
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 सितंबर को जापान की यात्रा पर जाएंगे जहां वह पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में हिस्सा लेंगे. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार इसकी जानकारी दी. जापान के सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले शिंजो आबे की 8 जुलाई को पश्चिमी इलाके में चुनावी कार्यक्रम के दौरान एक हमलावर ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्तहिक प्रेस वार्ता में बताया कि शिंजो आबे का राजकीय अंतिम संस्कार कार्यक्रम है और यह बेहद मित्रवत देश में है. उन्होंने कहा कि यह काफी अच्छा है कि प्रधानमंत्री अपने व्यस्त कार्यक्रम में से समय निकालकर वहां जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘यह निजी संबंधों का भी विषय हो सकता है लेकिन मेरे लिए इस पर कोई टिप्पणी करना ठीक नहीं है.’
PM मोदी फुमियो किशिदा से भी करेंगे मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी अपनी यात्रा के दौरान जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से अलग से मुलाकात करेंगे. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी और आबे के बीच काफी निकटता रही थी. आबे के निधन पर शोक प्रकट करते हुए मोदी ने उन्हें ‘प्रिय मित्र’ से संबोधित किया था और कहा था कि जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ने दुनिया को बेहतर स्थान बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.
दुनिया ने एक विजनरी लीडर खो दिया
पीएम मोदी ने आबे के निधन पर अपने मित्र को विशेष श्रद्धांजलि दी थी. उन्होंने कहा था, शिंजो आबे न सिर्फ जापान की एक महान विभूति थे, बल्कि विशाल व्यक्तित्व के धनी एक वैश्विक राजनेता थे. भारत-जापान की मित्रता के वे बहुत बड़े हिमायती थे. बहुत दुखद है कि अब वे हमारे बीच नहीं हैं. उनके असमय चले जाने से जहां जापान के साथ पूरी दुनिया ने एक बहुत बड़ा विजनरी लीडर खो दिया है, तो वहीं मैंने अपना एक प्रिय दोस्त.
आबे के पास आइडियाज का भंडार होता था
शिंजो आबे के साथ प्रधानमंत्री मोदी के संबंध काफी अच्छे थे. आबे के निधन के बाद पीएम मोदी ने कहा था कि उनसे मिलना हमेशा ही मेरे लिए बहुत ज्ञानवर्धक, बहुत ही उत्साहित करने वाला होता था. उनके पास हमेशा नए आइडियाज का भंडार होता था. आबे का दायरा गवर्नेंस और इकॉनॉमी से लेकर कल्चर और विदेश नीति तक बहुत ही व्यापक था. वे इन सभी मुद्दों की गहरी समझ रखते थे. उन्होंने कहा कि आबे और मेरे बीच सिर्फ औपचारिक रिश्ता नहीं था. 2007 और 2012 के बीच और फिर 2020 के बाद, जब वे प्रधानमंत्री नहीं थे, तब भी हमारा व्यक्तिगत जुड़ाव हमेशा की तरह उतना ही मजबूत बना रहा.
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