
कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमब्रत मंडल को फॉक्स एंड मंडल ट्रेडमार्क का इस्तेमाल नहीं करने का आदेश दिया है. साथ में ये भी कहा है कि वह ये दिखाने की कोई भी कोशिश ना करें कि इस लॉ फर्म से किसी भी तरह से जुड़े हुए हैं. जस्टिस रवि कृष्ण कपूर ने कहा कि कानूनी फर्म फॉक्स एंड मंडल ने प्रथम दृष्टि में एक मजबूत मामला बनाया है कि सोमब्रत रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करके अपने अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं.
कोर्ट ने कहा, मुझे लगता है कि सोमब्रत गुमराह करने की सीधी कोशिश कर रहे हैं. मामले में की गई शिकायत से पता चलता है कि लॉ फर्म फ़ॉक्स एंड मंडल, सोमब्रत औऱ उनकी कंपनी फॉक्स मंडल के बीच कनेक्शन है.
क्या है पूरा मामला?
सोमब्रत फॉक्स एंड मंडल के पूर्व सदस्य स्वर्गीय दीनबंधु मंडल के पुत्र हैं. इस साल 30 जून को दीनबंधु की मौत के बाद विवाद खड़ा हो गया था. यह दावा किया गया था कि सोमब्रत सार्वजनिक रूप से प्रतिनिधित्व कर रहे थे कि उनका फॉक्स एंड मंडल के साथ संबंध था, जिसकी स्थापना 1896 में ब्रिटिश वकील जॉन केर फॉक्स और गोकुल चंद्र मंडल ने की थी. वहीं उनकी फर्म फॉक्स मंडल की स्थापना 1984 में हुई थी जो की फॉक्स एंड मंडल के सदस्यों ने ही की थी. ऐसे में सोमब्रत की ओर से तर्क दिया गया कि वह फॉक्स एंड मंडल से जुड़े हुए हैं और उनकी फॉ़क्स मंडल देश की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी लॉ फर्म है. साथ में ये भी तर्क दिया गया कि वो बस कंपनी के गुडविल का इस्तेमाल कर रहे थे.
सोमब्रत ने दलील दी कि फॉक्स एंड मंडल फैमिली फर्म थी जिसपर उनके पिता दीनबंदु का कंट्रोल था. उन्होंने बताया कि उनकी फर्म फॉक्स मंडल 1984 में स्थापित होने के बाद से ही याचिकाकर्ता की फर्म फॉक्स एंड मंडल से जुड़े होने का दावा कर रही है, और तब से किसी भी तरह की कोई आपत्ति नहीं हुई है.
कोर्ट ने कन-किन पहलुओं पर दिया ध्यान?
कोर्ट ने नोट किया कि दीनबंधु और उनके सबसे छोटे बेटे, जो फॉक्स एंड मंडल में भागीदार हैं, के बीच विवाद सुलझ गया था जिसके बाद इस साल मार्च में फर्म का पुनर्गठन किया गया था. जस्टिस कपूर ने पुनर्गठित पार्टनरशिप के खंड 17 पर ध्यान दिया, जिसके आधार पर सोमब्रत केवल याचिकाकर्ता लॉ फर्म की गुडविल में आर्थिक दावे के हकदार हैं. 1932 के इंडियन पार्टरशिप एक्ट की धारा 55 पर भी विचार किया गया, जो गुडविल को बेचने की अनुमति देता है और पूर्व भागीदार को उस गुडविल का उपयोग करने से रोकता है.
इस मामले में इस बात पर भी ध्यान दिया गया कि सोमब्रत की फॉक्स एंड मंडल कानूनी फर्म में कोई भूमिका नहीं थी और उनकी पत्नी, जो सदस्यों में से एक थी, ने पहले ही 2020 में फर्म से इस्तीफा दे दिया था.
जस्टिस ने कहा, कि अधिनियम की धारा 55 के साथ पढ़े गए खंड 17 के मुताबिक दिवंगत दीनबंधु मंडल के उत्तराधिकारी या कानूनी प्रतिनिधि के रूप में सोमब्रत केवल मुनाफे में आर्थिक दावे और गुडविल के हकदार हैं, लेकिन वह इस कंपनी का नाम अपने लाभ के लिए कहीं पर भी इस्तेमाल नहीं कर सकते और ना ही लोगों में खुद को इससे संबंधित दिखाने की कोशिश कर सकते हैं. अंतरिम आदेश पारित करने के बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर के लिए स्थगित कर दी है.