16 साल के PFI पर 5 साल का प्रतिबंध, जानिए आज दिनभर के बड़े अपडेट्स…

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केंद्र सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार ने पीएफआई पर ISIS जैसे वैश्विक आतंकी समूहों से संबंध रखने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से मंगलवार रात जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, केंद्र सरकार का मानना है कि पीएफआई और उसके सहयोगी ऐसी विनाशकारी कृत्यों में शामिल रहे हैं, जिससे जन व्यवस्था प्रभावित हुई है.

देश के संवैधानिक ढांचे को कमजोर किया जा रहा है और आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है और उसे लागू करने की कोशिश की जा रही है. सरकार के इस फैसले का कई मुस्लिम संगठनों ने भी स्वागत किया है. वहीं, राजद ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि पीएफआई के बदले आरएसएस पर बैन लगाया जाना चाहिए. पढ़िए पीएफआई से जुड़े दिनभर के तमाम बड़े अपडेट्स…

  • अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआई देश के खिलाफ असंतोष उत्पन्न करने के इरादे से राष्ट्र विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने और समाज के एक विशेष वर्ग को कट्टरपंथी बनाने की लगातार कोशिश कर रहा है. पीएफआई ने समाज के विभिन्न वर्गों जैसे युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों या समाज के कमजोर तबकों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए अपने अलग-अलग मोर्चे बनाए, जिसका एकमात्र लक्ष्य अपना विस्तार करना, प्रभाव बढ़ाना और धन एकत्रित करना रहा.
  • आतंकवाद रोधी कड़े कानून यूएपीए के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध के बाद संगठन के खिलाफ कई कार्रवाई की जाएंगी, जिनमें इसकी संपत्तियों को जब्त करना, बैंक खातों पर रोक लगाना और इसकी सामान्य गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना शामिल है.
  • राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को एक ‘हिंदू कट्टरपंथी संगठन’ करार दिया और कहा कि उस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. राजद प्रमुख ने कहा, ‘वे बिना मतलब पीएफआई का भय दिखाते रहे हैं. यह आरएसएस है, जो हिंदू कट्टारपंथ से जुड़ा है और इसे पहले प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.’ लालू यादव ने दोहराया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का सफाया हो जाएगा.
  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि पॉपुरल फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं है बल्कि बेहतर विकल्प यह होता कि उन्हें राजनीतिक रूप से अलग-थलग कर उनकी आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जाती.
  • केंद्र सरकार की बड़ी कार्रवाई के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने अपने संगठन को भंग कर दिया है. पीएफआई ने कहा कि उसे सरकार का फैसला मंजूर है. सत्तार ने संगठन की केरल इकाई के फेसबुक पेज पर पोस्ट कर कहा, ‘देश के कानून का पालन करते हुए संगठन गृह मंत्रालय का फैसला स्वीकार करता है.’ इस पोस्ट के कुछ देर बाद ही सत्तार को पुलिस ने पकड़ लिया गया.
  • सरकार ने पीएफआई के जिन आठ सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया है, उनमें रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल के नाम शामिल हैं.
  • पीएफआई को बैन करने के फैसले पर कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने सवाल उठाते हुए कहा कि इस संगठन पर पहले क्यों नहीं प्रतिबंध लगाया गया.
    उन्होंने कहा कि सरकार ने ये फैसला चुनाव को देखते हुए लिया है. राशिद अल्वी ने कहा, पीएफआई तो बहुत साल पहले बना है. इस साल कई राज्यों में चुनाव हैं. अगले साल भी बहुत सारे चुनाव हैं, उससे पहले पाबंदी लगाई गई है और वो भी पांच साल के लिए. इसके बाद पीएफआई को संगठित होने की इजाजत दे दी जाएगी?
  • वहीं, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की एक सहयोगी संगठन ने केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए बैन को ‘अलोकतांत्रिक’ और ‘संविधान विरोधी’ बताया है. संगठन के छात्र विंग ने कहा कि वे इस प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और सरकार के फैसले को चुनौती देंगे. वहीं, भाजपा के नेताओं एवं केंद्रीय मंत्रियों ने इस फैसले की सराहना की. उन्होंने कहा कि यह कदम दर्शाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार उन ताकतों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करती है, जिनका उद्देश्य देश में शांति व स्थिरता को बाधित करना होता है.
  • साल 2006 में गठित यह संगठन 2010 से सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर था, जब केरल में एक प्रोफेसर के हाथ काटने की घटना हुई थी. इस मामले में दोषी ठहराए गए कई आरोपी संगठन के सदस्य थे. एनआईए के नेतृत्व में विभिन्न एजेंसियों की टीमों ने पिछले हफ्ते 15 राज्यों में 93 स्थानों पर छापे मारे थे और देश में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के आरोप में पीएफआई के 100 से अधिक नेताओं को गिरफ्तार किया था.

(भाषा से इनपुट)

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