
बांग्लादेश सरकार ने भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ढाका का दौरा करने का पस्ताव दिया है. मामले से परिचित लोगों ने जानकारी देते हुए बताया है कि बांग्लादेश सरकार का कहना है कि भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों को संपर्क, व्यापार और सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने पर बातचीत के लिए ढाका का दौरा करना चाहिए. इसके लिए सरकार की ओर से उन्हें प्रस्ताव भी दिया गया है. बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना की पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्री जी किशन रेड्डी के साथ 7 सितंबर को नई दिल्ली में हुई बैठक के दौरान इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई थी.
जानकारी के मुताबिक भारतीय पक्ष ने प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया और यात्रा के लिए सही समय तय करने पर काम चल रहा है. इसके लिए सात मुख्यमंत्रियों के शेड्यूल को कोऑर्डिनेट करना होगा. बता दें, बांग्लादेश भारत की “पड़ोसी पहले” और “एक्ट ईस्ट” नीतियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और नई दिल्ली के विकास साझेदारी कार्यक्रम के तहत सहायता और क्रेडिट का एक प्रमुख प्राप्तकर्ता रहा है. हाल के सालों में विशेष रूप से रेल संपर्क और नदी परिवहन के क्षेत्र में की गई कई संपर्क पहलों का मकसद पूर्वोत्तर राज्यों को लाभ पहुंचाना है.
बाग्लादेश की कोशिशों से पूर्वोत्तर राज्यों में बेहतर हुई सुरक्षा स्थिति
भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा का एक बड़ा हिस्सा पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में स्थित है. इन राज्यों को सुरक्षा की स्थिति के मामले में शेख हसीना सरकार द्वारा यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) जैसे भारत विरोधी समूहों के खिलाफ कार्रवाई से फायदा हुआ है.
शेख हसीना और रेड्डी के बीच प्रस्ताव को लेकर हुई चर्चा के मुताबिक सातों मुख्यमंत्रियों के साथ कनेक्टिविटी, व्यापार और सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने को लेकर बातचीत की जाएगी. वहीं विदेश मंत्रालय को भी इस तरह की यात्रा को मंजूरी देते हुए मुख्यमंत्रियों को औपचारिक निमंत्रण भेजना होगा. हाल ही में ढाका में भारतीय पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान, बांग्लादेश के विदेश राज्य मंत्री शहरयार आलम ने हसीना और रेड्डी के बीच बैठक को “बहुत आशाजनक” बताया था. उन्होंने यह भी कहा था कि जब मुख्यमंत्री ढाका का दौरा करेंगे तो पूर्वोत्तर राज्यों के साथ सीधे व्यापार के मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है.
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