इस साल हाड़ कंपा देने वाली ठंड के पास कमर कस लीजिए भीषण गर्मी के लिए. सुबह गुनगुनी धूप और शाम को हल्की-हल्की ठंडी हवा वाला मौसम जल्द ही विदा लेने वाला है. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो इस बार गर्मी सारे रिकॉर्ड तोड़ देगी. अभी जो डेटा सामने आया है उसमें अल नीनो क जलवायु पैटर्न (El Nino climate pattern) इसी ओर इशारा कर रहा है. हालांकि वैज्ञानिकों ने कहा कि इसके प्रभाव का आंकलन करना अभी थोड़ा जल्दी है.
यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (National Oceanic and Atmospheric Administration) के नए अनुमान के मुताबिक, जून, जुलाई और अगस्त के गर्मियों के महीनों के दौरान अल नीनो की स्थिति प्रबल होने की लगभग 50% संभावना है. जुलाई, अगस्त सितंबर में 58% संभावना है. ये दोनों ही संख्या संभावना से अधिक हैं. ला नीना प्रभाव के लगातार तीन वर्षों के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिक अल नीनो स्थितियों के उभरने का अनुमान लगा रहे हैं. नवीनतम आंकड़ों के अनुसार मार्च-अप्रैल-मई में ऐसा होने की कम संभावना है. अप्रैल-मई-जून में लगभग 15% और मई, जून, जुलाई में लगभग 37% तक बढ़ जाती है.
अल नीनो और ला लीना का प्रभाव
अल नीनो (El Nino) पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में पानी के असामान्य रूप से गर्म होने की विशेषता है. वहीं इसल उलट ला नीना (La Niña) इसी क्षेत्र में असामान्य रूप से ठंडे पानी की विशेषता है. इस घटना को ENSO (अल नीनो दक्षिणी दोलन) कहा जाता है और इसका भारत में गर्मी और कमजोर मानसूनी बारिश के साथ मजबूत संबंध है. भारत मौसम विज्ञान विभाग या आईएमडी का भी एनओएए के समान दृष्टिकोण है. ला नीना की स्थिति कमजोर हो रही है. प्री-मानसून सीज़न के दौरान तटस्थ ENSO स्थितियों की उच्च संभावना है. इसके बाद मानसून के दौरान अल नीनो की स्थिति बनने की 50% संभावना है.
अभी पूर्वानुमान छोड़ा मुश्किल
आईएमडी के महानिदेशक एम महापात्र ने कहा कि इसके प्रभाव पर तुरंत टिप्पणी करना मुश्किल है. अभी अल नीनो सीजन शुरू होने में तीन-चार महीने का समय है. इस के पूर्वानुमान सटीक नहीं है. उन्होंने कहा कि हम 28 फरवरी को अपना नया (ENSO) पूर्वानुमान जारी करेंगे. एक विशेषज्ञ ने कहा कि ला नीना से एल नीनो की ओर बढ़ना अपने आप में चिंताजनक है. एक विकसित एल नीनो अधिक खतरनाक होता है और हम इसको विकसित होते देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि इससे बारिश कम हो सकती है लेकिन हम तुरंत नहीं कह सकते कि मानसून सामान्य से कम रहेगा या नहीं. यह एक अतिरिक्त मानसून वर्ष होने की संभावना नहीं है.
ला लीना कमजोर लेकिन लंबे समय तक रहा
स्काइमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा कि ला नीना स्थिति के बावजूद अब तक हमने सामान्य तापमान से ऊपर और यहां तक कि पिछले वसंत में भीषण गर्मी देखी है. यह वसंत उतना खराब नहीं हो सकता. लेकिन फरवरी और मार्च में तापमान सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है. गर्मी का तापमान बहुत अधिक हो सकता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान ला नीना अपेक्षाकृत कमजोर लेकिन असामान्य रूप से लंबा रहा है.
भयंकर गर्मी का अनुमान
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने कहा कि एक मीडियम एल नीनो मानसून को प्रभावित कर सकता है. यह वर्षा की मात्रा को कम कर सकता है, लेकिन फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि यह सामान्य से कम मानसून होगा या नहीं. यदि उन महीनों के दौरान सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव की स्थिति होती है तो इससे मानसून को मदद मिल सकती है. हमें अन्य मापदंडों की भी बारीकी से निगरानी करनी होगी. राजीवन ने कहा कि यह निश्चित है कि 2023 में कड़ाके की गर्मी देखने को मिलेगी और उन्होंने शुरुआती अनुकूलन योजनाओं की सिफारिश की. उन्होंने कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि यह एक भयंकर गर्मी होगी.