एवं यूक्रेन के बीच छिड़े सैन्य संघर्ष के वैश्विक निहितार्थ कोविड-19 महामारी की ही तरह हैं. उन्होंने कहा, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था उत्पादन की ऊंची लागत और सप्लाई चैन में पैदा हुए गतिरोध के असर में है.’