भारत के ज्यूडिसियल सिस्टम में 72 साल से हिचकोले खा रहा देश का सबसे पुराना मुकदमा आखिरकार सुलझ गया. देश के सबसे पुराने कलकत्ता हाईकोर्ट में इस मामले की पहली सुनवाई 72 साल पहले हुई थी. उस समय इस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव का जन्म भी नहीं हुआ था. अब देश के सबसे पुराने मुकदमों में चिन्हित पांच में से केवल तीन मामले पेंडिंग हैं. इनमें से दो मामलों की सुनवाई मालदा के सिविल कोर्ट में लंबित है. जबकि तीसरा मामला मद्रास हाईकोर्ट में पेंडिंग है.
निस्तारित किया गया मामला बेहरामपुर बैंक लिमिटेड के लिक्विडेशन से संबंधित है. अब इस मामले से जुड़ी सारी मुकदमेबाजी खत्म हो गई है. यह मामला पहली बार कलकत्ता हाईकोर्ट में 19 नवंबर 1948 को आया था. उस समय हाईकोर्ट ने दिवालिया कानून के तहत इस बैंक को बंद करने के आदेश दिए थे. लेकिन बैंक ने 1 जनवरी, 1951 इस आदेश को चुनौती दी. इसके बाद इस संबंध में केस दर्ज हुआ, जिसका नंबर 71/1951 है. इस प्रकार यह मामला देश के सबसे पुराने और अब तक लंबित मामलों में शुमार हो गया. दिन मामला संख्या 71/1951 के रूप में दर्ज किया गया था.
यह है मामला
बेरहामपुर बैंक ने खूब कर्जे बांटे थे, लेकिन वसूली नहीं हो पा रही थी. इसके चलते यह बैंक देनदारों के साथ मुकदमेबाजी में उलझ गया. इनमें से कई कर्जदारों ने बैंक के खिलाफ चुनौती याचिका दाखिली की थी. परिणाम स्वरुप बैंक के लिक्विडेशन तक मामला पहुंच गया. यह मामला खींचते हुए अब तक चला आ रहा है. पिछले साल सितंबर महीने में ही यह मामला दो बार हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए रखा गया था.
तीन मामले और निपटना बाकी
जानकारी के मुताबिक देश में पांच सबसे पुराने मुकदमों को चिन्हित कर पिछले साल इन्हें प्राथमिकता से निपटाने का प्रयास किया गया. इसी क्रम में अब तक दो मामलों का निपटरा हो सका है. जबकि तीन मामले अब भी लंबित हैं. इनमें दो दीवानी मुकदमे हैं और बंगाल के मालदा की सिविल कोर्ट में लंबित हैं. इन मामलों को निपटाने के लिए मालदा की अदालत ने पिछले साल मार्च और नवंबर में सुनवाई की थी. जबकि तीसरा मामला मद्रास हाई कोर्ट में है.