
जम्मू कश्मीर, पंजाब समेत नौ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. केंद्र सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर राज्यों से विचार विमर्श करने के लिए समय मांगा है. केंद्र का कहना है कि यह मामला बेहद संवेदनशील है और इसके दूरगामी प्रभाव होंगे. उन्होंने कहा कि अब तक 14 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने विचार केंद्र को भेजे हैं.
केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनाफा दाखिर कर कहा, ‘कुछ राज्य सरकारों ने मामले में सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया है केंद्र सरकार ने कहा कि पंजाब, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, ओडिशा, उत्तराखंड, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, गोवा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु , लद्दाख, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव और चंडीगढ़ ने मामले में अपने विचार पेश किये हैं.
इसी साल जून में दाखिल हुई थी याचिका
केंद्र सरकार ने हलफनामा में कहा कि सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ परामर्श बैठकें की हैं. बैठकों में गृह मंत्रालय, कानूनी मामलों के विभाग- कानून और न्याय मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग- शिक्षा मंत्रालय, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान आयोग के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. इसी साल जून महीने में देवकीनंदन ठाकुर जी की ओर से जनहित याचिका दायर कर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 और शैक्षिक संस्थान अधिनियम, 2004 के प्रावधान को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है.
नौ राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, लक्षद्वीप, मणिपुर और पंजाब में हिंदू अल्पसंख्यक हैं लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक देश में केवल मुसलमानों, ईसाइयों, पारसियों, सिखों, बौद्धों और जैनों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया है. जुलाई में मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘किसी भी समुदाय के धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यक का दर्जा राज्य की आबादी के आधार पर राज्यवार निर्धारित होना चाहिए. यह न्याय का उपहास होगा, अगर मिजोरम और नगालैंड में बहुसंख्यक ईसाइयों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए या पंजाब में सिखों को अल्पसंख्यक समुदाय माना जाए.
2011 जनगणना के अनुसार आबादी
2011 की जनगणना के मुताबिक देश में हिंदू समाज के लोगों की संख्या कितनी थी. 10 साल पहले हुए जनगणना में जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 79.80% हिंदू थे, जबकि 14.23% मुस्लिम के अलावा 2.30% ईसाई समाज के लोग थे. इसके बाद सिख धर्म को मानने वाले आते हैं जिनकी आबादी 1.72% है.इसी तरह 1951 की जनगणना पर नजर डालें तो तब हिंदुओं की आबादी 84.1% थी जबकि मुस्लिम समाज के लोगों की संख्या 9.8% थी. तो वहीं ईसाइयों की संख्या 2.30% और सिख समाज के लोगों की संख्या 1.79% थी. 1951 में हिंदुओं की आबादी 84.1% थी जो 2011 में घटकर 79.8% तक आ गई जबकि मुस्लिम लोगों की संख्या 1951 की तुलना (9.8%) में 2011 में बढ़कर 14.23% हो गई. बौद्ध और जैन धर्म को मानने वाले लोगों की आबादी देशभर में एक फीसदी से भी कम है. और इनकी संख्या में कोई खास वृद्धि नहीं हुई.
कहां-कहां हिंदू अल्पसंख्यक
पूर्वोत्तर भारत के 5 राज्य मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर हैं. मिजोरम में सबसे कम हिंदू समाज के लोग रहते हैं. वहां पर 2.75% आबादी ही हिंदू है. जबकि नागालैंड में 8.75%. मेघालय में 11.53%, अरुणाचल प्रदेश में 29.04% और मणिपुर में 41.39% आबादी है. मिजोरम, नागालैंड, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में ईसाई समाज के लोगों की आबादी बहुतायत में है. जबकि मणिपुर में हिंदुओं की आबादी कम जरूर है, लेकिन वहां पर 41.39% लोग हिंदू धर्म को मानते हैं तो 41.29% लोग ईसाई धर्म के प्रति आस्था रखते हैं.
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