एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा के लिए अभिनेत्री सुहासिनी मुले गारेंटर बनीं. मुले ने कहा कि वह नवलखा को 30 साल से अधिक समय से जानती हैं. अदालत में यह उनकी पहली पेशी है. नवलखा को जेल से रिहा करके घर में नजरबंद किया जा सकता है. 70 वर्षीय नवलखा का दावा है कि वह अप्रैल 2020 से जेल में हैं और अनेक रोगों से जूझ रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर को उनकी याचिका पर उन्हें एक महीने घर में नजरबंद रखने की अनुमति दी थी और कहा था कि 48 घंटे के अंदर आदेश का पालन होना चाहिए. लेकिन वह अब भी जेल में हैं क्योंकि रिहाई की औपचारिकताएं पूरी नहीं हो सकीं.
30 साल से अधिक समय से नवलखा को जानती हूं
‘भुवन शोम’ और ‘हू तू तू’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं मुले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)के मामलों के लिए विशेष न्यायाधीश राजेश कटारिया के समक्ष पेश हुईं और कहा कि वह नवलखा के लिए जमानतदार के रूप में प्रस्तुत हुई हैं. जमानत में यह जिम्मेदारी ली जाती है कि जेल से रिहा होने वाला व्यक्ति निर्देश मिलने पर अदालत में पेश होगा.
71 साल की मुले ने कहा कि वह 30 साल से ज्यादा समय से नवलखा को जानती हैं क्योंकि वह दिल्ली से हैं जहां वह कुछ समय रही हैं. मुले ने अदालत में यह भी कहा कि वह अतीत में पहले किसी के लिए गारेंटर के रूप में पेश नहीं हुईं और यह अदालत में उनकी पहली पेशी है.
अदालत ने आदेश में क्या कहा?
इस मामले में एनआईए ने नवी मुंबई में एक परिसर के बारे में सुरक्षा चिंताओं को उठाया जहां उन्होंने अपनी नजरबंदी के दौरान रहने का प्रस्ताव रखा था. अभिनेत्री सुहासिनी मुले दिन के दौरान एनआईए के विशेष न्यायाधीश राजेश कटारिया के समक्ष पेश हुई और नवलखा के लिए गारेंटर बनीं, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया.
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘क्योंकि अभियुक्त की सुरक्षा के कारण अभियुक्त को परिसर में रखने के लिए अभियोजन पक्ष (एनआईए) की ओर से कड़ी आपत्ति है, इसलिए आरोपी को उनके द्वारा बताए गए परिसर में नजरबंद रखना उचित नहीं होगा.’
अदालत ने कहा कि इसके अलावा, जैसा कि विशेष लोक अभियोजक ने यह भी दलील दी है कि अभियोजन पक्ष सुप्रीम कोर्ट में परिसर के मूल्यांकन की एक रिपोर्ट दायर करने जा रहा है और शीर्ष अदालत के अगले निर्देश तक आरोपी को वहां स्थानांतरित करना उचित नहीं होगा.
10 नवंबर को SC ने दी थी राहत
10 नवंबर को गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी. शीर्ष अदालत ने नवलखा के घर में नजरबंद करने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया था और कहा था कि पहली नजर में उनकी मेडिकल रिपोर्ट को खारिज करने का कोई कारण नहीं है. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि वह मामले से जुड़े लोगों और गवाहों से भी बात नहीं करेंगे. हालांकि गौतम नवलखा की पार्टनर सहबा हुसैन को साथ रहने की इजाजत दे दी थी.
जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की बेंच ने कहा था कि हाउस अरेस्ट ऑर्डर को 48 घंटे के भीतर लागू किया जाना चाहिए. साथ ही बेंच ने नवलखा को एक अनुमानित राशि के रूप में 2.4 लाख रुपये जमा करने का भी निर्देश दिया था, जिसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पुलिस कर्मी उपलब्ध कराने के लिए यह खर्च आने का दावा किया था.
31 दिसंबर 2017 का है मामला
मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित ‘एल्गार परिषद’ सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है. पुलिस का दावा है कि भाषणों से अगले दिन पुणे जिले के कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी. पुणे पुलिस ने दावा किया था कि प्रतिबंधित नक्सली संगठनों से जुड़े लोगों ने सम्मेलन का आयोजन किया था. (भाषा से इनपुट के साथ)