
ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने बुधवार को कहा कि यह जरूरी है कि चीन (China), भारत के साथ पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में गतिरोध को सुलझाने की दिशा में प्रतिबद्धता दिखाए और यह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत संवाद के जरिए होनी चाहिए. दिल्ली स्थित नेशनल डिफेंस कॉलेज में दिए अपने संबोधन में ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री व रक्षा मंत्री रिचर्ड मारलेस (Australian Defence Minister Richard Marles) ने कहा कि भारत और कैनबेरा के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों को बीजिंग के विरोध के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने परोक्ष रूप से पूर्वी लद्दाख का उदाहरण देते हुए कहा कि नियम आधारित व्यवस्था हर जगह मायने रखती है.
गलवान घाटी (Galwan Ghati) में हुए संघर्ष का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय बलों पर हुआ हमला एक चेतावनी थी जिसे हम सबको समझना चाहिए. ऑस्ट्रेलिया भारत की संप्रभुता के लिए खड़ा रहा और अब भी उसके साथ है.’ उन्होंने कहा, ‘यह जरूरी है कि चीन अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वार्ता की प्रक्रिया से विवाद का समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्धता जताए. वैश्विक नियम आधारित व्यवस्था हर जगह मायने रखती है, चाहे वह दुनिया की सबसे ऊंची जगह ही क्यों न हो.’
रूस-यूक्रेन युद्ध पर कही ये बात
वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध पर बोलते हुए मार्लेस ने कहा कि यूरोप में युद्ध की वापसी एक और चेतावनी है. उन्होंने कहा कि वह भारत को यह व्याख्यान देने के लिए यहां नहीं आए हैं कि उसे इस संघर्ष का जवाब कैसे देना चाहिए या रूस के साथ अपने संबंधों को कैसे संभालना चाहिए. मगर यूक्रेन पर रूस का युद्ध हमें सिखाता है कि हम संघर्ष को रोकने के लिए केवल आर्थिक संबंधों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं.
मारलेस ने राजनाथ सिंह के साथ की द्विपक्षीय बैठक
बता दें कि मारलेस चार दिवसीय यात्रा पर सोमवार को भारत पहुंचे. ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री ने बुधवार को अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ द्विपक्षीय बैठक की. इस दौरान दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और एक खुले, मुक्त और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अपने साझा उद्देश्य की पुष्टि की.
(भाषा से भी इनपुट)