
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने संसद में अपने भाषण में केंद्र सरकार को लगातार बढ़ते जीएसटी और महंगाई के लिए जिम्मेदार ठहराया. वहीं चड्ढा ने स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टेम्पल) की सरायों पर जीएसटी लगाने के लिए भी केंद्र सरकार की निंदा की. संसद में अपने भाषण में उन्होंने स्वर्ण मंदिर की सरायों पर लगाए गए जीएसटी को सिखों और पंजाबियों पर लगाया जाने वाला ‘औरंगजेब का जजिया टैक्स’ करार दिया. राघव चड्ढा ने कहा कि सरायों पर जीएसटी लागू करना बीजेपी सरकार के सिख विरोधी और पंजाब विरोधी रवैये को स्पष्ट रूप से दर्शाता है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस फैसले को तुरंत वापस लेना चाहिए.
सच में महंगाई डायन खायत जात है
बढ़ती महंगाई के लिए केंद्र सरकार को घेरते हुए बॉलीवुड मूवी का एक गाना ‘महंगाई डायन खाए जात है’ का जिक्र करते हुए चड्ढा ने कहा कि यह अब बीजेपी के शासन में हकीकत बन गया है. देश में घरेलू व अन्य जरूरी वस्तुओं की लगातार बढ़ती कीमतों ने गरीब और आम आदमी की कमर तोड़ दी है.
गांव की महंगाई शहरों से ज्यादा हुई
सांसद चड्ढा ने अपने भाषण में कहा की किसान,उत्पादक और उपभोक्ता लगातार बढ़ रही महंगाई की दोहरी मार झेल रहा है. बावजूद इसके केंद्र सरकार ने उनकी वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए कुछ नहीं किया है. यहां तक कि केंद्र सरकार ने जिन फसलों पर एमएसपी बढ़ाने का वादा किया किया था उसे भी पूरा नही किया. नतीजन पहले से कर्ज में डूबा किसान और कर्ज में डूब गया है. लेकिन, सरकार को केवल अपने कॉरपोरेट दोस्तों की चिंता है.चड्ढा ने कहा कि यह एक चौंकाने वाला तथ्य है कि इतिहास में पहली बार, अब गांवों में महंगाई शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक है.
बीजेपी ने रुपये को सीनियर सिटीजन बनाया
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि पिछली सरकारों ने रुपये को सीनियर सिटीजन बनाया. लेकिन, बीजेपी सरकार ने डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य को 80 से अधिक पार कर मार्गदर्शक मंडलमें पहुंचा दिया. चड्ढा ने आगे कहा कि जिस तरह रावण के 10 सिर थे, उसी तरह देश की महंगाई के भी 7 सिर हैं. जिसमें पहला है ऊर्जा पर टैक्स, दूसरा है सर्विस इन्फ्लेशन जो नजर नहीं आती. लेकिन, महसूस होती है, तीसरा है जीएसटी का बोझ, चौथा है लागत बढ़ाने वाली महंगाई, पांचवा है बढ़ती महंगाई घटती कमाई, छटा है गिरता हुआ रुपया और सातवां है कॉर्पोरेट और सरकार की सांठगांठ.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 2016 से 2022 तक ईंधन पर लगाए गए उत्पाद शुल्क के माध्यम से 16 लाख करोड़ रुपये से अधिक कमाए हैं और पिछले एक साल में ईंधन की कीमतें 75 बार से अधिक बढ़ाई हैं.