
कांग्रेस और बीजेपी ने केरल सीएम पिनाराई विजयन की यूरोप यात्रा पर सवाल उठाए हैं. मुख्य विपक्षी दलों ने केरल सरकार से कहा कि वो इस मामले में लेक्चर देना बंद करें. मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट के तीन मंत्री निवेश आकर्षित करने और शिक्षा के क्षेत्र में एक अध्ययन के लिए यूरोपीय यात्रा की योजना बना रहे हैं. सीएम के साथ शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी, उद्योग मंत्री पी राजीव और वित्त मंत्री के एन बालगोपाल भी हैं. राज्य के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने यात्रा को उचित ठहराते हुए कहा कि इससे राज्य को बहुत फायदा होगा. उन्होंने कहा कि राज्य की वित्तीय स्थिति का हवाला देकर यात्रा को स्थगित नहीं किया जा सकता. आपको बता दें कि केरल इस वक्त गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है.
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और तीन अन्य मंत्रियों की अगले महीने यूरोप की प्रस्तावित यात्रा ने एक राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है. विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने सरकार से कहा कि वह वित्तीय विवेक पर लेक्चर देना बंद करे और सरकार जो उपदेश दे रही है उस पर नियंत्रण और अभ्यास करें. मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी और अधिकारियों का एक समूह अगले महीने के पहले सप्ताह में यूरोप का दौरा करने वाला है. वे शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग का पता लगाने के लिए फिनलैंड, नॉर्वे और अन्य नॉर्डिक देशों का दौरा करेंगे.
अगले महीने यूरोप की यात्रा
पर्यटन मंत्री मोहम्मद रियास के अगले महीने पर्यटन की संभावनाएं तलाशने के लिए फ्रांस और अन्य देशों की यात्रा करने की उम्मीद है. उद्योग मंत्री पी राजीव राज्य में निवेश आकर्षित करने के लिए नवंबर में ब्रिटेन का दौरा करेंगे. मिनिस्टर बालगोपाल ने कहा कि ये दौरे ज्ञान और आपसी सहयोग और मदद हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण हैं. वे राज्य के समग्र व्यय को प्रभावित नहीं करेंगे. उन्होंने कहा है कि स्थिति उतनी खराब नहीं है जितनी एक वर्ग ने पेश की है.
माकपा ने यात्रा का किया समर्थन
माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने भी मंत्रियों की यूरोप यात्रा को सही ठहराया. उन्होंने कहा कि विदेश यात्राएं शासन का हिस्सा हैं. हम अन्य देशों से बहुत कुछ सीख सकते हैं और आपसी सहयोग का पता लगा सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से उठाया गया था. हाल ही में समाप्त हुए ओणम त्योहार में राज्य में बड़े पैमाने में खर्च किए गए. इस साल अप्रैल से दिसंबर तक नौ महीने की अवधि में केंद्र सरकार पर ₹17,936 करोड़ कर्ज ने राज्य की वित्तीय स्थिति को बिगाड़ दिया है.
जरूरत से ज्यादा खर्च किया केरल सरकार ने
वित्त विभाग के अनुसार राज्य का मासिक खर्च 14,500 करोड़ रुपये आंका गया था. लेकिन सितंबर के पहले सप्ताह में यह 15,000 करोड़ रुपये को पार कर गया. नि:शुल्क ओणम भोजन किट, सरकारी कर्मचारियों को बोनस, पेंशनभोगियों को त्योहार भत्ता, सरकारी सेवकों को त्योहारी अग्रिम और वेतन पुनरीक्षण देयता सहित तमाम ऐसा खर्च हुआ कि जिससे राज्य पर बोझ बढ़ गया है. इसके अलावा हाईकोर्ट से रैप के बाद बीमार राज्य सड़क परिवहन निगम को अपने कर्मचारियों के लंबित वेतन को पूरा करने के लिए 300 करोड़ रुपये दिए गए थे. वित्त मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि ओणम किट, 14 खाद्य पदार्थों के साथ 87 लाख कार्ड धारकों को वितरित की गई जिसकी कीमत 425 करोड़ रुपये है.
दोआब (Doab) किसे कहते हैं? और जानिए भारत के दोआब क्षेत्रों के बारे में