कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट को गरीबों पर किया गया साइलेंट स्ट्राइक बताया है. उन्होंने कहा कि 2023-24 का बजट महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने में विफल रहा है. सोनिया गांधी ने बजट में गरीबों और कमजोर वर्गों को दिए गए आवंटन को बहुत ही खराब बताया है. इसके साथ-साथ उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाया है.
इंडियन एक्सप्रेस के ओपिनियन पीस में छपे अपने आर्टिकल में सोनिया गांधी ने बजट, गरीबी, रोजगार समेत कई अहम मुद्दा पर अपनी राय व्यक्त की है और केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास किया है. उन्होंने बजट को साइलेंट स्ट्राइक करार देते हुए कहा कि यह ऐसे समय किया गया है जब लोगों की आर्थिक हालत दयनीय स्थिति में है. सोनिया गांधी ने आर्थिक सर्वेक्षण के दावों का जिक्र करते हुए कहा कि जिस सुधार का दावा सरकार ने किया है वो उसका लाख केवल कुछ और अमीर ही उठा रहे हैं.
पढ़ें सोनिया गांधी के आर्टिकल की बड़ी बातें-
- लोगों की आय कम होने के बावजूद लोग रोजाना की जरूरतों के लिए वस्तुओं पर अधिक खर्च करने के लिए मजबूर हैं. इसके लिए कुछ नहीं किया जा रहा.
- रोजाना इस्तेमाल में आने वाली चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. सरकार रोजगार पैदा करने में विफर रही है. खासकर युवाओं के लिए नौकरी नहीं.
- RBI उपभोक्ता सर्वेक्षण के अनुसार, देश के अधिकतर लोगों को लगता है कि नवंबर 2019 से उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है. सरकार चुप बैठी है.
- गरीबों को मिलने वाले राशन को सरकार ने आधा कर दिया है. पीएम कल्याण योजना में मनमानी तरीके से अनाज दिया जा रहा है.
- इसी तरह, अल्पसंख्यकों, विकलांगों के लिए योजनाओं और बुजुर्गों के लिए पेंशन, सभी को सरसरी तौर पर कम कर दिया गया है।
- स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाएगा क्योंकि मिड-डे मील को मिलने वाले फंड में भारी भरकम कटौती की गई है.
- हमारे स्कूलों में संसाधनों की कमी है. नए सिरे से बनाए गए सर्व शिक्षा अभियान के लिए फंडिग लगातार तीन साल तक रुकी रही.
- मनरेगा योजना के तहत मजदूरी को जानबूझकर बाजार दरों से कम रखी जा रही है. श्रमिक समय पर भुगतान पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
- ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को कम काम मिलेगा क्योंकि बजट में मनरेगा के लिए मिलने वाले फंड में एक तिहाई की कटौती कर दी गई है.
- सरकार की ओर से पेश किया गया 2023-24 का बजट गरीबों पर एक साइलेंट स्ट्राइक है. सरकार की नीतियां कुछ अमीर लोगों के लिए हैं.
- ग्रामीण मजदूरों के पास काम कम होगा, क्योंकि मनरेगा के लिए फंडिंग को एक तिहाई कम कर दिया गया है, जिससे यह 2018-19 के स्तर से नीचे आ गया है।