
देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माने जाने के बावजूद तिरुवनंतपुरम शहर में श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर (Sree Padmanabha Swamy Temple) वित्तीय संकट से जूझ रहा है. मंदिर पिछले साल भी दिवालिया (Bankrupt) होने के बाद चर्चा में था और राज्य सरकार को कई मौकों पर इसे आसान कर्ज के साथ उबारना पड़ा था. बाद में मंदिर को कुछ पैसे जुटाने के लिए 500 रुपए के वीआईपी टिकट पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा था. मंदिर के अधिकारियों का कहना है कि मंदिर को कर्मचारियों के वेतन और अन्य जरूरतों के अलावा रखरखाव के लिए हर महीने 1.50 करोड़ रुपए की जरूरत है.
देश के सबसे धनी तीर्थस्थल की तिजोरी में रखी गई बेशकीमती संपत्ति का सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन रिपोर्ट्स में तिजोरी ए में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति का अनुमान लगाया है. 2011 में सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद सम्पत्ति का निरीक्षण करने वाले एपिग्राफिस्ट, जेमोलॉजिस्ट, न्यूमिजमाटिस्ट और कानूनी दिग्गजों सहित कई एक्सपर्ट्स भी चुप रहे. बता दें कि आखिरी तिजोरी (ए) को जून 2011 में खोले हुए एक दशक बीत चुका है.
250 कमांडो करते हैं मंदिर की रखवाली
सुरक्षा कड़ी करने के लिए मंदिर के चारों ओर लगाए गए भूमिगत स्कैनर, सीसीटीवी और बोलार्ड सहित लगभग 250 कमांडो मंदिर की रखवाली करते हैं. मंदिर निकाय ने कहा कि 132 स्थायी कर्मचारी और 112 दैनिक मजदूर हैं. हाल ही में नकदी की तंगी से जूझ रही सरकार मंदिर से सुरक्षा बिल का भुगतान करने के लिए जोर दे रही है. 2018 में केंद्र सरकार ने स्वदेश दर्शन कार्यक्रम के तहत मंदिर के आसपास बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए मंजूर किए थे.
दर्शन के बाद पैरों को अच्छी तरह धोकर ही मंदिर से बाहर आते हैं भक्त
भक्तों के एक वर्ग का मानना है कि परिवार की भक्ति और अखंडता के कारण मंदिर की संपत्ति बरकरार है. वे अभी भी शाही परिवार के सदस्यों के एक रिवाज को याद करते हैं जो दर्शन के बाद मंदिर से बाहर आते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए अपने पैरों को अच्छी तरह से धोते हैं कि वे मंदिर से संबंधित रेत का एक टुकड़ा भी घर नहीं ले जा रहे हैं.
मंदिर के आसपास की विभिन्न कहानियों और किंवदंतियों के अलावा चौंका देने वाले खजाने पर सबकी राय भी अलग-अलग है. कुछ लोग चाहते हैं कि इसे एक संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाए और नकदी की कमी वाले राज्य और मंदिर के लिए आर्थिक लाभ लिया जाए. वामपंथक चाहते हैं कि यह लोगों के रहने की स्थिति में सुधार के लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों को वित्तपोषित करे. लेकिन अन्य भक्तों का एक वर्ग और दक्षिणपंथी समर्थक इसका जमकर विरोध करते हैं.