
राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) आज अपना नामांकन दाखिल करेंगे. इस दौरान उनके साथ विपक्ष के कई बड़े नेताओं के आने की उम्मीद है. उम्मीद की जा रही है कि राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, सीताराम येचुरी, शरद पवार और ममता बनर्जी उनके साथ रहेंगे. उनके नामांकन दाखिल करने से पहले विपक्षी दल सुबह 11.30 बजे संसद भवन में बैठक करेंगे. इस बैठक में उन नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है, जो यशवंत सिन्हा को समर्थन दे रहे हैं. उन्होंने नामांकन दाखिल करने से पहले रविवार को कहा कि अगले महीने होने वाला राष्ट्रपति चुनाव व्यक्तिगत मुकाबले से कहीं अधिक है और सरकार की तानाशाही प्रवृत्तियों का विरोध करने की दिशा में एक कदम है.
उन्होंने मुकाबले से पीछे हटने से इनकार किया. सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह अपने बेटे एवं भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद जयंत सिन्हा का समर्थन नहीं मिलने को लेकर किसी धर्म संकट में नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘मेरा बेटा अपने राज धर्म का पालन करेगा और मैं अपने राष्ट्र धर्म का पालन करूंगा.’ उन्होंने कहा, ‘यह चुनाव महज भारत के राष्ट्रपति के चुनाव से कहीं बढ़कर है.यह चुनाव सरकार की तानाशाही प्रवृत्तियों का विरोध करने की दिशा में एक कदम है. यह चुनाव भारत की जनता के लिए संदेश है कि इन नीतियों का विरोध होना चाहिए.’
भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) द्वारा राष्ट्रपति चुनाव के लिए आदिवासी समुदाय की नेता द्रौपदी मुर्मू को मुकाबले में उतारने को लेकर सिन्हा ने कहा कि एक व्यक्ति को ऊपर उठाने से पूरे समुदाय का उत्थान नहीं होता. उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक जीवन के अपने लंबे अनुभव से, मैं कह सकता हूं कि एक व्यक्ति का उत्थान पूरे समुदाय को आगे नहीं बढ़ाता है. पूरे समुदाय का उत्थान सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियों पर निर्भर करता है. इस पर और टिप्पणी किए बिना, मैं कहूंगा कि हमारे अपने इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां एक समुदाय में एक व्यक्ति के उत्थान के जरिए उस समुदाय को एक इंच भी ऊपर उठाने में मदद नहीं मिली है. यह केवल प्रतीकात्मक है और इसके अलावा कुछ नहीं है.’
उन्होंने कहा कि मुकाबला व्यक्तिगत लड़ाई से बहुत बड़ा है और जब तक लोग नहीं जागेंगे और पूरी व्यवस्था में सुधार नहीं होगा, तब तक स्थिति में सुधार नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘व्यक्तिगत जीत या हार की तुलना में बहुत कुछ दांव पर है. हमारा लोकतंत्र, हमारा संविधान खतरे में है और स्वतंत्रता संग्राम के सभी मूल्य खतरे में हैं, इसलिए भारत को खतरा है और उन्हें भारत की रक्षा के लिए आगे बढ़ना होगा.’