मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने पार्टी उपनियमों में संशोधन के लिए AIADMK की आम परिषद की कल होने वाली बैठक पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि वह ऐसे मामलों में दखल नहीं दे सकता. वहीं खबर है कि मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील करने वाले अन्नाद्रमुक महापरिषद के सदस्य षणमुगम की याचिका पर न्यायमूर्ति एम दुरईस्वामी और न्यायमूर्ति सुंदर मोहन की खंडपीठ सुनवाई करेगी. इससे पहले खंडपीठ ने हाई कोर्ट के आदेश को सुरक्षित रखा था, जिसमें पार्टी के उपनियमों में संशोधन के लिए 23 जून को अन्नाद्रमुक (AIADMK) की आम परिषद की बैठक पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था.
आदेश में कहा गया कि 23 प्रस्तावों पर फैसला लिया जा सकता है, लेकिन उसके अलावा कुछ नहीं किया जा सकता. हालांकि पार्टी के सदस्यों को किसी अन्य मामले पर चर्चा करने की स्वतंत्रता है. वहीं एक दिन पहले मंगलवार को कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को विपक्षी दल अन्नाद्रमुक की आम परिषद और कार्यकारिणी समिति की बैठक के मद्देनजर पुलिस सुरक्षा प्रदान करने को लेकर कदम उठाने का निर्देश दिया था. यह बैठक 23 जून को चेन्नई के वनगरम में एक मैरिज हॉल में आयोजित होने वाली है.
अन्नाद्रमुक में क्यों गहरा रहा संकट?
न्यायमूर्ति एन सतीश कुमार ने पार्टी के तिरुवल्लूर जिले के सचिव पी बेंजामिन की रिट याचिका पर इस आशय का निर्देश दिया. आम परिषद ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है. पिछले कुछ दिनों में एक नेतृत्व के मुद्दे पर पार्टी में मतभेद गहरा गया है. अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ताओं और नेताओं का खेमा समन्वयक ओ पनीरसेल्वम और संयुक्त समन्वयक के पलानीस्वामी के बीच बंट चुका है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील विजय नारायण ने न्यायाधीश को बताया कि पार्टी ने 8 और 15 जून को थिरुवेरकाडु पुलिस निरीक्षक को पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन किया था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. नारायण ने कहा कि जब यह सूचित किया गया कि 23 जून को पूर्व विधायकों, सांसदों और मंत्रियों सहित 2,500 से अधिक सदस्य बैठक में भाग लेंगे, तो अधिकारियों को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए था और सुरक्षा प्रदान करने के संबंध में जवाब देना चाहिए था.
राज्य के लोक अभियोजक हसन मोहम्मद जिन्ना ने न्यायाधीश को बताया कि पुलिस ने बैठक के संबंध में 26 प्रश्नों का एक सेट दिया था लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. इसे जमा करने के बाद, पुलिस आदेश देने में देर नहीं करेगी. न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता को पुलिस द्वारा मांगे गए विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.