प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ‘वीर बाल दिवस’ कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी लगातार इसका विरोध कर रहा है. एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने सिख समुदाय से कहा कि गुरु गोबिंद सिंह के बेटों के शहादत दिवस को वीर बाल दिवस की जगह साहिबजादे शहादत दिवस के रूप में मनाएं. इसी साल 9 जनवरी को पीएम मोदी ने छोटे साहेबजादों के शहीदी दिवस को ‘वीर बाल दिवस’ घोषित किया था. इसके बाद विवाद शुरू हो गया था.
आज पीएम कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. इसके पहले एसजीपीसी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. धामी ने कहा, साहिबजादों के शहादत दिवस को भारत सरकार की ओर से वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाना महान शहादत को कमतर करने की एक दुर्भावनापूर्ण साजिश है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल जनवरी में ऐलान किया था कि सिखों के 10वें गुरु के बेटों जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत के उपलक्ष्य में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
Prime Minister Shri @narendramodi has declared December 26 to be commemorated as #VeerBaalDiwas, paying a national tribute to the great valour and supreme sacrifice of Sahibzada Zorawar Singh and Sahibzada Fateh Singh in their quest for justice and righteousness. pic.twitter.com/gCRPOI4lkQ
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) January 10, 2022
पीएमओ ने दी कार्यक्रम की जानकारी
पीएमओ की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक़ नरेंद्र मोदी 26 दिसंबर, 2022 को दोपहर 12:30 बजे मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, दिल्ली में ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे. कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री लगभग तीन सौ बाल कीर्तनियों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले ‘शबद कीर्तन’ में भी शामिल होंगे. इस मौके पर प्रधानमंत्री दिल्ली में लगभग तीन हज़ार बच्चों द्वारा मार्च-पास्ट को झंडा दिखाकर रवाना करेंगे. इसके अलावा संस्कृति मंत्रालय की ओर से एक विशेष डिजिटल प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी.
फैसले का कहीं विरोध तो कहीं खुशी
केंद्र सरकार के इस फैसले का कई धार्मिक और राजनीतिक नेताओं ने तारीफ भी की थी. इस मामले में राजनीतिक गलियारों में चर्चा ये भी थी कि बीजेपी पंजाबी बेल्ट में अपनी पैठ बनाना चाहती है, इसकी वजह से ऐसा किया जा रहा है. दरअसल, जब से संसद में तीनों किसान कानून को पास किया गया था तभी से पंजाब में बीजेपी का विरोध काफी तेज हो गया. दिल्ली-एनसीआर में एक साल से अधिक समय तक धरना दिया गया. जिसमें अधिकतर पंजाब के किसान संगठन थे. चुनावों में भी बीजेपी को पंजाब से काफी नुकसान उठाना पड़ा था.
देशभर मे सार्वजनिक अवकाश की घोषणा
सिखों के समूह दल खालसा के प्रवक्ता कंवरपाल सिंह ने इस घोषणा पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि सरकार को सिखों के धार्मिक मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है. दल खालसा के अनुसार, छोटे साहिबजादों के शहादत दिवस को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाना सही नहीं होगा, इसलिए इस फैसले को खारिज किया जाना चाहिए. वहीं दूसरी ओर, दमदमी टकसाल के प्रधान हरनाम सिंह खालसा ने 26 दिसंबर को साहिबजादों के साहस और शौर्य का जश्न मनाने के लिए देश भर में सार्वजनिक अवकाश घोषित कर ‘वीर बाल दिवस’ मनाने के पीएम मोदी के फैसले की सराहना की थी.
SGPC ने जताया कड़ा ऐतराज
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने इसका विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार वास्तव में साहिबजादों को श्रद्धांजलि देना चाहती है, तो इस दिन को साहिबजादे शहादत दिवस के रूप में मनाने में क्या परेशानी है. उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि उत्तर से मुगलों को उखाड़ फेंकने के लिहाज से गुरु गोविंद सिंह के दोनों बेटे अहम थे. धामी ने कहा कि इस दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में मनाये जाने को लेकर सरकार जिस तरह से अड़ी हुई है, उससे यह साफ हो जाता है कि सिख विरोधी ताकतों के इशारे पर राजनीति की जा रही है. उन्होंने कहा कि एसजीपीसी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संस्कृति मंत्री को एक पत्र भेजा था, लेकिन सरकार ने अब भी नाम में परिवर्तन नहीं किया है.