
2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं. चुनाव आयोग भी इन चुनावों को बेहतर व्यवस्था के साथ कराने की कोशिश में है. इस बीच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी आईआईटी, गांधीनगर के डायरेक्टर ने बड़ा दावा किया है. उनका कहना है कि चुनाव आयोग के सामने 2024 का आम चुनाव कराने के लिए बड़ी चुनौती है. दरअसल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में लगने वाली चिप और सेमीकंडक्टर की कमी चल रही है. ऐसे में ईवीएम की कम संख्या परेशान कर सकती है.
प्रोफेसर रजत मूना ने हाल ही में आईआईटी, गांधीनगर के डायरेक्टर का पद संभाला है. इसके साथ ही प्रोफेसर रजत मूना 2009 से चुनाव आयोग की ईवीएम पर बनाई गई टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य भी हैं. उन्हें ईवीएम और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) की अच्छी समझ है. इस कमेटी का नेतृत्व आईआईटी दिल्ली के रिटायर्ड प्रोफेसर डीटी साहनी कर रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मूना ने कहा है कि इस समय विश्व सेमीकंडक्टर्स की कमी से जूझ रहा है. उनका कहना है कि पुर्जों को हासिल करने के लिए भी काफी समय लग रहा है. ऐसे में कमेटी ने पिछले साल ही इसकी प्लानिंग करनी शुरू कर दी थी.
13 लाख ईवीएम की जरूरत, 9 लाख ही उपलब्ध
मूना ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का पिछला वर्जन यानी एम 2 मशीनों की संख्या करीब 4 लाख के आसपास है. लेकिन भविष्य में होने वाले चुनावों में ईवीएम का उन्नत रूप या अपडेटेड वर्जन इस्तेमाल किया जाना है. ये एम 3 मशीनें होंगी. विधानसभा चुनावों के दौरान भी इन्हीं नई मशीनों पर मतदान कराया जाना है. उनका कहना है कि इस समय चुनाव आयोग के पास करीब 9 लाख ईवीएम उपलब्ध हैं. लेकिन 2024 के चुनाव के लिए करीब 10 से 11 लाख ईवीएम की जरूरत पड़ेगी. इसके साथ ही 2 से 3 लाख ईवीएम को बैकअप के तौर पर रखा जाना है. ऐसे में कुल 13 लाख ईवीएम की जरूरत 2024 के चुनाव में पड़ेगी. इसका मतलब है कि अगर यही हालात रहे तो 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम की कमी होगी.
सेमीकंडक्टर्स की कमी भी बड़ा कारण
आईआईटी गांधीनगर के डायरेक्टर मूना ने कहा है कि भारत अब सेमीकंडक्टर के निर्माण की ओर बढ़ा है. यह सकारात्मक कदम है. लेकिन इसके नतीजे 7 से 8 साल बाद देखने को मिलेंगे. उनका कहना है कि कई मौजूदा ईवीएम का इस्तेमाल 2019 के लोकसभा चुनाव में किया गया था. ऐसे में कोशिश है कि इनका इस्तेमाल विधानसभा चुनावों में ना किया जाए. लेकिन अगर 2024 में चुनाव आयोग के पास ईवीएम की पर्याप्त संख्या नहीं होगी तो इनमें से उन मशीनों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो ठीक से काम कर रही हैं. मूना का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण सेमीकंडक्टर्स की कमी देखने को मिल रही है. दरअसल यही दोनों देश सेमीकंडक्टर्स के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली गैसों को उपलब्ध कराते हैं.
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