सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की 12 दिसंबर, 2018 को हुई बैठक के विवरण की सूचना आरटीआई के तहत नहीं देने के खिलाफ एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. कॉलेजियम बैठक के डिटेल्स को सार्वजनिक नहीं किया गया था. इसके बाद आरटीआई के तहत इसकी जानकारी मांगी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम अपनी बैठक में चर्चा करता है और जब तक कोई फैसला नहीं लेता तब तक आगे नहीं बढ़ता. कोर्ट ने RTI अधिनियम के तहत विवरण का खुलासा करने की मांग को ठुकराते हुए सख्त टिप्पणियां की.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 12 दिसंबर, 2018 को भी कॉलेजियम की बैठक में चर्चा की गई थी लेकिन कोई फैसला नहीं लिया जा सका था. कॉलेजियम मीटिंग में अगर कोई निर्णय लिया जाता है तो इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दी जाती है. लेकिन कॉलेजियम की हर बैठक में निर्णय नहीं होता और चर्चा के बाद बैठक टल भी जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणियां करते हुए अपील खारिज कर दी. देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कॉलेजियम जो कुछ भी चर्चा की जाती है वह सार्वजनिक डोमेन में नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए केवल अंतिम निर्णय आवश्यक है. मीडिया में आए लेखों प हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते.
‘जब तक फैसला नहीं होगा वो चर्चा सार्वजनिक नहीं होगी’
पीठ ने कहा, कॉलेजियम कई सदस्यों वाला एक निकाय है, जिसका अस्थायी निर्णय सार्वजनिक पटल पर नहीं रखा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मीडिया की खबरों तथा कॉलेजियम के एक पूर्व सदस्य के साक्षात्कार पर भरोसा नहीं कर सकती और पूर्व न्यायाधीश के बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती. कॉलेजियम ने 10 जनवरी 2019 को पारित एक प्रस्ताव में उल्लेख था किया कि 12 दिसंबर 2018 को हुई अपनी बैठक में कुछ नामों पर केवल परामर्श हुआ, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं किया गया.
अंजलि भारद्वाज ने दाखिल की थी याचिका
RTI एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज ने 12 दिसंबर 2018 को हुई उच्चतम न्यायालय की कॉलेजियम की बैठक के एजेंडे का खुलासा करने संबंधी उनकी याचिका उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के बाद शीर्ष अदालत का रुख किया था. न्यायमूर्ति एम. बी. लोकुर पहले इस कॉलेजियम के सदस्य थे लेकिन उनके रिटायर होने के कारण कॉलेजियम का समीकरण बदल गया था. कॉलेजियम की उस बैठक में कुछ न्यायाधीशों की पदोन्नति पर कथित तौर पर कुछ निर्णय लिए गए थे.
सरकार और सुप्रीम कोर्ट में मतभेद
जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम बना हुआ है. सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच इसको लेकर कुछ मतभेद भी हैं. कॉलेजियम सिस्टम को लेकर केंद्रीय काननू मंत्री किरेन रिजिजू ने कुछ दिनों पहले टिप्पणी भी की थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की. सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर केंद्रीय मंत्री की ओर से की गई टिप्पणी पर कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था.
केंद्रीय कानून मंत्री ने बताया था एलियन
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने कहा, केंद्रीय मंत्री की ओर से कॉलेजियम प्रणाली पर जो टिप्पणी की वो नहीं होनी चाहिए थी. सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी पर अपनी बात रखते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कई बार मीडिया में जो खबरे चलाई जाती हैं वो गलत भी होती हैं. बता दें कि हाल ही में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलिजियम सिस्टम को एलियन बताया है.
(इनपुट भाषा के साथ)