अब रूस (Russia) और पुतिन पर दबाव बढ़ रहा है, लेकिन पुतिन ने भी अमेरिका, यूक्रेन और यूरोप पर पलटवार की पूरी रणनीति तैयार कर ली है. बुका को लेकर रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) की मीटिंग बुलाई है, जो आज ही देर रात होगी. रूस का दावा है कि बुका में नरसंहार की जो भी तस्वीरें सामने आई है. सब यूक्रेन की सेना का किया धरा है. आज यूक्रेन (Ukraine) के वॉर जोन से वॉर क्राइम्स की दिल दहलाने वाली तस्वीरें आई है. एक साथ 400 से ज्यादा सिविलियंस की MASS GRAVES का पता चला है. इन तस्वीरों के सामने आने के बाद एक बार फिर वेस्टर्न कंट्रीज ने पुतिन को वॉर क्रिमिनल करना शुरू कर दिया. उनके खिलाफ ICJ में जाने की तैयारी हो रही है, लेकिन इस सबके बीच पोलैंड से बहुत बड़ी खबर सामने आई है.
पोलैंड को रूस के न्यूक्लियर हमले का डर सताने लगा है. पोलैंड अब खुद को न्यूक्लियर पावर मुल्क बनाना चाहता है. पोलैंड ने न्यूक्लियर वेपंस के लिए अमेरिका से सपोर्ट मांगा है. पोलैंड के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर Jaroslaw Kaczynski का कहना है कि अमेरिका अगर चाहे तो हमारे देश में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपंस डिप्लॉय कर सकता है. पोलैंड का ये स्टेटमेंट ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका ने दो पेट्रियॉट मिसाइल पहले ही पोलैंड बॉर्डर पर तैनात की हुई हैं. इस बयान की टाइमिंग इसलिए भी IMPORTANT है. क्योंकि तीन दिन पहले ही रूस ने ब्लैक सी में सीक्रेट न्यूक्लियर एक्सरसाइज की है.
अमेरिका के 1 लाख से ज्यादा सैनिक यूरोप में अलग-अलग देशों में हैं तैनात
पोलैंड की तरफ से ये भी कहा गया कि अमेरिका को यूरोप में अपने सैनिकों की संख्या कम से कम 50 फीसदी और बढ़ानी चाहिए. इस वक्त यूरोप में अमेरिका के 1 लाख से ज्यादा सैनिक अलग-अलग देशों में तैनात हैं. इस बीच पोलैंड ने जर्मनी को भी आंख दिखाई. पोलैंड की तरफ से कहा गया कि जर्मनी को खुले तौर पर यूक्रेन की मदद करनी चाहिए. पोलैंड के डिप्टी पीएम ने कहा कि जर्मनी की तरफ से यूक्रेन को और ज्यादा हथियार सप्लाई किए जाने चाहिए और उसे रूस के तेल और एनर्जी का इंपोर्ट भी बंद कर देना चाहिए.
एक बड़ी खबर ये भी है कि अब ब्रिटेन ने भी अपनी न्यूक्लियर पावर बढ़ाने का फैसला किया है. ब्रिटेन ने एनर्जी के नाम पर सात नए परमाणु रिएक्टर्स को मंजूरी दे दी है. दो दिन पहले ही ब्रिटेन ने अपने न्यूक्लियर ताकत को रिव्यू किया था. ब्रिटेन ने कहा था कि वो फिलहाल न्यूक्लियर वॉरहेड्स की संख्या नहीं बढ़ाएगा, लेकिन उसकी न्यूक्लियर कमांड एक्टिव मोड पर रहेगी. कहते हैं हर चीज का वक्त होता है, लेकिन अगर बात न्यूक्लियर हमले की हो तो दुनिया का कोई मुल्क न्यूक्लियर वॉर की टाइमलाइन सेट होते नहीं देखना चाहता, लेकिन यूक्रेन वॉर के बीच एटम बम गिरने के सिग्नल हर गुजरते दिन के साथ मजबूत हो रहे हैं.
अब ये कोई इत्तेफाक नहीं कि आज जब नाटो की फॉर्मेशन को 73 साल पूरे हुए, उसी दिन बाल्टिक देश लिथुआनिया में नाटो की वॉर एक्सरसाइज नए सिरे से शुरु हुई है. पता चला है कि पहली बार इस वॉर एक्सरसाइज में यूएस मरींस हिस्सा ले रहे हैंय इन मरींस को नॉर्थ कैरोलिना से खासतौर पर लिथुआनिया भेजा गयाय पता चला है कि C 130 J सुपर हरक्युलिस के साथ 10 हॉर्नेट फाइटर जेट भी ईस्टर्न यूरोप में तैनात किए जा चुके हैं. लिथुआनिया में 3000 नाटो सैनिक मौजूद हैं.
पुतिन ने कैलिनिनग्राद में एटम बम दागनेवाली मिसाइलों को किया एक्टिव
अब लिथुआनिया में वॉर एक्सरसाइज का एक और मतलब ये भी है कि इसके लिए रूस को क्लियर मैसेज दिया जाए, क्योंकि रूस-यूक्रेन वॉर के बीच पुतिन ने कैलिनिनग्राद में एटम बम दागनेवाली मिसाइलों को एक्टिव कर दिया है. कैलिनिनिग्राद पौलैंड और लिथुआनिया के बीच बसा रूसी शहर है. एक्सपर्ट्स को आशंका है कि कैलिनिनग्राद से पोलैंड और लिथुआनिया को टारगेट किया जा सकता है. इस बीच पोलैंड ने भी अपने लिए अमेरिका से न्यूक्लियर हथियारों की मांग की है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि पोलैंड में एटम बम तैनात हुआ तो रूस पर खतरा बढ़ेगा. पुतिन कभी नहीं चाहेंगे कि रूस के पास परमाणु तैनाती हो. ऐसी स्थिति में पुतिन ATOM से तबाही मचाने में नहीं हिचकेंगे.
वेस्टर्न कंट्रीज की कुछ डिबेट्स में तो ये तक कहा जा रहा है कि जिस तरह NATO ने अपने ईस्टर्न फ्लैंक को मजबूत किया, उससे भी पुतिन नाराज है. वहीं अब लिथुआनिया में यूएस मरींस की एक्सरसाइज ने पुतिन का पारा और चढ़ा दिया है, इसलिए एटम बम को लेकर दुनिया में बेचैनी बढ़ रही है. ब्रिटेन जैसे मुल्क भी अपने न्यूक्लियर ऑप्शंस को रिव्यू करने लगे हैं. रूस को न्यूक्लियर फ्रंट पर काउंटर करने के लिए अमेरिका की तैयारी पूरी है. अमेरिका ने यूरोप मे 100 न्यूक्लियर वेपंस तैनात किए हुए है. Air launched tactical nuclear bombs को इटली के साथ बेल्जियम, जर्मनी, नीदरलैंड्स और टर्की में डिप्लॉय किया हुआ है. हालांकि इस पूरी सिचुएशन से एक बात और क्लियर होती है कि अगर न्यूक्लियर हमले से बचना है तो फिर उस देश को भी न्यूक्लियर डिटरेंट होना चाहिए. सोचिए अगर यूक्रेन ने अपने न्यूक्लियर हथियार रशिया को ना सौंपे होते, उसके पास न्यूक्लियर वेपंस होते तो फिर शायद पुतिन यूक्रेन में अपनी सेना भेजने की हिमाकत ना करते.
ये भी पढ़ें- Russia Ukraine War: रूसी सैनिकों के अत्याचारों की जांच कराएंगे जेलेंस्की, अंतरराष्ट्रीय नेताओं से कर रहे बातचीत