
विशाखापत्तनम में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे दो डाइविंग सपोर्ट वेसल 22 सितंबर 22 को लॉन्च होने वाले हैं. लॉन्चिंग समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार मुख्य अतिथि होंगे. नौसेना कल्याण और कल्याण संघ (NWWA) की अध्यक्ष कला हरि कुमार द्वारा जहाजों का शुभारंभ किया जाएगा, जो वेसल का नामकरण भी करेंगी. यहां पढ़ें इन खास वेसल्स से जुड़ी बड़ी बातें…
- डाइविंग सपोर्ट वेसल (डीएसवी) भारतीय नौसेना के लिए एचएसएल में स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित अपनी तरह के पहली शिप है. शिप 118.4 मीटर लंबे, 22.8 मीटर चौड़े हैं और बताया जा रहा है कि इनका वजन 9,350 टन होगा.
- 120 मीटर लंबे डीएसवी के पास 215 कर्मियों को कैरी करने की क्षमता है. यह सेना के समुद्र में एक सेल्फ-सस्टेनिंग प्लेटफॉर्म जिसे 60 दिनों तक लगातार परिचालन के लिए तैनात किया जा सकता है.
- के पूरक के साथ जहाज 120 मीटर लंबा है। यह समुद्र में एक आत्मनिर्भर मंच है और समुद्र में 60 दिनों की अवधि के लिए निरंतर परिचालन तैनाती कर सकता है।
- इन जहाजों को डीप सी डाइविंग ऑपरेशन के लिए तैनात किया जाएगा. इसके साथ ही वेसल्स को डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (डीएसआरवी) के साथ, डीएसवी को आवश्यकता होने पर पनडुब्बी बचाव अभियान चलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
- इनके अलावा, ये शिप्स निरंतर गश्त करने, खोज और बचाव अभियान चलाने और उच्च समुद्र में हेलीकॉप्टर संचालन करने में सक्षम होंगे. इसके लिए इनपर हेलिपैड की भी सुविधा होगी.
- शिप दो मुख्य इंजनों द्वारा संचालित है जो अधिकतम 18 समुद्री मील की स्पीड से तैर सकता है. इनके लिए अधिकतर इक्वीपमेंट्स भारत में 120 से अधिक एमएसएमई विक्रेताओं से खरीदे गए हैं.
- इन वेसल्स को बनाने में 80 फीसदी स्वदेशी इक्वीपमेंट्स का इस्तेमाल किया गया है. गौरतलब हा कि देश में DSV परियोजना ने काफी स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा किए हैं.
- इस परियोजना से स्वदेशीकरण को भी बढ़ावा मिला है. इतना ही नहीं इससे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो रही है.
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