
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक सुनवाई को दौरान कहा है कि पोक्सो एक्ट 2012 किसी प्यार में पड़े टीनेजर को सजा देने के लिए नहीं है. दरअसल हाईकोर्ट ने एक पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है. मामला एक 16 साल के टीनेजर का है जिस पर बलात्कार का केस चल रहा है. इस केस में आरोपी नाबालिग पर पोक्सो एक्ट के तहत मामला चल रहा है. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस को खारिज किया है.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने आरोपी नाबालिग के हित में फैसला सुनाते हुए कहा है कि, ‘पोक्सो एक्ट क्यों लाया गया था हमें यह भूलना नहीं चाहिए, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसके जरिए हम उन टीनेजर्स को सजा देने के लिए करें जो कि प्यार में पड़कर ऐसे कामों को कर बैठते हैं जो कि एक्ट में सजा के योग्य हैं.’ जस्टिस एम नागाप्रसन्ना ने कहा, ‘हर मामला जो कि सेक्सुअल एक्टिविटी से जुड़ा है पोक्सो एक्ट के अंतर्गत नहीं आ सकता है. लेकिन हां कुछ ऐसे केस भी होते हैं जैसे हमारे सामने आया है जहां किशोर एक्ट के परिणामों को जाने बिना उन्हें कर बैठते हैं.’
क्या है पोक्सो एक्ट
पोक्सो (POCSO) एक्ट का फुलफॉर्म प्रोटेक्शन ऑफ चिल्डरन अगेन्स्ट सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट 2012 है. यह एक्ट दरअसल लड़का और लड़की को समान अधिकार प्रदान करता है और किसी भी तरह की सेक्सुअल एक्टिविटी, सेक्सुअल असॉल्ट या हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से बचाता है. इस कानून को 2012 में लागू किया गया था. इस में अलग-अलग अपराधों के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान है.
दोआब (Doab) किसे कहते हैं? और जानिए भारत के दोआब क्षेत्रों के बारे में