अपनी गिरफ्तारी पर केंद्रीय मंत्री का विभाग शिफ्ट करवाने वाले बाबा की कहानी, झुकते थे दुनिया के ताकतवर लोग

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कहते हैं कि दुनिया के किसी भी कोने में सत्ता चलाने लिए इंसान के पास ‘तेज-दिमाग’ की जरूरत होती है. नहीं ऐसा नहीं है. तिकड़मी दिमाग मगर अंगूठा-टेक एक अदने से उस लड़के नेमीचंद जैन (नेमि चंद्र जैन) उर्फ चंद्रा स्वामी ने, इसे शत-प्रतिशत “झूठा” करार दिया. ललाट के ऊपर जरूरत से ज्यादा बड़ा-चौड़ा टीका. गले में भारी-भरकम रुद्राक्षों की सोने से जड़ी कई-कई मालाएं. शेर के दो दांतों का गले में लटकता पेंडेंट. तमाम उम्र यही पहचान तो रही थी चंद्रा स्वामी की इस इंसानी दुनिया में. और बचे हैं उनके वे किस्से जो गवाह हैं इस बात की तस्दीक के कि, कैसे कोई “तिकड़मी-दिमाग” एक अव्वल दर्जे के पढ़े-लिखे इंसान के दिमाग पर भी, सवारी करने में माहिर साबित हो सकता है.

TV9 डिजिटल की विशेष सीरीज “ना बाबा ना” में, आज जैन कुल में जन्मने के बाद भी खुद को दुनिया का सबसे बड़ा तांत्रिक, भविष्यवेत्ता. दर्शन शास्त्र का सबसे बड़ा “ज्ञाता-ज्ञानी-मर्मज्ञ” मानते रहने वाले, कथित तंत्र-मंत्र-ज्योतिष विद्या के विवादास्पद ‘गुरू’ चंद्रास्वामी का बेबाक जिक्र.

अंगूठा टेक स्वामी के आगे सब नत-मस्तक!

काली और सफेद यानी खिचड़ी रंग के बालों वाली लंबी लटकती दाढ़ी के बीच से झांकता हुआ बड़ी-बड़ी लाल-लाल आंखों वाला चेहरा. वो चेहरा वे आंखें, जिनसे सामने खड़े इंसान की आंखों का अगर एक बार आमना-सामना भर हो जाए तो समझिए कि, सामने खड़ा इंसान मानो ‘सम्मोहित’ हो गया हो. यही खासियत थी स्वामी चंद्रास्वामी की. वे चंद्रास्वामी जिनका दूर-दूर तक कहीं कभी किसी भी तरह के ज्योतिषी, सम्मोहन विद्या गुरु, विद्वान पंडित कुल-खानदान से वास्ता ही नहीं रहा था. वे चंद्रास्वामी जिन्होंने खुद के इन सबमें “जीरो” होने के बाद भी. इन्हीं तमाम साम-दाम-दंड-भेदों के बलबूते अच्छे-अच्छे पढ़े-लिखे और उच्च पदों पर आसीन लोगों की लगाम को हमेशा अपने हाथों में लेकर मन-मुताबिक चलाया और हांका.

सांवला चेहरा, कुटिल मुस्कान, आंखों का लाल रंग

जिक्र उन चंद्रास्वामी का जिनका था सांवला रंग. चेहरे पर रहस्यमयी शांति. गले में मौजूद लंबा पटकानुमा अंगोछा. बदन के ऊपरी हिस्से में पूरी बाजू का लंबा कुर्ता और बदन के निचले हिस्से में अपने ही अलग स्टाइल में मौजूद-बंधी धोती और आखों में से निकल कर बाहर आते दिखाई देने वाले लाल डोरे, उनके होठों पर मौजूद कुटिल मुस्कान के भीतर से निकल कर बाहर आता हुआ दिखाई देने वाला डरावने मिश्रण का रहस्यमयी अंदाज. मतलब चंद्रास्वामी ऐसी शख्शियत थे जो सामने खड़े इंसान के दिल-ओ-जेहन, मन में एक बर्क सी बिछा डालता था.

Chandra Swami

चंद्रास्वामी जो खुद को तंत्र मंत्र का ज्ञाता बताता था. (फाइल फोटो)

यहां काफी कुछ मिलेगा चंद्रास्वामी का सच

इन तमाम सवालों के माकूल जवाब मौजूद दिखाई देते हैं मीडिया में पहले प्रकाशित हो चुकी रिपोर्टस में. एक रिपोर्ट के मुताबिक, हीरा लाल चौबे की जीवनी भी चंद्रास्वामी के बारे में काफी कुछ पढ़ाने-बताने के लिए मौजूद है. इसके मुताबिक नेमिचंद ने कोई शिक्षा नहीं ली थी, इसका जिक्र इस जीवनी के हवाले से ही ‘बीबीसी’ भी करता है. यही रिपोर्ट चंद्रास्वामी के बारे में यह भी चुगली करती है कि वे, ब्राह्मण कुल-खानदान से ताल्लुक न रखकर एक आम-वैष्णव परिवार से वास्ता रखते थे. इसके बाद भी उनकी ‘ज्योतिष’ “तंत्र मंत्र” में पकड़ की कथित दावेदारी ने अच्छे-अच्छों को पसीना ला दिया था.

एक चंद्रास्वामी के सौ-सौ किस्से-कहानियां

दुनिया भर में चर्चित कहिए या फिर बदनाम रहे ऐसे रहस्यमयी चंद्रास्वामी 23 मई सन् 2017 यानि अब से करीब पांच साल पहले दुनिया से रुखसत हो गए. वे चंद्रास्वामी जिनके नाम की मार्ग्रेट थैचर की देहरी से लेकर भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और नरसिम्हा राव की दहलीज तक तूती बोला करती थी. अंतिम समय में तबीयत खराब होने पर दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए दाखिल किए गए थे. तब यह खबर भी उनकी मौत के साथ ही बाहर निकल कर आ सकी कि, चंद्रास्वामी दो सप्ताह से बीमार होकर अस्पताल में भर्ती थे. जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. भले ही चंद्रास्वामी की मौत 69 साल की अवस्था में हुई हो. मगर उनकी आयु से कई गुना ज्यादा उनकी कारस्तानियों के किस्से चर्चे दुनिया में उनके जीते जी भी थे और आगे भी रहेंगे.

गुजरात, राजस्थान-हैदराबाद से वास्ता

चंद्रास्वामी का जन्म, सन् 1948 में राजस्थान प्रांत के बहरोड़ (बहरोर) में जोकि, दिल्ली जयपुर नेशनल हाइवे-8 पर स्थित है, में हुआ था. हालांकि इनका परिवार मूल रूप से गुजरात से ताल्लुक रखता था. चंद्रास्वामी के जन्म से कई साल पहले चूंकि परिवार बहरोर में आकर बस गया था. जन्म के कुछ साल बाद ही कुछ वक्त के लिए चंद्रास्वामी के पिता धर्मचंद जैन परिवार को लेकर राजस्थान से हैदराबाद चले गए और वहीं बस गए पिता सूद पर रकम उधार देकर खजाना भरने में जुटे थे. उधर किशोरावस्था की दहलीज पर पांव रखने जा रहे बेटे चंद्रास्वामी स्कूली शिक्षा हासिल करने के बजाए. तंत्र-मंत्र विद्या हासिल करने की ओर बढ़ने लगा. तब चंद्रास्वामी की उम्र रही होगी 16-17 साल के करीब.

हैदराबाद छोड़ बनारस पहुंचने की वजह

हीरा लाल चौबे के हवाले से मीडिया में मौजूद रिपोर्ट्स के मुताबिक, चंद्रास्वामी ने सबसे पहले बहुत ही कम उम्र में रुख किया था जैन संत महोपाध्याय अमर मुनि की तरफ. 24-25 साल की उम्र में चंद्रास्वामी बनारस में गोपीनाथ कविराज की देहरी पर जा पहुंचे. तंत्र मंत्र के ‘जोड़-तोड़’ चंद्रास्वामी को बनारस में इन्हीं गोपीनाथ कविराज की देहरी पर मिले थे. गोपीनाथ कविराज की छत्रछाया में तांत्रिक विद्या की एबीसीडी सीखने वाले चंद्रास्वामी ने महज 26-27 साल की उम्र में ही पहला “महायज्ञ” भी आहूत कर डाला. इस बीच कहते हैं कि वे कुछ वक्त बिहार में भी रहे. इस सबके बीच प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से किसी जमाने में चंद्रास्वामी के गैंग के इर्द-गिर्द मंडरा चुके लोगों की मानें तो, चंद्रास्वामी ने अपनी कथित तांत्रिक-विद्या और ज्ञान का जितना बखान जमाने में कर रखा था. असल में ज्योतिष विद्या से उनका कोई लेना देना नहीं था.

स्वामी के कथित ज्योतिषी बनने की कहानी

इनमें से कुछ तथ्यों की पुष्टि मीडिया में पहले से मौजूद एक उस रिपोर्ट से भी होती है जो, देश के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के सलाहकारों में से एक रहे और वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक के बयान के हवाले से हैं. जिसमें वेद प्रताप वैदिक कहते हैं कि, “चंद्रास्वामी व्यवहार कुशल तो थे. लेकिन उन्हें तंत्र विद्या और ज्योतिष का न तो ज्ञान था न ही इन विषयों पर उनका कोई अध्ययन ही रहा.” पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के बेहद करीबी रहने वाले और उनकी किताब लिखने वाले चर्चित पत्रकार, राम बहादुर राय के हवाले से भी मीडिया में चंद्रास्वामी से जुड़ी कुछ रिपोर्ट्स मौजूद हैं. इनके मुताबिक. “सन् 1965-1966 के दौर में हिंदुस्तान समाचार एजेंसी का दफ्तर कनाट प्लेस के फायर ब्रिगेड लेन में हुआ करता था. वहां न्यूज एडिटर हुआ करते थे रामरूप गुप्त. वे जाने-माने ज्योतिषी भी थे. चंद्रास्वामी लोगों की तब कुंडलियां लेकर उनके पास आते रहते थे. और रामरूप गुप्त जी जो कुछ उन कुंडलियों के बारे में चंद्रास्वामी के बता-समझा देते. वही चंद्रास्वामी आगे जाकर अपने भक्तों को बता देते थे. मतलब तिकड़मी दिमाग तांत्रिक चंद्रास्वामी ने प्रोफेशनल जीवन की शुरूआत ही, अपने इर्द-गिर्द मौजूद काबिलों के “कंधों” पर सवारी गांठकर की थी. स्टोरीज ऑफ इंडियाज़ लीडिंग बाबाज़” की लेखिका भवदीप कांग से मोहन गुरुस्वामी ने कहा, “हम चंद्रास्वामी को हैदराबाद के सिटी कॉलेज के बाहर आवारागर्दी करते देखा करते थे.”

सत्ता के गलियारे में कथित ‘तांत्रिक’ पदार्पण

इन्हीं मीडिया रिपोर्ट्स में मोहन गुरुस्वामी आगे कहते हैं, “चंद्रास्वामी नागार्जुन सागर डैम प्रोजेक्ट में स्क्रैप डीलर का काम भी करते थे. फिर किसी धांधली में फंसे. और थोड़े ही साल में राज्य के मुख्यमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के साथ स्वामी के तौर पर नजर आने लगे’ यह किस्से-कहानियां हैं सन् 1971 से 1973 के दौर की. उसी दौरान नरसिम्हा राव आंध्र प्रदेश राज्य के चीफ मिनिस्टर हुआ करते थे. हालांकि राजनीति की गली-गलियारों में चंद्रास्वामी के पदार्पण की तारीख खोजने के लिए और भी कुछ साल पीछे झांककर देखना जरूरी है. मतलब 1971 से पहले. क्योंकि वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय के हवाले से मीडिया में मौजूद रिपोर्ट्स कहती हैं कि, “सिद्धेश्वर प्रसाद बिहार से सन् 1962 में लोकसभा के लिए चुनकर पहुंचे थे. वे जमीनी नेता थे. सन् 1965-1966 के साल में उन्हीं सिद्धेश्वर प्रसाद के सर्वेंट क्वार्टर में दो लड़के रहा करते थे. जिनमें से एक चतुर्भुज गौतम बाद में चंद्रशेखर (भारत के पूर्व प्रधानमंत्री) के निजी सचिव बन गए और दूसरे थे यही चंद्रास्वामी. यह वह दौर था जब चंद्रास्वामी कांग्रेसी नेताओं के घरों के चक्कर लगाया करते थे. उसके बाद जैसे ही चंद्रस्वामी दिल्ली में राम रूप गुप्त (कुंडली और ज्योतिषी विशेषज्ञ) के संपर्क में पहुंचे और उनसे कुंडलियों के बारे में पूछकर सत्ता की दलाली में लिप्त होते गए.

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एक समय था जब सत्ता के गलियारे में चंद्रास्वामी की तूती बोलती थी.

‘चंद्रास्वामी कोई सभ्य आदमी तो नहीं थे’

लंबी दाढ़ी, ढीला-ढाला सफेद या फिर अक्सर और ज्यादातर पीला चोंगा (लिबास) पहने रहने वाले चंद्रास्वामी जितने देखने में रहस्यमयी थे. उससे कहीं ज्यादा उनका व्यवहार सामने वाले पर बिना कुछ करे-धरे, बोले-कहे ही हावी हो जाने वाला था. जाने-माने इतिहासकार पैट्रिक फ्रेंच “इंडिया ए पोट्रेट” में नेमिचंद जैन उर्फ चंद्रास्वामी उर्फ मामाजी के बारे में लिखते हैं, ‘वो कोई सभ्य आदमी तो नहीं थे. लेकिन उनमें दूसरों के दिमाग को जीतने का हुनर था. वे दूसरों की कमजोरियां पढ़ लेते थे’ चंद्रस्वामी खुद अंग्रेजी की ABCD लिखना पढ़ना भले न जानते हों मगर, इस इंसानी दुनिया के कई ताकतवर हुक्मरान उनकी विस्यमयकारी शक्ति के वजन के तले तब भी दबे हुए देखे गए. ऐसे रहस्यमयी स्वामी चंद्रास्वामी का जिक्र हिंदुस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और कद्दावर कांग्रेसी नेता नटवर सिंह ने अपनी किताब “वॉकिंग विद लायंस” में किया है. इसके मुताबिक, “1979-1980 में मैं पेरिस में बीमार पड़ा था. चंद्रास्वामी उस वक्त फ्रांसीसी राष्ट्रपति के निजी फिजिशयन के साथ मुझसे मिलने आए थे. यह देखकर ही मैं सकते में था कि उन्होंने मुझसे कहा कि वे सीधे यूगोस्लाविया से फ्रांसीसी राष्ट्रपति से मिलने आए हैं. फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने चंद्रास्वामी को लेने के लिए अपना निजी विमान भेजा था.”

कई देशों के मुखियाओं से कथित करीबी रिश्ते

“वॉकिंग विद लॉयन्स- टेल्स फ्रॉम अ डिप्लोमेटिक पास्ट’ में ही चंद्रास्वामी की हैसियत को लेकर, नटवर सिंह उस किस्से का भी जिक्र किया है इसमें उन्होंने लिखा है कि कैसे, चंद्रास्वामी ने मार्ग्रेट थैचर को लेकर उनके ब्रिटिश प्राइम मिनिस्टर बनने की भविष्यवाणी कर दी थी. और बाद में जब चंद्रास्वामी की वह भविष्यवाणी सही साबित हो गई, तो फिर भला चंद्रास्वामी पीछे मुड़कर क्यों देखते? फ्रांसीसी राष्ट्रपति. मार्गरेट थैचर ही क्यों? ब्रूनेई के सुलतान से लेकर जायर के राष्ट्राध्यक्ष और बहरीन के शासक, हॉलीवुड स्टार एलिजाबेथ टेलर, सऊदी अरब का कुख्यात इंटरनेशनल आर्म्स डीलर अदनान खशोगी तक. बॉलीवुड की तमाम नामी-गिरामी हस्तियों के बारे में अक्सर चर्चाएं होती थीं कि वे भी, अपने अपने काम-धंधे निपटाने की गरज से अक्सर छिपते-छिपाते चंद्रास्वामी की दहलीज पर पहुंचती रहती थीं. यह वही तिकड़मी चंद्रास्वामी की कहानी है जो बाद में हथियारों की दलाली से लेकर हवाला कारोबार, विदेशी मुद्रा अधिनियम के उल्लंघन सहित तमाम संगीन आरोपों में जीते-जी घिरे-फंसे ही रहे. ऐसे खुराफाती दिमाग नेमिचंद जैन उर्फ चंद्रास्वामी के बारे में मशहूर था कि, जब तक नरसिम्हा राव हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री रहे, तब तक उन पांच वर्षों में कभी भी उन्हें प्रधानमंत्री से मिलने के लिए पहले से अप्वाइंटमेंट की जरूरत नहीं पड़ी थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक कमोबेश यही सिलसिला प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल में भी बदस्तूर जारी रहा.

अंडरवर्ल्ड से रिश्ते बाबा ने माने नहीं और….

जिस मामले में चंद्रास्वामी जेल भेजे गए वो था “फेरा कानून” के उल्लंघन का. उसी मामले में वे 1996 में गिरफ्तार करके जेल भेज दिए गए थे. खबरों के मुताबिक शोर तो स्वामी जी के अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से रिश्तों को लेकर भी मचता रहता था. मगर ये कभी साबित नहीं हुए. खुद स्वामी जी ने इन संबंधों को लेकर कभी हामी नहीं भरी, भले ही क्यों न उनका ही विश्वासपात्र अंडरवर्ल्ड से जुड़ा रहा, इंटरनेशल क्रिमिनल बबलू श्रीवास्तव. जमाने में चीख-चीख कर कहता रहा हो कि उसकी जान को इन्हीं चंद्रास्वामी से खतरा है. क्योंकि बबलू श्रीवास्तव भी खुद को चंद्रास्वामी का सबसे खास होने का दंभ भरा करता था. फेरा उल्लंघन के आरोप में जेल की हवा खा चुके चंद्रास्वामी लंबे समय तक भूमिगत रहे. उसके बाद वे सन् 2014 में अचानक फिर चर्चाओं में आ गए. जब एक नामी बिजनसमैन ने शिकायत की थी कि, चंद्रास्वामी के दिल्ली स्थित आश्रम से उसके 3 करोड़ के हीरे और रत्न चोरी हो गए हैं. इस शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने मामले की तहकीकात तो की थी. पड़ताल का परिणाम पीड़ित, दिल्ली पुलिस और अब इस दुनिया से कूच कर चुके स्वामी जी के पास ही हमेशा रहा.

राजीव गांधी हत्याकांड में नाम!

सन् 1990 के दशक में ऐसे चंद्रास्वामी का पी.वी. नरसिम्हा राव जब भारत के प्रधानमंत्री बने तो, फिर से सत्ता के गलियारों में सिक्का चलने लगे. कहते तो यहां तक हैं कि चंद्रास्वामी, नरसिम्हा राव के आध्यात्मिक गुरु बन चुके थे. हालांकि, अपने जीते जी यह बात खुलकर राव और चंद्रास्वामी ने कभी कबूली नहीं. मगर दोनों के बीच करीबी रिश्तों की भनक जमाने को तब और भी ज्यादा पुष्ट रूप से लगी जब, नरसिम्हा राव के देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद ही, चंद्रास्वामी ने दिल्ली के कुतुब इंस्टिट्यूशनल एरिया में ‘विश्व धर्मयातन सनातन’ नाम से विशाल आश्रम खड़ा कर डाला. खबरों में तो यहां तक आने लगा था कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कत्ल में चंद्रास्वामी की भूमिका भी संदिग्ध रही! हालांकि कभी इसी पुष्टि नहीं हुई. हालांकि राजीव गांधी हत्याकांड के संबंध में गठित एम सी जैन जुडिशल कमिशन ने, अपनी जांच रिपोर्ट चंद्रास्वामी के कथित संलिप्तता का इशारा अप्रत्यक्ष रूप से किया था!

बात अगर विवादों की करें तो…

अक्सर अपनी तांत्रिक क्रियाओं, ज्योतिषी को लेकर देश-परदेश में चर्चाओं में रहने वाले चंद्रास्वामी के ऊपर, सन् 1996 में लंदन के एक व्यापारी से 65 लाख रुपए की धोखाधड़ी का भी आरोप लगा था. जिसमें उन्हें गिरफ्तार भी होना पड़ा था. जबकि उनके ऊपर विदेशी मुद्रा विनियमन (फेरा) अधिनियम को अंगूठा दिखाने के आरोप तो कई बार लगते रहे. कहा तो यह भी जाता है कि बनारस में पंडित गोपीनाथ कविराज के “तंत्र-विद्या” के छात्र रहे चंद्रास्वामी, तंत्र-मंत्र क्रियाओं में महारत हासिल करने के लिए बनारस से चुपचाप बिहार चले गए थे. वहां करीब 4 साल तक रहने की बातें चर्चाओं में देखने सुनने पढ़ने को मिलती है.

खशोगी को घेरकर स्वामी भारत लाए!

दुनिया भर में हथियार सौदों में दलाली के लिए बदनाम सऊदी अरब का आर्म्स डीलर अदनान खशोगी से, चंद्रास्वामी की दोस्ती जमाने में किसी से छिपी नहीं रही. यह अलग बात है कि जब अदनान खशोगी का नाम भारत में हुई एक बड़ी हथियार डील में सामने आया, तो कहते हैं कि चंद्रास्वामी की ही मदद से घेर कर उसे (अदनान खशोगी) भारतीय एजेंसी पकड़ लाई थी. बात दुनिया भर के कुख्यात लोगों से दोस्ती की हो या फिर सत्ता के गलियारों में ऊंची बेरोकटोक पहुंच की. हर जगह अंगूठा छाप चंद्रास्वामी ही भारी पड़ते थे. इसका एक नमूना तब जमाने ने अपनी आंखों से देखा जब उनकी मां का निधन हो गया. यह बात होगी सन् 1993-1994 की. तांत्रिक गुरु चंद्रास्वामी की मां की तेरहवीं की उस भीड़ में करीब 50 हजार लोग शामिल होने का अनुमान तब लगाया गया था. उस हुजूम में बॉलीवुड से ही दसियों नामी-गिरामी हस्तियां हाजिरी लगाने पहुंची थीं. चंद्रास्वामी की “घुसपैठ” तकरीबन अधिकांश नेताओं और उनकी राजनीतिक पार्टियों में रही. राम मंदिर निर्माण कराने के लिए जब उन्हें मध्यस्थता करने की जिम्मेदारी सौंपी गई तो उनकी बात मुलायम सिंह यादव भी गंभीरता से सुन रहे थे.

पामेला बोर्डेस का वो बवाली बयान

तांत्रिक चंद्रास्वामी जहां कदम रख देते थे वहीं उनके दोस्त “जन्म” ले बैठते थे. इसका नमूना था 1990 के दशक में लखनऊ के एक होटल मालिक से चंद्रास्वामी की दोस्ती. एक बार उस होटल में जब चंद्रास्वामी अपने सैकड़ों देसी-विदेशी भक्तों की मंडली संग पहुंचे तो, उस होटल मालिक ने पलक पांवड़े बिछाकर, स्वामी जी का खुलकर स्वागत किया. दुनिया भर में चर्चित पामेला बोर्डेस की कहानी सन् 1989 में ही दुनिया के सामने आ चुकी थी कि, किस तरह से चंद्रास्वामी की सोहबत के फेर में फंसी पामेला जिंदगी के रास्तों की “टेढ़ी-मेढ़ी” पगडंडियों की ओर मुड़ती चली गई. सन् 1982 की मिस इंडिया रह चुकी पामेला ने जब “डेली मेल” को दिए सनसनीखेज इंटरव्यू की खातिर मुंह खोला तो दुनिया में बवाल मच गया था. क्योंकि उसने अदनान खशोगी और उनके दोस्त चंद्रास्वामी और अपने संबंधों को लेकर खुलासा ही उस हद का कर डाला था, जिससे हिंदुस्तान और विदेशों में तूफान आना लाजिमी था. पामेला बोर्डेस के उस सनसनीखेज खुलासा कहिए या फिर कबूलनामे से दुनिया ने तय कर लिया था कि, चंद्रास्वामी सेक्स, पावर, मनी और पॉवर ब्रोकिंग का काकटेल बना चुके थे. जिसके वे “फिक्सिंग किंग” बनकर दुनिया की नजरों में आए.

दुर्दिनों में तंत्र-मंत्र विद्या खुद पर “फेल”

सन् 1996 में चंद्रास्वामी को गिरफ्तार करके दिल्ली की तिहाड़ जेल में ठूंस दिया गया. और फिर उसके बाद तो मानो उनके दिन ही खराब शुरु हो गए. एक के बाद एक मुकदमेबाजी में टांग फंसती गई. और चंद्रास्वामी की तंत्र मंत्र विद्या और ज्योतिष ज्ञान उन्हें बचाने के नाम पर मिट्टी में मिलता चला गया. स्वामी जी जेल में ठूंसे गए या फिर दो चार मुकदमों में क्या फंसे अटके. उनके चारों ओर मंडराने वाले सूरमाओं ने भी कन्नी काट ली.

वक्त के बदले मिजाज ने सिंहासन हिला डाला

यह उन्ही चंद्रास्वामी के रहस्यमयी लोक की सच्ची और अंदर की कहानी है, बिगड़े वक्त ने जिनका सिंहासन हिला डाला था. वही चंद्रास्वामी 1990 के दशक में और जब हिंदुस्तान में हुआ करती थी उनके मुंहलगे. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल वाली हुकूमत. वही चंद्रास्वामी जिनका सजा करता था दिल्ली के कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया में मौजूद शाही महल में सिंहासन. वही शाही महल जिसकी दहलीज के भीतर पांव बढ़ाते ही मेहमान को महसूस होने लगता था एक रहस्यमयी विस्मित कर देने वाली अजूबी दुनिया का अहसास. वही चंद्रास्वामी जिनके सिंहासन के नीचे उनके नंगे पांवों में पड़े सूटेड-बूटेड बड़े-बड़े धन्नासेठ-साहिब लोग, रगड़ रहे होते थे अपना माथा.

Chandraswami At Patiala House Court

पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी पर जाता चंद्रास्वामी (फाइल फोटो)

मैंने देखी चंद्रास्वामी की बदहाली….

चंद्रास्वामी तिहाड़ जेल में लंबे समय तक कैद रहे थे. उन दिनों मैं खुद भी दिल्ली में आकर पत्रकारिता शुरु कर चुका था, उन्हें जब भी जेल वैन में लादकर तिहाड़ जेल से दिल्ली की कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया जाता था. तब उनके चेहरे के हाव-भाव उनके दिल पर गुजर रही पीड़ा को पढ़ने के लिए काफी हुआ करते थे. उन्हें जेल वैन में ठूंसने के वक्त और जेल वैन से उतारने के वक्त जिस तरह से आम कैदियों की भीड़ में से चोर-उचक्कों, जेब-कतरों की मानिंद, बाहर की ओर घसीटा जाता था. इन तमाम तथ्यों का खुलासा बाद में (जेल से बाहर आने पर) खुद चंद्रास्वामी ने करते हुए कबूला था कि, “जेल वैन में अक्सर कुख्यात अपराधी उनके साथ बदसलूकी किया करते थे. कभी कभी तो वे मेरी दाढ़ी तक नोंच लेते थे. जो बेहद पीड़ादायी होता था और कभी कभार तो जेल के कैदियों ने जेल वैन में आने जाने के दौरान पीट भी दिया.” सोचिए कि जो चंद्रास्वामी फ्रांस के राष्ट्रपति के मेहमान रहा करते थे. जिन चंद्रास्वामी ने मार्गरेट थैचर को चार साल पहले ही 11 साल के लिए प्रधानमंत्री बनने की सटीक भविष्यवाणी कर डाली हो. हिंदुस्तान से विशाल लोकतांत्रिक देश के दो दो प्रधानमंत्री जिसके आगे-पीछे घूमा करते हों. उसे जेल वैन में कोई पीट डाले. उसकी दाढ़ी नोच डाले. तो उसके दिल-ओ-जेहन और आत्मा पर क्या गुजरती होगी?

पूर्व PM को नजरअंदाज कर मंत्री ने जेल भेजा

उन दिनों देश में कांग्रेस की हुकूमत थी. तब तक प्रधानमंत्री चंद्रास्वामी के राजनीतिक “मठाधीश” पी.वी. नरसिम्हा राव पद से हट चुके थे. उस दौर की हुकूमत में तब आंतरिक सुरक्षा राज्य मंत्री थे राजेश पायलट. उन्होंने चंद्रास्वामी को सीबीआई से गिरफ्तार करवाकर जेल में डलवा दिया था. इसके बाद नरसिम्हा राव ने राजेश पायलट का मंत्रालय आंतरिक सुरक्षा से हटाकर, पर्यटन मंत्रालय जरूर करवा डाला. इस सबसे खार खाए बैठे राजेश पायलट ने कुछ ही दिन बाद चंद्रास्वामी को फिर लपेटे में ले लिया. जब चंद्रास्वामी ने दिल्ली के कुतुब इंस्टीटयूशनल एरिया में स्थित संजय वन में यज्ञ की लीला रचनी शुरू की. तो पर्यावरण मंत्री होने की हैसियत से राजेश पायलट के मंत्रालय ने उस यज्ञ को पर्यावरण के लिए नुकसानदेह बताकर, उसे होने ही नहीं दिया. यह बात तब की है जब तत्कालीन जनता दल नेता आरिफ मोहम्मद खान चंद्रास्वामी के खिलाफ बगावती तेवरों के चलते, जबरदस्त प्रदर्शन करने का ऐलान कर चुके थे.

फर्श से उठकर रातों रात अर्श पर पहुंचने के बाद, फिर उसी गति से दुबारा जमीन पर आ गिरने वाले चंद्रास्वामी के कभी नजदीकी रहे और वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रताप वैदिक के मीडिया में आ चुके एक बयान के मुताबिक, “उसने अपनी सारी उर्जा उल्टे सीधे कामों में लगा दी थी. वो चाहता तो बेहतर कर सकता था.” इसी तरह वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कह चुके हैं कि, “लोग भूल जाएंगे कि सभी चंद्रास्वामी की हैसियत प्रधानमंत्री के सबसे खास आदमी की थी. लोगों को बोफोर्स, सेंट किट्स, विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन, ईरान कॉन्ट्रा हथियार डील, पैसों की धोखाधड़ी जैसे मामले याद आएंगे.”

डिक्लेयरेशन: कहानी मीडिया रिपोर्ट्स, कानूनी दस्तावेजों में मौजूद जानकारियों और रिपोर्टर की खुद की निजी जानकारी के आधार पर लिखी गई है

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अपनी गिरफ्तारी पर केंद्रीय मंत्री का विभाग शिफ्ट करवाने वाले बाबा की कहानी, झुकते थे दुनिया के ताकतवर लोग
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