भारत और कजाकिस्तान की सेनाओं ने मेघालय में एक संयुक्त अभ्यास शुरू किया जो एक पखवाड़ा चलेगा. यह जानकारी एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने दी. दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ करने के उद्देश्य से मेघालय के शिलांग से 25 किलोमीटर दूर स्थित उमरोई में बृहस्पतिवार से शुरू हुआ आतंकवाद-रोधी अभ्यास ‘काजिंद-22’ के छठे संस्करण का समापन 28 दिसंबर को होगा. सेना के अधिकारी ने बताया, यह संयुक्त अभ्यास दोनों सेनाओं को संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के दौरान सामने आने वाले संभावित खतरों को बेअसर करने के लिए प्रशिक्षित करने, योजना बनाने और निष्पादित करने में सक्षम करेगा.
दोनों देशों ने वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास की शुरुआत 2016 में ‘प्रबल दोस्तीक’ के रूप में की थी, जिसे 2018 में अभ्यास काजिंद का नाम दिया गया था. अधिकारी ने कहा कि कजाकिस्तान की ओर से उसके क्षेत्रीय कमान के सैनिक जबकि भारतीय सेना की ओर से 11 गोरखा राइफल्स के सैनिक हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा कि अभ्यास का उद्देश्य सकारात्मक सैन्य संबंध बनाना, एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं को आत्मसात करना और अर्ध-शहरी और जंगल परिदृश्य में आतंकवाद-रोधी अभियानों को अंजाम देते हुए एकसाथ काम करने की क्षमता को बढ़ावा देना है.
भारत-कजाकिस्तान सेना का जॉइंट मिलिट्री ड्रिल
सेना के एक अधिकारी ने बताया, “यह संयुक्त अभ्यास दोनों सेनाओं को संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के दौरान सामने आने वाले संभावित खतरों को बेअसर करने के लिए संयुक्त सामरिक अभ्यासों की एक सीरीज को प्रशिक्षित करने, योजना बनाने और निष्पादित करने में सक्षम करेगा.” भारत कजाकिस्तान ने इससे पहले साल 2016 में संयुक्त युद्धाभ्यास किया था, जिसे ‘एक्सरसाइज प्रबल दोस्तीक’ के नाम से जाना जाता था. बाद में इसे कंपनी-लेवल एक्सरसाइज के साथ अपग्रेड किया गया और इस जॉइंट ड्रिल का नाम बदलकर 2018 में ‘एक्सरसाइज काजिंद’ कर दिया गया था.
11 गोरखा राइफल्स के हाथों में भारतीय सेना की कमान
अधिकारी ने कहा कि कज़ाख सैनिकों को उनके दक्षिण स्थित क्षेत्रीय कमान, जबकि भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व 11 गोरखा राइफल्स के जवान कर रहे हैं. चूंकि दोनों सेनाएं संयुक्त सामरिक योजना और अभ्यास के अलावा विभिन्न वॉर प्ले में हिस्सा लेंगी, इसलिए यह उम्मीद की जा रही है कि इस अभ्यास से सैन्य संबंधों में सुधार होगा, एक-दूसरे की सर्वोत्तम तकनीकों का आदान प्रदान किया जाएगा, अर्ध-शहरी क्षेत्रों में आतंकवाद-रोधी अभियानों को अंजाम देते हुए एक साथ काम करने की क्षमता को बढ़ावा दिया जाएगा.
(भाषा इनपुट के साथ)