Prakash Ambedkar on PM Narendra Modi: पीएम नरेंद्र मोदी आयकर विभाग, ईडी या सीबीआई का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, ऐसा मुझे लगता नहीं. वे जो कर रहे हैं वो कानून के दायरे में रहकर कर रहे हैं. सत्ता बनाए रखने के लिए जो जरूरी होता है, वो वही कर रहे हैं. उनकी जगह अगर मैं होता, तो मैं भी यही करता. कानून के दायरे में रहते हुए अपनी कुर्सी को बचाने की जुगत लगाने में कुछ भी गलत नहीं है. इससे पहले की सरकारों ने भी यही किया है. यह बयान वीबीए प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने दिया है.
प्रकाश आंबेडकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर यह बात एक मराठी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कही है. याद दिला दें कि प्रकाश आंबेडकर डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के पोते और वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रमुख हैं. चार दिनों पहले ही उन्होंने शिवसेना के ठाकरे गुट के साथ गठबंधन किया है. वे महाविकास आघाड़ी में चौथी पार्टी के तौर पर जुड़ना चाह रहे थे, लेकिन एनसीपी और कांग्रेस की उदासीनता की वजह से उन्हें अकेले ठाकरे गुट के साथ गठबंधन कर के संतोष करना पड़ा. एनसीपी और कांग्रेस से इस बात को लेकर उनके मन में टीस भी है और खीझ भी.
विपक्ष में फूट डालना रणनीति का भाग, पीएम मोदी नहीं इसके अपवाद
प्रकाश आंबेडकर ने यह भी कहा कि, ‘पिछले 40 साल की राजनीति में मैंने यह देखा है कि जो भी सत्ता में आता है, विपक्ष को एक होते हुए देखना नहीं चाहता है. ऐसे में विपक्ष में फूट डालने की कोशिश राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है. विपक्ष को सत्ता पक्ष क्यों मजबूत होने दे?’ शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ शिंदे गुट की बगावत में बीजेपी का हाथ होने के सवाल पर आंबेडकर ने यह कहा.
तब BJP से शिवसेना टूटी, अब शिवसेना से शिंदे टूटे…वो सही, तो ये गलत कैसे?
बात यहीं तक नहीं है. शुक्रवार को ही सोलापुर की एक सभा में भी प्रकाश आंबेडकर ने महाविकास आघाड़ी पर और भी तीखा कटाक्ष किया. नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले महाविकास आघाड़ी के नेताओं को को उन्होंने याद दिलाया कि महाविकास आघाड़ी चुनाव से पहले का गठबंधन नहीं था. चुनाव हो जाने के बाद बीजेपी से शिवसेना को अलग किया गया था, तब जाकर महाविकास आघाड़ी की सरकार बनाई गई थी. उन्होंने कहा कि उनकी वंचित बहुजन आघाड़ी का ठाकरे गुट से गठबंधन एक बेहतर और नैतिक रूप से मजबूत गठबंधन है. यह प्री-इलेक्शन गठबंधन है और यह कामयाब होगा.
संजय राउत कौन? हमारी पार्टी के तो नहीं…उद्धव कहें, तो मानूं सही- आंबेडकर
शुक्रवार को प्रकाश आंबेडकर ने शरद पवार पर डायरेक्ट अटैक करने से बचना ही बेहतर समझा. वे महाविकास आघाड़ी का नाम लेकर ये सब कह रहे थे. एक दिन पहले उन्होंने पवार का नाम लेकर यह बयान दिया था कि, ‘शरद पवार बीजेपी से मिले हुए हैं. यह बाद जल्दी ही सबको पता लग जाएगी.’ इस पर संजय राउत ने शुक्रवार की सुबह उन्हें यह नसीहत दे डाली कि ठाकरे गुट से उनका गठबंधन हुआ है, आगे महाविकास आघाड़ी में उन्हें शामिल करने की कोशिशें जारी हैं. इसलिए वे एनसीपी और कांग्रेस के प्रमुख नेताओं पर जुबान संभाल कर बात करें.
इसके जवाब में पत्रकारों ने जब प्रकाश आंबेडकर से प्रतिक्रिया मांगी तो प्रकाश आंबेडकर ने बिना लाग-लपेट यह कह दिया कि ‘संजय राउत कौन हैं? वे हमारी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता नहीं हैं. रही बात गठबंधन की तो उद्धव ठाकरे अगर कुछ कहेंगे तो मैं सुनूंगा.’
मैं कौन, यह ठाकरे से पूछिए- और सुनिए, आप भी कोई हमारे नेता नहीं- राउत
संजय राउत के ऐक्शन पर प्रकाश आंबेडकर के रिएक्शन का असर हुआ. संजय राउत ने फिर रिएक्ट किया. उन्होंने प्रकाश आंबेडकर को टारगेट करते हुए पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘मैं कौन हूं, यह आप उद्धव ठाकरे से पूछ लीजिए. आप भी हमारी पार्टी के नेता नहीं.’
इस वाद-विवाद-संवाद के बीच सवाल यह उठ रहा है कि महाविकास आघाड़ी की घटक शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) से गठबंधन के बाद प्रकाश आंबेडकर महाविकास आघाड़ी पर ही लगातार आक्रामक हो रहे हैं. जब गठबंधन नहीं हुआ था तब बीजेपी पर आक्रामक हुआ करते थे. वे तो अपने ही गठबंधन पर रिवर्स फायर कर रहे हैं. विपक्ष भी आज यह महसूस करने पर मजबूर हुआ है कि इससे अच्छा तो प्रकाश बाहर ही थे. क्योंकि जब वे बाहर थे तो सीधे बीजेपी पर फायर कर रहे थे. ….दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है, आखिर इसके पीछे माजरा क्या है?