केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में भी दिल्ली नगर निगम (Delhi MCD bill) एकीकरण पर मुहर लग गई है.एमसीडी में सीटों की संख्या को घटाकर 250 वॉर्डों तक सीमित किया जा सकता है जो वर्तमान में 272 वार्ड हैं. इसमें 50 फीसदी महिलाओं के लिए आरक्षित हैं. अब फिर से वॉर्डों की सीमा और अनुसूचित जाति व महिलाओं के लिए सीटों आरक्षित को करने के लिए परिसीमन (Delimitation exercise) किया जाएगा, जिसके चलते नगर निकाय चुनाव (Municipal Elections) में 6-18 महीने की देरी हो सकती है. चुनाव आयोग को फिर से रिजर्व सीट बनानी होंगी और इसमें काफी समय लगेगा.
वहीं कल तीनों नगर निगमों को एक करने के लिए बिल करने के लिए बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया. बिल में एकीकृत निगम में वार्डों की संख्या की अधिकतम सीमा घटाने का प्रावधान किया गया है. इसके लिए बिल में वार्डों की सीमा और संख्या निर्धारित करने के लिए नए परिसीमन का भी प्रावधान किया गया है. ऐसे में अब निगम चुनाव फिलहाल टलते नजर आ रहे हैं, क्योंकि परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने में समय लग सकता है.
इन शर्तों पर निर्भर करता है परिसमन
परिसीमन अभ्यास को समाप्त करने में लगने वाला समय उस समिति के लिए तैयार की गई शर्तों पर निर्भर करता है जो इसे अंजाम देगी. सीमाओं को कैसे परिभाषित किया जाता है और जनसंख्या के विभाजन के लिए कौन से सिद्धांत तय किए जाते हैं, कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिन पर यह तय करने की आवश्यकता है कि समिति को वार्डों की सीमाओं को फिर से बनाने में कितना समय लगेगा.
यह मान लेना सुरक्षित है कि अगले कुछ महीनों में निकाय चुनाव होने की संभावना नहीं है. मेहता जिन्होंने दिल्ली राज्य चुनाव आयुक्त के रूप में भी काम किया उन्होंने कहा, वास्तव में, इसमें एक से दो साल तक का समय भी लग सकता है.’यह निर्भर करता है कि कवायद कौन कर रहा है, और उन्हें कितना समय लगेगा. कोई इसे कम समय में भी कर सकता.’विशेषज्ञों के मुताबिक, माना जा रहा है कि 2011 की जनगणना के आधार पर वार्डों का परिसीमन करना न्यायसंगत नहीं होगा. वार्डों में वर्ष 2011 की जनसंख्या से अधिक मतदाताओं की संख्या हो चुकी है. इस कारण जनसंख्या एवं मतदाताओं के मामले में वार्डों की स्थिति एक समान नहीं हो सकेगी.
नए सिरे से वार्ड बनाने में कम से कम एक साल का समय लगेगा
उधर, दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि जनगणना रिपोर्ट मिलने के बाद नए सिरे से वार्ड बनाने में कम से कम एक वर्ष समय लगेगा. वर्ष 2016 में वार्डों का परिसीमन करने में पूरा एक वर्ष लग गया था. वार्ड बनाने में जनगणना विभाग से आंकड़े लेने पड़ते हैं.सूत्रों की मानें तो जब तक एमसीडी के प्रतिनिधि चुने नहीं जाते तब तक दिल्ली नगर निगम केंद्र सरकार की नजर में रहेगा.राज्य निर्वाचन आयोग ने 25 मार्च 2022 को ही वार्ड रोटेशन किया था. जिससे बीजेपी, आप और प्रतिपक्ष के बड़े नेताओं की ये सीटें चली गईं. इससे तीनों अलग-अलग एमसीडी में हड़कंप मच गया, क्योंकि कुछ अपवाद को छोड़ दें तो अधिकतर पुरुष पार्षदों की सीट या तो महिला को दे दी गईं या अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गईं.