पुलिस महकमे में रिश्वत (Corruption) के कहानी किस्से आम-बात है. यह महकमा दरअसल बदनाम ही अपनी इसी ‘कमजोरी’ के चलते हैं. खाकी में मौजूद बाकी कमियों को अगर नजरअंदाज करने की भी कोशिश की जाए, तो उसकी यह कमजोरी कहिए या फिर कमी यानी ‘रिश्वतखोरी’ सब पर भारी साबित होती रहती है. ऐसे में पुलिस की नजर में फिर आम आदमी हो या फिर देश का प्राइम मिनिस्टर क्या फर्क पड़ता है? बस किसी तरह से ‘शिकार’ उसके कब्जे में एक बार फंस जाए. फिर भला शिकार की क्या मजाल जो बिना ‘दक्षिणा’ दिए वो जिंदा पुलिस के चंगुल से बच सके.
मैं यहां जिस किस्से का जिक्र कर रहा हूं, यह सच्चा किस्सा है, देश के एक प्रधानमंत्री (Prime Minister of India) से ही पुलिस द्वारा ‘उगाही’ की कथित कोशिश का. जिस देश की पुलिस उगाही के मामले में भला देश के प्रधानमंत्री को भी न बख्शती हो. उस देश में आमजन का सूरत-ए-हाल क्या होगा? प्रत्यक्ष को भला प्रमाण की क्या जरूरत है? यह खाकी में कथित भ्रष्टाचार की यह सच्ची कहानी है उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की सन् 1979 की एक शाम की. शाम करीब 6 बजे के आसपास के वक्त की कहानी. मैला-कुचैला सफेद कुर्ता, मिट्टी से सनी धोती, सिर पर अंगोछा डाले एक किसान बेहाली के आलम में पहुंचता है ऊसराहर.
अनजान हवलदार ने दागे सवाल
पांव में बिना चप्पल के देखने भालने से दुबला-पतला खांटी गांव के उस बुजुर्ग किसान की उम्र यही कोई 70-75 साल के आसपास रही होगी. थाने की देहरी पर सहमे सहमे से खड़े किसान को देखकर, एक हवलदार ने खुद ही टोका और पूछा कि वो थाने पर क्यों आया है? खुद पुलिस वाले द्वारा सवाल दागे जाने से किसान की हिम्मत बढ़ी तो वो बोला, ‘दरोगा जी मेरी जेब पर किसी ने हाथ साफ कर दिया है. मतलब किसी चोर ने जेब काट ली है. मैं रपट लिखवाने थाने आया हूं.’
बेहूदा हवलदार के बेतुके सवाल
किसान की बात सुनते ही थाना परिसर के भीतर एक कुर्सी पर जमे पुलिस वाले ने सवाल दागने शुरू कर दिए. मसलन, कहां तुम्हारी जेब कट गई. तुम कहां के रहने वाले हो. तुम्हारी जेब कट गई और तुम्हे हवा तक नहीं लगी? यह तो तुम्हारी गलती है. पुलिस इसमें क्या करेगी? खुद को हिम्मत बंधाते हुए किसान ने जवाब दिया, ‘मैं मेरठ का रहने वाला हूं साहब. इटावा में रिश्तेदार के घर आया था. यहां से बैल खरीदने थे.’ इतना सब सुनते ही हवलदार ने फिर एक बेहूदा सवाल दाग दिया, ‘मेरठ से इटावा इतनी दूर बैल खरीदने आने की क्या जरूरत थी? साथ ही यह भी बताओ कि तुम्हारी पास अपनी जेब कट जाने का सबूत क्या है? हो सकता है कि तुम्हारी गफलत के चलते जेब से रुपए कहीं निकल कर गिर गए हों.’ और तुम्हें लग रहा है कि तुम्हारी जेब किसी ने काट ली है. इसके अलावा भी और जितने उट-पटांग सवाल संभव थे वे सब उस हवलदार ने थाने पहुंचे बुजुर्ग किसान से पूछ डाले. अंत में हवलदार ने यहां तक कह डाला कि तुम कितना भी जोर लगा लो मुकदमा नहीं लिखा जाएगा.
हवलदार के सामने बैठे हताश बुजुर्ग को देखकर उसी वक्त मौके पर एक सिपाही आ गया. जिसने बुजुर्ग किसान के सामने प्रस्ताव रखा कि अगर वो कुछ ‘सेवा-पानी’ (रिश्वत) का इंतजाम कर सके, तो उसकी शिकायत पर मुकदमा दर्ज करने की सोची जा सकती है. सिपाही के प्रस्ताव से किसान के चेहरे पर खुशी लौट आई. मतलब बुजुर्ग किसान रिश्वत देकर अपना मुकदमा लिखाने पर जब राजी हो गया.
35 रुपए की रिश्वत से सैटिंग हुई
तो थोड़ी देर पहले ही सवाल पर सवाल दाग रहे हवलदार सिपाही के चेहरे भी खिल उठे. थाने का सिपाही 35 रुपए की रिश्वत लेकर मुकदमा लिखने पर राजी हो गया. गरीब किसान से 35 रुपए मिलते ही थाने वालों ने उसकी रिपोर्ट लिखना शुरू कर दिया. रिपोर्ट लिखने के बाद थाने का मुंशी किसान से बोला कि अर्जी पर अंगूठा लगाओगे या दस्तखत करोगे? यह कहते हुए थाने के मुंशी ने किसान के सामने पेन और अंगूठा लगाने के लिए स्याही का पैड दोनो ही बढ़ा दिए. शिकायतकर्ता किसान ने पहले पेन उठाया और फिर स्याही वाला पैड भी. उस किसान ने मगर कागज पर अपने दस्तखत कर दिए. उसके बाद मैले-कुचैले कुर्ते की जेब से एक मुहर निकाली. जेब से निकाली अपनी मुहर को स्याही के पैड पर लगाकर कागज पर लगा दिया.
थाने में PM देख पलटा पासा
ये देखकर थाने का मुंशी और उसके आसपास मौजूद पुलिस वाले हैरत में पड़ गए. थाने के मुंशी ने जब उस किसान के दस्तखत और मुहर पर नजर डाली तो वो कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया. और ‘सर सर जी सर माफ करना सर’ जैसे अल्फाज बिना सांस लिए ही बोलने लगा. क्योंकि वो कोई और शख्स नहीं देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (PM Chaudhary Charan Singh) थे. उन्होंने जो मुहर उस रिपोर्ट पर लगाई वो भी “प्रधानमंत्री भारत” की मुहर थी. थाने में प्रधानमंत्री के छापे की खबर सुनते ही, मौके पर जिले के तमाम आला पुलिस अफसरों का जमघट लग गया. आरोपी सभी पुलिसकर्मियों को मौके पर ही निलंबित कर दिया गया. यहां यह बताना जरूरी है कि उन दिनों आज के इटावा जिले में मौजूद उसराहर थाना तब औरैय्या जिला में पड़ता था.