
केंद्र सरकार की ओर से पिछले हफ्ते भारतीय सेना में भर्ती प्रक्रिया में बदलाव करते हुए अग्निपथ योजना (Agnipath Yojana) शुरू करने का ऐलान किया गया था, लेकिन इस ऐलान के बाद देश के कई राज्यों में भारी विरोध-प्रदर्शन हो रहा है. केंद्र ने युवाओं की नाराजगी देखते हुए ऐलान किया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (Central Armed Police Forces), रक्षा मंत्रालय और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में अग्निवीरों के लिए 10% कोटा तय किया जाएगा, हालांकि आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि सरकारी नौकरियों (Government Jobs) में पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित रिक्तियों की तुलना में काफी कम भर्तियां की गई हैं.
रक्षा मंत्रालय के पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के तहत, पुनर्वास महानिदेशालय (डीजीआर) के पास उपलब्ध नए आंकड़ों (30 जून, 2021 तक) के आधार पर इन आंकड़ों पर विचार से समझा जा सकता है.इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, डीजीआर के साथ डेटा के मुताबिक, केंद्र सरकार के विभागों में ग्रुप-सी में 10% और ग्रुप-डी में 20% पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित हैं, जिसमें केंद्र सरकार के 77 विभागों में से 34 में ग्रुप-सी में कुल संख्या में से महज 1.29% और ग्रुप-डी में 2.66% लोगों की ही भर्ती की गई है.
पूर्व सैनिकों में 3 फीसदी लोगों तक की भर्ती नहीं
केंद्र सरकार के 34 विभागों में ग्रुप-सी के 10,84,705 कर्मचारियों में से केवल 13,976 पूर्व सैनिक हैं. और कुल 3,25,265 ग्रुप डी कर्मचारियों में से केवल 8,642 पूर्व सैनिक ही सेवारत हैं.
सीएपीएफ/सीपीएमएफ (सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्सेज) में सहायक कमांडेंट के स्तर तक सीधी भर्ती में भूतपूर्व सैनिकों के लिए 10% कोटा निर्धारित है. लेकिन, 30 जून, 2021 तक सीएपीएफ/सीपीएमएफ की कुल संख्या में, ग्रुप-सी में पूर्व सैनिकों की संख्या केवल 0.47% (कुल 8,81,397 में से 4,146) थी तो ग्रुप-बी में 0.87% (61,650 में से 539); और ग्रुप-ए में 2.20% (76,681 में से 1,687) लोग ही रखे गए.
जबकि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और असम राइफल्स से डीजीआर को आंकड़े मिले, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) ने 15 मई, 2021 तक अपनी रिपोर्ट पेश नहीं की थी.
सरकारी बैंकों में स्थिति थोड़ी बेहतर
केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में, पूर्व सैनिकों के लिए ग्रुप-सी पदों में 14.5 फीसदी और ग्रुप-डी पदों में 24.5% कोटा तय किया गया है. लेकिन, डीजीआर की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व सैनिकों ने ग्रुप-सी की ताकत का महज 1.15% (कुल 2,72,848 में से 3,138) और 170 सीपीएसयू में से 94 में ग्रुप-डी की संख्या का 0.3% (404 में से 1,34,733) का इस्तेमाल किया गया.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, जहां पूर्व सैनिकों के लिए ग्रुप-सी में सीधी भर्ती के लिए 14.5 फीसदी और ग्रुप-डी में 24.5% सीटें तय की गई हैं, और इस सेक्टर में थोड़ा सुधार दिखा. ग्रुप-सी में पूर्व सैनिकों की संख्या 9.10% (कुल 2,71,741 में से 24,733) और 13 पीएसबी में ग्रुप-डी में 21.34% (कुल 1,07,009 में से 22,839) है.
पूर्व सैनिकों की कमी का मुद्दा
पूर्व सैनिकों की भर्ती में कमी का मुद्दा पूर्व में कई बैठकों में उठाया जा चुका है. हाल में 2 जून को पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक में हुई थी, जिसमें पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण नीति के कार्यान्वयन को विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा नियुक्त रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और संपर्क अधिकारियों ने हिस्सा लिया था.
बैठक के रिकॉर्ड के अनुसार, पुनर्वास महानिदेशालय ने कहा कि अधिकृत ईएसएम रिक्तियों को भरने के माध्यम से सरकारी विभागों में ईएसएम (पूर्व सैनिकों) के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए. बैठक में यह भी कहा गया है, ‘डीजी (आर) ने कहा कि एलओ से अनुरोध किया जाता है कि वे इस बात की निगरानी करें कि भर्ती एजेंसियों के माध्यम से सीधी भर्ती या भर्ती के लिए प्रकाशित होने वाले जॉब सर्कुलर या विज्ञापन में ईएसएम रिक्तियों का विधिवत उल्लेख किया गया है या नहीं.’
फिलहाल 30 जून, 2021 तक, पूर्व सैनिकों की संख्या 26,39,020 थी जिसमें सेना से 22,93,378, नौसेना से 1,38,108 और वायुसेना से 2,07,534 शामिल हैं.