एशियाई हाथियों में सबसे लंबे दांत वाला 70 साल का हाथी ‘भोगेश्वर’ अब इस दुनिया में नहीं रहा. कर्नाटक (Karnataka) के बांदीपुर टाइगर रिजर्व में शनिवार को उसका निधन हो गया. भोगेश्वर के निधन से वन्यजीव प्रेमी काफी दुखी हैं. बताया जा रहा है कि भोगेश्वर की मौत प्राकृतिक रूप से हुई है. वो बांदीपुर नगरहोल रिजर्व फॉरेस्ट में शनिवार को (11 जून) काबिनी जलाशय के पास मृत अवस्था में पाया गया था. गौरतलब है कि भोगेश्वर (Bhogeshwara) को “मिस्टर काबिनी” के नाम से भी जाना जाता था.
टाइगर रिजर्व में आने वाले सभी टूरिस्ट के लिए वह आंखों के तारे के समान था. जो भी उसे देखता था, बस उसी में खोकर रह जाता था. आखिर ऐसा हो भी क्यों न? वह महाद्वीप में एशियाई हाथियों में सबसे लंबे दांत रखने वाला हाथी (Asia Longest Tusks Elephant) जो था. वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि भोगेश्वर के शरीर पर चोट के किसी भी तरह के कोई निशान नहीं थे, जिससे ऐसा अंदाज़ा हो पाता कि उसकी मौत प्राकृतिक नहीं है. भोगेश्वर की ज्यादा उम्र होने की वजह से ही मौत हुई है.
क्यों रखा गया हाथी का नाम ‘भोगेश्वर’?
अधिकारियों ने कहा कि उसका स्वास्थ्य एक अन्य हाथी से लड़ाई के बाद कमजोर पड़ने लगा था, जिसकी वजह से उसकी मौत हुई है. वहीं, हाथी का नाम ‘भोगेश्वर’ रखे जाने पर वन अधिकारियों ने बताया कि उसका नाम भोगेश्वर इसलिए रखा गया था क्योंकि वह अक्सर काबिनी बैकवाटर के निकट भोगेश्वर कैंप के पास ही रहा करता था. जब भी उसकी तलाश होती थी, तो वो वहीं पाया जाता था. अधिकारियों ने कहा कि उसके विसरा के सैंपल्स मैसूर के रिजलन फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी को भेजे गए हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि उसकी मौत एक प्राकृतिक मौत है.
जमीन की सतह को छू लेते थे ‘भोगेश्वर’ के दांत
वन विभाग भोगेश्वर को हाथियों के संरक्षण का ‘प्रतीक’ बनाने पर विचार-विमर्श कर रहा है. वन विभाग एग्जिबिशन सेंटर में हाथी के दांतों को सहेजेन के लिए इजाजत लेने पर भी विचार कर रहा है. जानकारी के मुताबिक, भोगेश्वर का एक दांत 2.54 मीटर यानी 8 फीट लंबा है. जबकि दूसरा दांत 2.34 मीटर यानी 7.5 फीट लंबा है. हाथी के दोनों दांत जमीन की सतह तक को छू लेते थे.