
2002 के गुजरात दंगों में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और उसके परिवार की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे 11 लोगों की जल्द रिहाई के लिए केंद्र और गुजरात की कोशिशों के खुलासे के बाद जहां विपक्षी दल बीजेपी पर हमलावर हो गए हैं तो वहीं एक केंद्रीय मंत्री ने इस फैसले पर सरकार का बचाव किया. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “जब सरकार और संबंधित लोगों ने फैसला लिया है, तो मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस मसले पर हो रही आलोचना के बीच एनडीटीवी से कहा, “जब सरकार और संबंधित लोगों ने ऐसा फैसला लिया है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि यह कानून की एक प्रक्रिया के तहत किया गया है.” मंत्री ने यह भी कहा कि जेल में “काफी समय” बिताने वाले दोषियों की रिहाई के लिए “एक प्रावधान है.”
सब कुछ नियम के अनुसारः जोशी
गुजरात में अपनी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रचार कर रहे मंत्री जोशी ने कहा, “यह सब कुछ कानून के अनुसार किया जाता है.” दोषियों के व्यवहार को लेकर उन्होंने आगे कहा, “जेल में कुछ समय रहने के बाद, अगर उनका व्यवहार … बहुत सारी घटनाएं हैं, और मैं इसमें नहीं पड़ना चाहता.”
इसी साल जून में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भी दोषियों की रिहाई का समर्थन किया. हार्दिक पटेल ने कहा, “राज्य सरकार के पास अच्छे व्यवहार के देखते हुए कैदियों को रिहा करने का अधिकार है. मेरा मानना है कि इसे जानबूझकर गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. बेशक, कोई भी अपराधी अपने कामों के लिए सजा का हकदार है.”
गुजरात सरकार ने क्या कहा
उनके साथ प्रचार कर रहे एक अन्य बीजेपी नेता अल्पेश ठाकोर का विचार इस मामले में थोड़ा अलग था, उन्होंने कहा कि गैंग रेप और हत्या के दोषियों को मुक्त करना अस्वीकार्य है. अल्पेश ने एनडीटीवी से कहा, “मैं इसे स्वीकार नहीं करता. ऐसे लोगों को रिहा करने के लिए अच्छा व्यवहार भी काफी नहीं है. यह बेहद शर्मनाक है कि जब वे जेल से बाहर आए तो उन्हें मिठाई दी गई.”
गुजरात सरकार के 470 पन्नों के हलफनामे से यह पता चलता है कि केंद्र ने दोषियों की रिहाई को मंजूरी देते हुए कई चीजों की अनदेखी की. गुजरात ने 28 जून को केंद्र की मंजूरी मांगी थी. फिर एक पेज का साइन-ऑफ 11 जुलाई को आया, और इस पर कोई कारण नहीं बताया गया. गुजरात सरकार ने सोमवार को शीर्ष अदालत में 1992 की छूट नीति के अनुसार दोषियों को रिहा करने के अपने फैसले का बचाव किया था और कहा था कि दोषियों ने जेल में 14 साल से अधिक की अवधि पूरी कर ली थी तथा उनका आचरण अच्छा पाया गया था.
क्या है मामला
इससे पहले गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बिल्कीस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों को माफी देने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी ली गई थी. उसने कहा कि इस क्षमादान को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता कुछ नहीं बल्कि “दूसरों के काम में अड़ंगा डालने वाले” हैं और “इनका इससे कुछ लेना-देना नहीं है.”
इस साल भारतीय जनता पार्टी अगुवाई वाली गुजरात सरकार ने माफी नीति के तहत इन दोषियों को माफी दे दी थी, जिसके बाद 15 अगस्त को उन्हें गोधरा उप-कारागार से रिहा कर दिया गया था.
21 वर्षीय बिल्कीस बानो से गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए दंगों के दौरान गैंगरेप किया गया था और उसकी तीन साल की बेटी समेत परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. घटना के वक्त वह पांच महीने की गर्भवती थी. इस बीच
सुप्रीम कोर्ट बिल्कीस बानो गैंगरेप केस में 11 दोषियों को माफी देने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर 29 नवंबर को सुनवाई करेगा.
इनपुट- एजेंसी/भाषा
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