भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने 34 साल की सेवा के बाद आईएनएस गोमती (INS Gomti) को शनिवार को सेवामुक्त कर दिया. ऑपरेशन कैक्टस, पराक्रम और रेनबो में शामिल रहे पोत को यहां नौसैन्य डॉकयार्ड में सूर्यास्त के समय सेवामुक्त कर दिया गया. पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा, ‘हम नौसेना स्मारक बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं. आज एक एमओयू भी साइन किया गया. यह हमारे दिमाग में आईएनएस गोमती की यादों को ताजा रखने में मदद करेगा.’
We are in talks with the Uttar Pradesh Govt to build a Navy memorial. An MoU was also signed today. It will help in keeping INS Gomati memories fresh in our minds: Vice Admiral Ajendra Bahadur Singh, Flag Officer Commanding-in-Chief Western Naval Command. pic.twitter.com/dnBSMMAibS
— ANI (@ANI) May 28, 2022
INS Gomti को गोमती नदी के तट पर खुले म्यूजियम में रखा जाएगा
बता दें कि ‘आईएनएस गोमती’ गोदावरी क्लास गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट का तीसरा जहाज था. यह पश्चिमी बेड़े का सबसे पुराना योद्धा भी था.अधिकारियों के मुताबिक, ‘आईएनएस गोमती’ की विरासत को लखनऊ में गोमती नदी के तट पर तैयार किए जा रहे एक खुले संग्रहालय में रखा जाएगा, जहां उसकी कई युद्धक प्रणालियों को सैन्य तथा युद्ध अवशेषों के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार और भारतीय नौसेना ने इसके लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.
1988 में भारतीय नौसेना में शामिल हुआ था ‘आईएनएस गोमती’
बता दें कि ‘आईएनएस गोमती’ का नाम गोमती नदी के नाम पर रखा गया और 16 अप्रैल 1988 को तत्कालीन रक्षा मंत्री के सी पंत ने मझगांव डॉक लिमिटेड, बंबई (अब मुंबई) में सेवा में शामिल किया था. नौसेना ने कहा कि पोत को 2007-08 में और 2019-20 में प्रतिष्ठित यूनिट प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया था.