अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में शुक्रवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (National Center for Seismology) के अनुसार, इसकी (Earthquake) तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.3 मापी गई. भूकंप सुबह 6:56 बजे पांगिन के उत्तर में आया था. अभी तक किसी तरह के जानमाल को हुए नुकसान की कोई खबर नहीं आई है. एनसीएस ने अपने आधिकारिक ट्विटर पेज पर बताया है, ’15 अप्रैल की सुबह 06:56 बजे 30 किलोमीटर की गहराई के साथ भूकंप आया है. भूकंप अरुणाचल प्रदेश के पांगिन से 1176 किलोमीटर उत्तर में आया है.’
इससे करीब तीन हफ्ते पहले भी अरुणाचल प्रदेश के पांगिन में भूकंप आया था. भूकंप पांगिन से 1174 किलोमीटर उत्तर में ही आया था. यानी जिस जगह पर आज आया है. इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.1 मापी गई है. हालांकि किसी तरह के जानमाल को हुए नुकसान की खबर नहीं आई. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने बताया कि भूकंप रात के 09:51 बजे आया था. वहीं करीब पांच दिन पहले अंडमान और निकोबार में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. यहां कैंपबेल बे में रिक्टर स्केल पर 4.6 की तीव्रता का भूकंप आया था. इसमें किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं आई थी.
एक दिन में दो बार आया भूकंप
कैंपबेल बे में पांच दिन पहले शाम 04:13 बजे भूकंप आया था. जिसकी गराई 10 किलोमीटर बताई गई. इस द्वीप समूह को भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है. जहां आए दिन भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं. यहां एक दिन में दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. इससे पहले सुबह करीब 7 बजे भूकंप आया था. जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.9 मापी गई थी.
भूकंप क्यों आते हैं?
भूकंप के पीछे का कारण टैक्टोनिक प्लेट्स को माना जाता है. दरअसल हमारी धरती चार परतों से बनी होती है, जैसे इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट कोर. इसमें क्रस्ट और ऊपरी मैटल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है. ये वो 50 किलोमीटर की मोटी परत होती है, जो कई वर्गों में बंटी होती है. इसे ही टैक्टोनिक पेल्ट्स कहते हैं. जो अपनी जगह पर हिलती रहती है. जब ये बहुत अधिक हिलने लगे, तो उसे भूकंप कहा जाता है. टैक्टोनिक प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल डुल सकती हैं. भूकंप कितना खतरनाक था, यह बताने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहते हैं. जिसे 1 से 9 तक के अंकों के आधार पर मापा जाता है. इसे भूकंप के केंद्र से मापा जाता है, जिसे एपीसेंटर भी कहते हैं.