उत्तराखंड में जोशीमठ आपदा पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने हाई लेवल मीटिंग बुलाई है. इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा करेंगे. बैठक में उत्तराखंड के बड़े अधिकारी, कैबिनेट सचिव, जोशीमठ के डीएम और एनडीआरएफ के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे. पिछले काफी दिनों से यहां बड़ी-बड़ी दरारें पड़ती जा रही हैं. सीएम धामी ने दौरा कर लोगों को सबसे पहले सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने पर जोर दिया है. इस मामले में पीएम पूरी तरह से अलर्ट है.
जोशीमठ संकट के मामले में पीएमओ की हाईलेवल मीटिंग ये दर्शाती है कि मामला कितना गंभीर है. पीएम के प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा बैठक करने जा रहे हैं. इस बैठक में कैबिनेट सचिव सहित सरकार के सभी वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे. जोशीमठ के डीएम भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस मीटिंग पर जुड़ेंगे. उत्तराखंड के सभी वरिष्ठ अफसर भी बैठक में शामिल होंगे. जोशीमठ में 11 और परिवारों को शनिवार को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया. शहर में दरार से प्रभावित घरों की संख्या बढ़कर 603 हो गई है. चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन.के. जोशी ने कहा कि दरार के कारण 11 और घरों में रहने वाले परिवारों को अस्थायी राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया है.
लगभग 600 प्रभावित परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर भेजे जाने का निर्देश देने के एक दिन बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए शनिवार को जोशीमठ का दौरा किया. मुख्यमंत्री ने उन घरों का भी दौरा किया, जिनकी दीवारों और छत में चौड़ी दरारें आ गई हैं.
उत्तराखंड के जोशीमठ में बड़े पैमाने पर चल रहीं निर्माण गतिविधियों के कारण इमारतों में दरारें पड़ने संबंधी चेतावनियों की अनदेखी करने को लेकर स्थानीय लोगों में सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश है. स्थानीय लोग इमारतों की खतरनाक स्थिति के लिए मुख्यत: राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) की तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
जोशीमथ बचाओ संघर्ष समिति के संजोयक अतुल सती ने कहा कि हम पिछले 14 महीनों से अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हमारी बात पर ध्यान नहीं दिया गया. अब जब स्थिति हाथ से निकल रही है तो वे चीजों का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम भेज रहे हैं. उन्होंने कहा, अगर समय रहते हमारी बात पर ध्यान दिया गया होता तो जोशीमठ में हालात इतने चिंताजनक नहीं होते.
सती ने बताया कि नवंबर 2021 में जमीन धंसने की वजह से 14 परिवारों के घर रहने के लिए असुरक्षित हो गए थे. उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद लोगों ने 16 नवंबर 2021 को तहसील कार्यालय पर धरना देकर पुनर्वास की मांग की थी और एसडीएम को ज्ञापन सौंपा था, जिन्होंने (एसडीएम) खुद भी स्वीकार किया था कि तहसील कार्यालय परिसर में भी दरारें पड़ गई हैं.