भारत से पंगा लेना हमेशा पाकिस्तान को महंगा पड़ा है. जब भी वह 1971 की लड़ाई याद करता होगा तो उसकी नीद हराम हो जाती होगी. भारतीय सेना ने उसके नापाक इरादों और रणनीतियों पर पलक झपकते ही पानी फेर दिया था, जब तक वह कुछ समझ पाता उसकी पैरों तले जमीन खिसक चुकी थी और वह ताकता रह गया कि करें तो करें क्या और जाएं तो जाएं कहां… क्योंकि आज ही के दिन यानि 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना ने उसकी पनडुब्बी PNS गाजी को समुद्र के अंदर ही दफन कर दिया था. हिंदुस्तानी रणबांकुरों को उसकी कब्र खोदने में जरा भी वक्त नहीं लगा था.
पाकिस्तान को भारत ने युद्ध के दूसरे दिन ही सबसे बड़ी चोट दी थी, जिससे उसकी कमर टूट गई. बताया गया है कि पनडुब्बी में करीब 90 लोग सवार थे. सभी के सभी समुद्र में समा गए. इंडियन नेवी का यह प्रहार सैन्य जीत के लिए टॉप रणनीति माना गया. हिंदुस्तान की नेवी ने उसे पश्चिमी मोर्चे पर घेरा और 4 दिसंबर की रात में कराची बंदरगाह पर हमला बोल दिया था, जिसमें उसके नौसेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. इस हमले से पड़ोसी देश के ध्वंसक पीएनएस खायबर और माइनस्वीपर पीएनएस मुहाफिज को डुबा दिया था. साथ ही साथ पीएनएस शाहजहां को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया था.
आईएनएस विक्रांत के नेतृत्व में भारतीय नौसेना ने जाल बिछाया था और उसकी पूर्वी कमान ने नाकेबंदी कर रखी थी. इससे बंगाल की खाड़ी में पूर्वी पाकिस्तान पूरी तरह से अलग-थलग हो गया था. नाकेबंदी से पाकिस्तान परेशान हो गया और उसने अपनी लिस्ट में सबसे अच्छी पनडुब्बी पीएनएस गाज़ी को भेजने का फैसला किया. गाजी को भेजने के पीछे दो उद्देश्य रखे गए थे, जिसमें पहला टारगेट आईएनएस विक्रांत को ढूंढकर डुबोना था और दूसरा भारत के पूर्वी समुद्र तट पर माइंस बिछाना था.
विशाखापट्टनम के पास पीएनएस गाजी को डुबोया
दरअसल, पीएनएस गाजी के बिना पाकिस्तानी नौसेना पूर्वी पाकिस्तान में विक्रांत के ऑपरेशन को डिगा नहीं कर सकती थी. हालांकि उसकी पुरानी पनडुब्बी के हालात पहले से ही खस्ता हो रखे थे क्योंकि उसके अच्छे रख-रखाव के लिए पैसे ही नहीं थे. ऐसे में उसकी पनडुब्बी भारत से टक्कर लेने चल दी, लेकिन रास्ते में ही विशाखापट्टनम के निकट उसका काम तमाम कर दिया गया, जिसमें उसे बड़ी हानि हुई और तकरीबन भारत आधा युद्ध जीत चुका था.
इससे पहले पाकिस्तान की वायुसेना ने तीन दिसंबर की शाम को भारत पर हमला बोल दिया था. उसकी वायुसेना के फाइटर जेट्स ने आगरा सहित उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों के 11 एयरफोर्स बेस को टारगेट किया. देश को अंदाजा नहीं था कि पाकिस्तान इस तरह से कदम उठाएगा. उसकी इस हरकत ने ही खुद की कब्र खोद डाली थी. तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उसी शाम राष्ट्र को संबोधित किया और संदेश देते हुए कहा कि पाकिस्तान की ओर से हवाई हमले भारत पर अटैक करने का ऐलान है.
13 दिनों तक चला भारत-पाकिस्तान युद्ध
अब भारतीय वायुसेना ने कमर कसकर तत्काल कार्रवाई करने का फैसला किया और रात में ही पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई शुरू हो गई. देखते ही देखते पाकिस्तान हालत पतली होती चली गई. दोनों देशों के बीच 13 दिनों तक संघर्ष चला और 16 दिसंबर को पाकिस्तान ने भारत के सामने घुटने टेक दिए और पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया, जिसे आज बांग्लादेश के नाम से जानते हैं.