Indo-Nepal Train Service: भारत और नेपाल के बीच शुरू हुई रेल सेवा का भूत, वर्तमान और भविष्‍य… जानिए सबकुछ

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Indo Nepal Train Service Explained By Indian Railways

Indo Nepal Railway Service: भारत और नेपाल के बीच एक नई ट्रेन सेवा (Indo-Nepal Train) का शुभारंभ हो चुका है. बिहार के जयनगर से नेपाल के कुर्था के बीच दोनों ही देशों के लोग ट्रेन में सफर का आनंद लेंगे. नवरात्रि के पहले दिन भारतीय रेल की पहुंच माता सीता के मायके यानी प्रभु श्रीराम के ससुराल तक हो गई. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने इस सेवा का उद्घाटन किया. दरअसल, किसी भी देश के समग्र विकास में रेलवे के भूमिका बेहद महत्वपूर्ण समझी जाती है. रेलवे दिलों को जोड़ने के साथ-साथ पर्यटन का जरिया बनती है, अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है और संकट के समय में सहारा भी बनती है. इन सभी रूपों में भारतीय रेलवे (Indian Railways) की भूमिका से पूरी दुनिया वाकिफ है.

आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है, लेकिन यह सच है कि हिमालय की खूबसूरत वादियों में बसे पड़ोसी देश नेपाल में अब तक रेल सेवा उपलब्ध नहीं थी. रेलवे वहां के लोगों के लिए एक सपना ही थी. यहां तक कि कई नेपाली गानों में ट्रेन का जिक्र तक किया गया है जिनमें इसके प्रति प्यार और अपनेपन को महसूस किया जा सकता है.

नेपाल के लोगों का भी सपना पूरा

भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ‘नेबर फर्स्ट पॉलिसी’ के तहत पड़ोसी देश नेपाल में ट्रेन सेवा शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध रहे. पीएम मोदी के प्रयासों से ही आज नेपाल के लोगों का बरसों पुराना सपना सच हो पाया है. बता दें कि इन दिनों नेपाल के प्रधानमंत्री भारत यात्रा पर हैं. इसी क्रम में शनिवार 2 अप्रैल को दोनों देशों के प्रधानमंत्री ने बहु-प्रतीक्षित भारत-नेपाल रेल सेवा की शुरुआत की. यह ट्रेन सेवा बिहार के मधुबनी जिले के जयनगर से नेपाल के कुर्था के बीच 65 किलोमीटर लंबी है.

भारत का बड़ा योगदान

जयनगर, कुर्था, बीजलपुरा और बद्रीबास के बीच बने इस रेलवे खंड की कुल लागत 9 बिलियन नेपाली रुपए है. इसमें भारत ने आर्थिक और तकनीकी दोनों ही रूपों से सहायता मुहैया कराई है. भारत सरकार ने बिजलपुरा तक के खंड के लिए लगभग 550 करोड़ रुपए खर्च किए हैं जो कुर्था से 17 किमी आगे जाता है. बिजलपुरा के बाद, नेपाल सरकार द्वारा परियोजना के लिए भूमि सौंपने के बाद बर्दी बास तक नई लाइन का निर्माण किया गया है. बता दें जयनगर भारत-नेपाल सीमा से 4 किलोमीटर दूर है. इस मार्ग में नेपाल का प्रसिद्ध तीर्थस्थल जनकपुर पड़ता है, जो जयनगर से 29 किलोमीटर दूर है.

पहली ब्रॉडगेज रेल लाइन

नेपाल में बनने वाली यह पहली ब्रॉडगेज रेल लाइन है, जिसमें भारत का योगदान सराहनीय है. भारतीय रेलवे की शाखा इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड ने नेपाल में स्थित इस रेलवे खंड के निर्माण में अहम योगदान दिया है. मालूम हो कि वर्ष 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने अपनी पहली नेपाल यात्रा के दौरान ही कहा था कि वो नेपाल में बहुत जल्द ट्रेन सेवा शुरू करना चाहते हैं और आज उन्होंने अपना यह वादा भी पूरा कर दिखाया है.

कब शुरू हुआ था ट्रायल रन?

नेपाल रेलवे कंपनी के जनरल मैनेजर निरंजन झा बताते हैं कि इसके लिए ट्रायल रन 13 फरवरी से ही शुरू कर दिया गया था. बताना चाहेंगे कि कई बार इस रेलवे लाइन के उद्घाटन का कार्यक्रम बना लेकिन कभी कोरोना महामारी तो कभी नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल और उसके बाद भारत में विधानसभा के चुनाव के कारण इसका उद्घाटन नहीं हो पाया था. ऐसे में जब नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भारत यात्रा पर आए तो शनिवार 2 अप्रैल 2022 को दोनों देशों के बीच इस रेल सेवा का उद्घाटन किया गया. नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने इसे ऐतिहासिक बताया है.

बुद्ध सर्किट और रामायण सर्किट को मिलेगा नया आयाम

भारत और नेपाल के बीच रेल सेवा शुरू होने से उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियां परवान चढ़ेगी. इससे लोगों के बीच सम्पर्क बढ़ेगा. इसके अलावा द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और पर्यटन के क्षेत्र में भी एक नई ऊंचाई देखने को मिलेगी. धार्मिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी दोनों देश एक नई बुलंदी को छूने की कोशिश करेंगे. इस रेलवे नेटवर्क के शुरू होने से जनकपुर धाम भारत के पूरे नेटवर्क से जुड़ जाएगा. बुद्ध सर्किट और रामायण सर्किट को भी इससे नया आयाम मिलेगा.

लंबे समय से बन रही थी योजना

नेपाल में रेल सेवा शुरू करने के लिए योजनाएं लंबे समय से बन रही है. पीएम मोदी मोदी हमेशा से इस दिशा में प्रतिबद्ध रहे हैं. भारत में रेलवे की शुरुआत से लेकर अब तक देशभर में रेलवे का विशाल नेटवर्क 1 लाख 15 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी में फैल गया है. अब जब नेपाल में रेल सेवा शुरू हो गई है तो उम्मीद है कि वहां अर्थव्यवस्था, सामाजिक, पर्यटन और उद्योग जगत को खासा बढ़ावा मिलेगा.

पर्यटन और उद्योग जगत को बढ़ावा

जब तक नेपाल के कर्मचारी पूरी तरह संचालन में कुशल नहीं हो जाते, भारत हर स्तर में उन्हें सहायता मुहैया कराता रहेगा. इसमें कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन की भूमिका बेहद खास है. इस मार्ग पर रेल सेवा संचालित करने के लिए कोंकण रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड केआरसीएल द्वारा 1600 एचपी डेमू यात्री रेक के 2 सेटों की आपूर्ति की गई है. इन 2 डेमू रेक में गैर वातानुकूलित कोच के अलावा 2 वातानुकूलित कोच हैं. इन 2 रेकों को ’18 सितंबर, 2020′ को नेपाल को सौंप दिया गया था. यह नेपाल में पहली बड़ी लाइन वाली यात्री रेल सेवा होगी.

भारत-नेपाल के रिश्तों को नई गर्माहट

ऐसा नहीं है कि इससे पहले नेपाल में रेलवे की शुरुआत ही न हुई हो. 1927 में जयनगर से जनकपुर के बीच रेलवे लाइन की शुरुआत हुई थी. उसका उद्देश्य अंग्रेजों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर लकड़ियों को ढोना था. उसके बाद आई भीषण बाढ़ में सब कुछ तहस-नहस हो गया और 1965 के युद्ध के बाद वहां रेलवे का परिचालन ठप हो गया.

सदियों पुराने भारत-नेपाल के संबंध को यह रेलवे लाइन एक नई गर्माहट प्रदान कर रही है. यह तो केवल एक शुरुआत है, आगे नेपाल में भारत अहम भूमिका निभाता रहेगा. उम्मीद है कि भारत-नेपाल रेल सेवा शुरू हो जाने से दोनों देशों के बीच कई स्तरों पर संबंधों की नई पटकथा लिखी जाएगी जिससे विकास और प्रगति को नई रफ्तार मिलेगी. (Source: PBNS)

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